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घर के कूलर से कम कर सकते हैं वायु प्रदूषण

घर के कूलर से कम कर सकते हैं वायु प्रदूषण434

👤04-11-2019-ठंडी हवा देने वाला कूलर अब प्रदूषण रोकने में भी मददगार साबित होगा। बरेली कॉलेज के प्रोफेसर डीके सक्सेना ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो कूलर के साथ जोड़े जाने पर एयर प्यूरीफायर का काम करेगी। उन्होंने कई चरणों में इस डिवाइस का सफल परीक्षण कर लिया है। अब इसे बाजारों में भी उतारे जाने की तैयारी है। सस्ता होने की वजह से आम लोग भी इसका इस्तेमाल कर घर की हवा से जहरीले तत्व बाहर कर सकेंगे।बरेली कॉलेज एयर पाल्यूशन मानीटरिंग सेंटर के प्रभारी डॉ. डीके सक्सेना ने बताया कि एयर प्यूरीफायर तैयार करने में डेटर्ज कूलर का प्रयोग किया गया। जाड़ों की शुरूआत में ही लोग कूलर को हटा देते हैं। ऐसे में पूरे जाड़े यह अनुपयोगी पड़ा रहता है। इस कूलर को साफ करने के बाद तीनों साइड के पैनल से घास हटा दी गई। इसमें विंडो एसी डस्ट फिल्टर का प्रयोग किया गया। किसी भी एसी शॉप से नैनो टेक्नोलॉजी विद अल्ट्रा फाइन नैनो फाइबर आधारित डस्ट फिल्टर खरीदा जा सकता है। यह फिल्टर पार्टीकुलेट मैटर यानि कि पीएम-10 और पीएम 2.5 दोनों को अवशोषित कर लेते हैं। इसको कूलर के तीनों विंडो में फिट करते हुए एयरप्यूरीफायर बना लिया गया।डॉ. डीके सक्सेना ने कहा कि वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सबसे गंभीर मुद्दा है। इससे हृदयरोग, लंग कैंसर, गंभीर श्वसन तंत्र की समस्या हो सकती है।
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04-11-2019-ठंडी हवा देने वाला कूलर अब प्रदूषण रोकने में भी मददगार साबित होगा। बरेली कॉलेज के प्रोफेसर डीके सक्सेना ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो कूलर के साथ जोड़े जाने पर एयर प्यूरीफायर...

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BHU में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल शुरू, मरीजों व तीमारदारों की फजीहत

BHU में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल शुरू, मरीजों व तीमारदारों की फजीहत642

👤04-11-2019-वाराणसी में BHU स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार से की सुबह हड़ताल पर चले गए। अस्पताल की ओपीडी खुली पर्चा काउंटर भी खुला पर्ची भी कटी, लेकिन डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार कर दिया। इससे मरीजों व उनके तीमारदारों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। बिना इलाज कराए ही उनको निराश होकर लौटना पड़ रहा है। कुछ ओपीडी में वरिष्ठ चिकित्सक मरीजों को देख रहे हैं। साथी डॉक्टर की पिटाई के खिलाफ रविवार रात ही हड़ताल का ऐलान कर दिया गया था। बीएचयू अस्पताल परिसर स्थित  सीसीयू लैब में एक मरीज के तीमारदारों ने रेजिडेंट डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार करने के साथ मारपीट की थी। डॉक्टर ने लंका थाने में मारपीट करने वाले पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया था। डॉक्टर आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।हड़ताल से मरीज और उनके परिजन बेहाल हैं। दूर दूर से आये लोगों को समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। सासाराम बिहार के रहने वाले राजेश कुमार अपने बेटे विकास की किडनी की समस्या होने पर गंभीर हालत में दिखाने के लिए पहुंचे। वहां कर्मचारियों ने हड़ताल का हवाला देते हुए उनको वापस लौटा दिया। मऊ के रहने वाले अलाउद्दीन अपने 6 वर्षीय बेटे को लेकर बच्चा रोग विभाग में दिखाने के लिए पहुंचे लेकिन वहां भी डाक्टरों के न मिलन के कारण उनको वापस लौटना पड़ा।3 दिन इंतजार के बावजूद निराश लौटना पड़ा
डेहरी आनसोन के रहने वाले बंशीधर अग्रहरि अपनी पत्नी को दिखाने के लिए न्यूरोलॉजी में शनिवार की रात अस्पताल पहुंच गए। रविवार को ओपीडी अस्पताल छुट्टी होने के कारण बंद होने के वजह से पूरे दिन इंतजार करने के बाद सोमवार सुबह पर्ची कटवाए लेकिन उनको बिना इलाज कराए वापस लौटना पड़ा। 3 दिन तक काफी परेशान होने के बाद वह बिना दिखाए ही जाने के मजबूर हुए।
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04-11-2019-वाराणसी में BHU स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार से की सुबह हड़ताल पर चले गए। अस्पताल की ओपीडी खुली पर्चा काउंटर भी खुला पर्ची भी कटी, लेकिन डॉक्टरों...

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हरदोई में खेतों पर पराली जलाने में अब तक ढाई लाख जुर्माना

हरदोई में खेतों पर पराली जलाने में अब तक ढाई लाख जुर्माना487

👤04-11-2019-प्रदूषण को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती का असर दिखने लगा है। हरदोई में पराली जलाने को लेकर पहली बार कड़ी कार्रवाई की गई। प्रशासन ने 66 किसानों पर करीब ढाई लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। डीएम पुलकित खरे ने सभी तहसीलों में उपजिलाधिकारियों के नेतृत्व में उड़नदस्ते गठित कर दिए हैं, जो खेतों पर नजर रखे हुए हैं। 
जिन किसानों पर कार्रवाई की गई, उन पर आरोप है कि शासन के निर्देशों को दरकिनार कर खेतों में पराली जलाकर प्रदूषण बढ़ाया। सीएम के निर्देश के बाद शाहाबाद समेत पांचों तहसीलों में टीम ने कई गांवों की पड़ताल की। इस दौरान 66 ऐसे किसान चिह्नित किए गए, जिन्होंने खेतों में पराली जलाने का काम किया। अफसरों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इन पर जुर्माना ठोक दिया। अफसरों के मुताबिक प्रतिबंध के बावजूद उल्लंघन करने वाले किसी भी किसान को भी छोड़ा नहीं जाएगा। इसकी लगातार मॉनीटरिंग की जाएगी। 
इन पर हुई कार्रवाई
सवायजपुर के ग्राम बसिया और सहजनपुर में पांच किसानों पर 15 हजार का जुर्माना लगाया गया। सदर तहसील क्षेत्र में कन्हेरी, पुरौरी, ऐजा फार्म, कनेरी में 13 किसानों पर 38 हजार और बिलग्राम में दो किसानों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। शाहाबाद की ग्राम पंचायत आगमपुर एवं सिकंदरपुर नरकतरा में 46 किसानों पर एक लाख 72 हजार का अर्थदंड लगा है। उप कृषि निदेशक के मुताबिक शासन के आदेश का सख्ती से पालन कराया जाएगा। हर खेत की गाटा संख्या ब्योरे के साथ अपलोड है। सेटेलाइट से निगरानी हो रही है। कोई भी किसान पराली जलाएगा तो उसकी रिकॉर्डिंग हो जाएगी। 
नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ 
उपनिदेशक कृषि डॉ. आशुतोष मिश्र का कहना है कि पराली/कृषि अपशिष्ट जलाने वाले किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। किसान सम्मान निधि, पेंशन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, कृषि निवेश पर दिए जाने वाले अनुदान से भी वंचित कर दिया जाएगा।
नियम पर फरमाएं गौर
- दो एकड़ से कम खेती वाले किसानों पर हर बार पराली जलाने पर ढाई हजार रुपये जुर्माना किया जाएगा। 
- दो से अधिक और पांच एकड़ तक खेती वाले किसानों पर पराली जलाने पर पांच हजार का जुर्माना। 
- पांच एकड़ से अधिक खेती वाले किसानों पर पराली जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माना किया जाएगा।
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04-11-2019-प्रदूषण को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती का असर दिखने लगा है। हरदोई में पराली जलाने को लेकर पहली बार कड़ी कार्रवाई की गई। प्रशासन ने 66 किसानों पर करीब ढाई लाख...

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कमलेश तिवारी हत्याकांड : यूसुफ की रेकी पर कानपुर से लखनऊ पहुंचे थे शूटर

कमलेश तिवारी हत्याकांड : यूसुफ की रेकी पर कानपुर से लखनऊ पहुंचे थे शूटर164

👤04-11-2019-
लखनऊ में हिन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के तार लगातार कानपुर से जुड़ते जा रहे हैं। शूटरों को पिस्टल देने वाले यूसुफ की रेकी पर ही शूटर कानपुर से लखनऊ गए थे। यूसुफ की बताई मोबाइल की दुकान की जानकारी पर शूटरों ने रेलबाजार से सिम व मोबाइल लिया था। वहीं से टाटमिल चौराहे जाकर शूटरों ने रोडवेज बस पकड़कर लखनऊ गए थे। घंटाघर से पकड़ा गया फतेहपुर निवासी यूसुफ काफी शातिर दिमाग हैं। शूटर अशफाक और मोइनुद्दीन से दोस्ती के दौरान उसने कानपुर और लखनऊ की जानकारी दी। यूसुफ लखनऊ और कानपुर दोनों जिलों से अच्छी तरह से वाकिफ है। सुजातगंज में ताऊ के घर में रुकने के दौरान व कई बार रेलबाजार से आ-जा चुका हैं। इसी दौरान उसकी कान्हा टेलीकॉम में दो लड़कियों के काम करने की जानकारी हुई। उस दुकान पर जाकर यूसुफ रेकी भी कर चुका था। इसीलिए कानपुर से लखनऊ जाने के दौरान ट्रेन से उतरकर अशफाक और मोइनुद्दीन ने सीधे कान्हा टेलीकॉम जाकर सिम लिया था। 
एटीएस परिजन व दोस्तों से कर रही पूछताछ 
एटीएस को यूसुफ के लंबे समय से कानपुर आने और जाने की जानकारी हैं। ऐसे में एसटीएस और खुफिया एजेंसी यूसुफ की बुआ और ताऊ को खंगाल रही हैं। एसटीएफ के मुताबिक यूसुफ के अन्य दोस्तों को भी खंगाला जा रहा हैं। जिससे उसकी पूरी जानकारी हासिल हो सके। कानपुर में यूसुफ के अन्य दोस्तों को भी तलाशा जा रहा हैं। पिस्टल सप्लायर का पता नहीं चल सका
यूसुफ बार-बार पिस्टल सप्लायर और पैसे को लेकर बयान बदल रहा हैं। कभी वह 20 तो कभी 50 हजार रुपए में पिस्टल खरीदने की बात कर रहा हैं। कभी वह दो महीने, फिर चार, छह और दो साल पहले दोनों शूटरों को पिस्टल देने की बात कर रहा हैं। ऐसे में एसआईटी अब उसे कस्टडी में लेकर पिस्टल सप्लायर और उसकी कीमत की जानकारी करेंगी।
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04-11-2019-
लखनऊ में हिन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के तार लगातार कानपुर से जुड़ते जा रहे हैं। शूटरों को पिस्टल देने वाले यूसुफ की रेकी पर ही शूटर कानपुर से लखनऊ गए थे। यूसुफ...

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लखनऊ की हवा में मामूली सुधार, स्थिति अब भी खतरनाक

लखनऊ की हवा में मामूली सुधार, स्थिति अब भी खतरनाक322

👤04-11-2019-थोड़ी सख्ती व हवा में मामूली गति से लखनऊ की हवा में मामूली सुधार हुआ है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में 22 प्वाइंट की गिरावट आई है। हवा की गुणवत्ता लाल रंग पर पहुंच गई है लेकिन स्थिति खतरनाक बनी हुई है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानीटरिंग में हवा की गुणवत्ता के गहरा लाल होने में महज एक प्वाइंट की कमी है। यह स्थिति एक दिन पहले यानी शनिवार को थी। एक्यूआई 422 माइक्रोग्राम पहुंच गई थी। रविवार को एक्यूआई 400 माइक्रोग्राम रिकार्ड हुई है।वायु प्रदूषण की स्थिति लगभग पूरे देश में बनी हुई है। 99 शहरों की मानीटरिंग में लखनऊ 25वें स्थान पर है। पूरे देश में 29 शहरों की हवा खतरनाक हो चुकी है। इन शहरों में एक्यूआई 400 माइक्रोग्राम के पार पहुंच गया है। इसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के शहर हैं। यहां के आठ शहरों की हवा मौजूदा समय में सांस लेने लायक नहीं है। इसमें लखनऊ समेत बुलंदशहर (430), फतेहगढ़ (478), गाजियाबाद (491), ग्रेटर  नोएडा (482), नोएडा (495), हापुड़ (471) व मेरठ (445) शामिल हैं। देश का सबसे प्रदूषित शहर राहतक रहा। यहां पर एक्यूआई 498 माइक्रोग्राम रिकार्ड की गई है। दूसरे स्थान पर फरीदाबाद (496), तीसरे स्थान पर नोएडा (495) व चौथे स्थान पर दिल्ली (494) शहर रहा।हफ्ते भर में खतरनाक हुई हवा
लखनऊ की हवा सप्ताहभर में खतरनाक स्थिति में पहुंच गई। यहां दीपावली से पहले 26 अक्तूबर को एक्यूआई महज 155 माइक्रोग्राम थी। इसे मध्यम श्रेणी की हवा माना जाता है। सीपीसीबी के मानक में इसका रंग पीला है। लेकिन इसके बाद लगातार वृद्धि होती गई। 28 अक्तूबर को यहां की हवा अचानक बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई। एक्यूआई 305 माइक्रोग्राम रिकार्ड किया गया। इसकी रफ्तार लगातार बढ़ती गई। शनिवार को सीजन की सबसे खराब हवा रिकार्ड हुई। एक्यूआई 422 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया था।देश के शीर्ष दस शहरों में एक्यूआई की स्थिति
शहर        एक्यूआई
लखनऊ        400
रोहतक        498
फरीदाबाद        496
नोएडा        495
दिल्ली        494
जिंद        491
गुरुग्राम        486
ग्रेटर नोएडा        482
फतेहगढ़        478
बहादुरगढ़        475
हापुड़        471लखनऊ में हफ्ते भर में एक्यूआई की स्थिति
तारीख        एक्यूआई
3 नवम्बर        400
2 नवम्बर        422
1 नवम्बर        382
31 अक्तूबर        352
30 अक्तूबर        326
29 अक्तूबर        314
28 अक्तूबर        305
27 अक्तूबर        186
26 अक्तूबर        155
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04-11-2019-थोड़ी सख्ती व हवा में मामूली गति से लखनऊ की हवा में मामूली सुधार हुआ है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में 22 प्वाइंट की गिरावट आई है। हवा की गुणवत्ता लाल रंग पर पहुंच गई...

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डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का परीक्षा कार्यक्रम जारी

डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का परीक्षा कार्यक्रम जारी782

👤04-11-2019-डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की विषम सेमेस्टर परीक्षा का कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। इसकी शुरूआत 18 नवम्बर से होगी। परीक्षा नियंत्रक के अनुसार डॉ. मनीष सिंह के अनुसार परीक्षा के बाद एक दिसम्बर से शीतकालीन अवकाश घोषित होगा। इस दौरान विद्यार्थी इन्टर्नशिप करते हैं। विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली लागू है। इस लिहाजा से शैक्षिक सत्र 2019-20 के विषम सेमेस्टर परीक्षा शैक्षिक कैलेन्डर के अनुसार 18 नवम्बर से होगी। यह परीक्षा 30  नवम्बर तक चलेगी। परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि परीक्षा कार्यक्रम विश्वविद्यालय की अधिकृत वेबसाइट rmlnlu.ac.in पर जारी कर दिया गया। उन्होंने बताया कि परीक्षा कार्यक्रम को लेकर अगर किसी विद्यार्थी को कोई आपत्ति है, तो लिखित दे सकता है। अगर आपत्ति तर्क पूर्ण होगी, तो कार्यक्रम में बदलाव किया जाएगा, लेकिन बीए एलएलबी आनर्स के पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें, नवें सेमेस्टर की परीक्षा   18 नवम्बर से ही होगी। उन्होंने बताया कि प्रश्न पत्र बनाने का काम चल रहा है। परीक्षा की सुचिता बनाए रखने के लिए प्राक्टोरियल बोर्ड का उड़न दस्ता भी परीक्षा कक्षा का औंचक निरीक्षण करेगा। 
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04-11-2019-डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की विषम सेमेस्टर परीक्षा का कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। इसकी शुरूआत 18 नवम्बर से होगी। परीक्षा नियंत्रक के अनुसार डॉ....

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चिन्मयानंद केस : जेल में छात्रा से एसआईटी ने पूछा बताओ कहां है चश्मा

चिन्मयानंद केस : जेल में छात्रा से एसआईटी ने पूछा बताओ कहां है चश्मा143

👤04-11-2019-चश्मे के बारे में पूछताछ करने के लिए रविवार को एसआईटी अफसर जिला जेल पहुंचे। अंदर उन्होंने छात्रा से बातचीत की। पूछा, चश्मा कहां है, बता दो। सूत्रों के अनुसार, छात्रा ने ऐसी कोई जानकारी एसआईटी अफसरों को नहीं दी, जिससे कि एसआईटी की मुश्किलें कुछ कम हो सकें। साथ ही ऐसा कोई सुराग भी नहीं मिला जो एसआईटी को चश्मे तक पहुंचा दे।शनिवार को नाले से बैग मिलने के बाद यह तो तय हो गया है कि चश्मे के बारे में अगर किसी को पता है तो वह छात्रा ही है। क्योंकि छात्रा ने जेल जाने से पहले मीडिया से कहा था कि उसके हॉस्टल के कमरे में महत्वपूर्ण सबूत रखे हैं। उसमें उसने चश्मा, पेन ड्राइव और हैंडबैग बताया था। जब कमरा खोला गया था, तब उसमें यह तीनों ही चीजें नहीं मिलीं थीं। उस वक्त यह आशंका जताई गई कि सील होने से पहले ही कमरा खोल कर यह सब सामान गायब कर दिया गया। पर शनिवार को जब चश्मे की तलाश करते हुए एसआईटी संजय की मामी कुंतीदेवी के घर पहुंची तो वहां बक्सा मिला। मामी ने एसआईटी को बताया कि उसने काफी सामान नाले में फेंक दिया था। एसआईटी ने नाले की सफाई कराई तो उसमें वह हैंडबैग भी मिल गया, जो छात्रा हॉस्टल के कमरे में रखने की बात कह रही थी। इससे तो साफ हो गया कि छात्रा ने उस वक्त झूठ बोला था कि उसका बैग, चश्मा, पेन ड्राइव हॉस्टल के कमरे में रखा है।जब छात्रा 11 अगस्त से पहले अपने कमरे का काफी सामान हॉस्टल से निकाल ले गई और संजय की मामी के घर पर रख दिया तो वह अपने हॉस्टल के कमरे में सबसे महत्वपूर्ण चश्मा क्यों छोड़ देगी। यह एक सवाल है। अगर चश्मा मिल जाता है तो छात्रा पर 67 ए आईटी एक्ट पुख्ता होगा, अगर चश्मा नहीं मिला तो 67 ए आईटी एक्ट मुकदमे से हटाया जा सकता है।चूंकि एसआईटी के पास यह भी सबूत नहीं है कि छात्रा ने अपने बैंक अकाउंट से ऑन लाइन रुपया पेमेंट करके चश्मा मंगवाया। संजय ने जरूर कहा था कि चश्मा छात्रा ने नहीं, उसने ऑनलाइन मंगवाया था। यह चश्मा 29 मार्च को आया था, जिसकी डिलीवरी उसने एसएस कालेज गेट पर ली थी। इस तरह से यह तो सबूत है कि चश्मा संजय ने मंगवाया, लेकिन छात्रा ने चश्मा मंगवाया, यह कहीं साबित नहीं होता है, ऐसा सूत्र बताते हैं। पर रिकार्डिंग करने की बात छात्रा ने अपने 164 के बयान में स्वीकार की है, इस तरह से तो वह लिप्त मानी जा सकती है। पर चश्मा तो कहीं न कहीं होगा। जिसके बारे में केवल और केवल छात्रा ही जानती है, ऐसा सूत्र बताते हैं। इसीलिए एसआईटी रविवार को छात्रा से पूछताछ करने के लिए जेल गई थी। अब एसआईटी को पूछताछ में कितनी सफलता मिली है, इसकी पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है।
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04-11-2019-चश्मे के बारे में पूछताछ करने के लिए रविवार को एसआईटी अफसर जिला जेल पहुंचे। अंदर उन्होंने छात्रा से बातचीत की। पूछा, चश्मा कहां है, बता दो। सूत्रों के अनुसार, छात्रा ने ऐसी...

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 दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते पर क्या बोले अखिलेश यादव

दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते पर क्या बोले अखिलेश यादव618

👤04-11-2019-समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार को क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आरसीईपी) में हस्ताक्षर करने से बचना चाहिए। आपको बता दें कि मुक्त व्यापार क्ष्‍ोत्र (आरसीईपी) दुनिया के सबसे व्यापार सौदा था जो भारत की नई मांग के चलते टल गया है। यादव ने कहा कि बैंकाक में 16 देशों के बीच होने वाली आरसीईपी किसानों के हितों पर गहरा आघात करने वाली है। केन्द्र सरकार को इस पर संसद में चर्चा होने तक हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए। आरसीईपी के लागू होने से कृषि पर संकट और गम्भीर हो जाएगा। इस समझौते से भारत के किसानों की जिंदगी और बदहाल हो जाएगी।उन्होंने कहा कि दुनिया भर में सरकारें फसलों की लागत में भारी छूट देती है और अपने किसानों की खेती को अच्छी सुविधाएं प्रदान करती है। इससे उनकी उपज के दाम बाजार में प्रतियोगी बने रहते है। भाजपा सरकार की कारपोरेट पक्षधर नीतियों के कारण भारतीय किसान विश्व बाजार में अपनी फसलें बेचने में अक्षम हैं। यहां उन्हें तमाम परेशानियों से गुजरना पड़ता है। खेती किसानी में उपयोग में आने वाले उपकरण हो या खाद, कीटनाशक, सिंचाई, बीज, बिजली सब उन्हें महंगे मिलते हैं। बैंकों से कर्ज भी आसानी से नहीं मिलता है। कृषि की नई तकनीक उन तक नहीं पहुंच पाती है।सपा अध्यक्ष ने कहा कि आरसीईपी से सर्वाधिक प्रभावित डेयरी क्षेत्र होगा। इसमें आयात शुल्क शून्य या लगभग शून्य हो जाने से 10 करोड़ डेयरी किसान परिवारों के रोजगार पर हमला होगा। इसी तरह का खतरा गेंहू और कपास (जिसका आयात आस्ट्रेलिया व चीन से होता है) तिलहन (पाम आयल के कारण) और प्लांटेशन उत्पाद काली मिर्च, नारियल, सुपाड़ी, इलायची, रबर आदि पर होगा।आरसीईपी से विदेशी कम्पनियों को खेती की जमीन अधिगृहीत करने, अनाज की सरकारी खरीद में हस्तक्षेप करने, खाद्यान्न प्रसंस्करण में निवेश करने तथा ई-व्यापार बढ़ाकर छोटे दुकानदारों को नष्ट करने से भारतीय किसान अधिक मात्रा में कारपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे, जिनका मुनाफा किसानों की कीमत पर बढ़ेगा। 
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04-11-2019-समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार को क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आरसीईपी) में हस्ताक्षर करने से बचना चाहिए। आपको बता दें कि मुक्त व्यापार...

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रसोई गैस और बिजली कनेक्शन वालों को अब नहीं मिलेगा मिट्टी का तेल

रसोई गैस और बिजली कनेक्शन वालों को अब नहीं मिलेगा मिट्टी का तेल389

👤04-11-2019-लखनई के रसोई गैस और बिजली कनेक्शन वालों को अब मिट्टी का तेल नहीं मिलेगा। इसके तहत पहले चरण में फिलहाल चार लाख राशनकार्ड धारकों का मिट्टी का तेल काट दिया गया है। इसमें पात्र गृहस्थ के साथ ही अंत्योदय राशन कार्ड धारक भी शामिल हैं। इस महीने से यह व्यवस्था राजधानी में लागू हो जाएगा।राशन वितरण व्यवस्था से अब मिट्टी के तेल की विदाई का समय आ गया है। जानकार बताते हैं कि कई राज्यों में मिट्टी का तेल बंद हो चुका है। प्रदेश में भी सर्वे के आधार पर कुछ एक जिलों का मिट्टी तेल आवंटर शून्य हो गया है। फिलहाल लखनऊ के कुल 7.09 लाख काशनकार्ड धारकों में से चार लाख कार्डधारकों को मिट्टी तेल की व्यवस्था से बाहर किया गया है। यह ऐसे कार्डधारक बताए जा रहे हैं जिनके पास रसोई गैस और बिजली है। यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में मिट्टी तेल कोटे से समाप्त कर दिया जाएगा।35 फिसदी को मिलेगा मिट्टीका तेल
इस महीने लखनऊ के मात्र 35 फीसदी कार्डधारकों को ही मिट्टी का तेल मिलेगा। डीएसओ सुनील कुमार बताते हैं कि इस महीने 3.07 लाख कार्डधारक के हिस्से का तेल ही आवंटित हुआ है। अभी सर्वे की पूरी रिपोर्ट नहीं आई है। वहीं, मिट्टी के तेल से वंचित किए गए कार्डधारकों की सूची न मिलने से कोटेदार परेशान हैं। उज्ज्वला और सौभाग्य योजना भी आधार
जानकारों की माने तो कोटेदारों के सर्वे के आधार पर ही मिट्टी तेल से कार्डधारकों को अलग किया गया है। इससे इतर आपूर्ति विभाग उज्ज्वला और सौभाग्य योजना की सूची को खंगाल रहा है। अब आधार कार्ड के जरिए ये मालूम हो जाएगा कि किसके पास एलपीजी गैस व बिजली कनेक्शन है। इन्हें भी अगले माह मिट्टी तेल लाभार्थी की सूची से हटा दिया जाएगा।
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04-11-2019-लखनई के रसोई गैस और बिजली कनेक्शन वालों को अब मिट्टी का तेल नहीं मिलेगा। इसके तहत पहले चरण में फिलहाल चार लाख राशनकार्ड धारकों का मिट्टी का तेल काट दिया गया है। इसमें पात्र...

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अयोध्यानामा: मस्जिद से जुड़ी क्या है ये दिलचस्प जानकारी

अयोध्यानामा: मस्जिद से जुड़ी क्या है ये दिलचस्प जानकारी437

👤04-11-2019-नवंबर का महीना ठंड का होता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। देश की फिजा में एक अजीब-सी बैचेनी और गरमाहट है। 17 नवंबर को देश के सबसे चर्चित और विवादास्पद \'राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद\' मुद्दे का फैसला आना है। सबकी निगाहें सर्वोच्च न्यायालय की ओर लगी हुई हैं। सदियों से बिखरे इस विवाद को समेटने की कोशिश है यह सीरिज- \'अयोध्यानामा\'। पहली कड़ी में बाबरी मस्जिद...ऐसा बहुत कम होता है, जब अदालत के किसी फैसले पर पूरे देश की निगाहें लगी हों। अदालत है-सर्वोच्च न्यायालय। मामला है-राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद। यह विवाद दो पक्षों में है। हिंदू इसे अपने आराध्य राम की जन्मभूमि मानते हैं। मुसलमान इसे अपनी इबादतगाह। एक पक्ष का मानना है कि यह मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई गई थी। दूसरा पक्ष इससे इनकार करता है। एक के लिए यह आस्था और विश्वास का मामला है तो दूसरे के लिए भी यह इससे कम नहीं है। मुद्दे की बात यह है कि इस पर अपना दावा कौन छोड़े। दिक्कत सारी यही है कि छोड़ने को कोई तैयार नहीं है।बहरहाल आगे बढ़ते हैं। इस मुद्दे को समझा जाए। इसके इतिहास को जाना जाए। कैसे एक मुद्दा लगभग 500 साल से जिंदा है। इतनी लंबी उम्र कि पीढ़ियों की पीढ़ियां ही बीत गई। कैसे एक बादशाह एक धर्मस्थल के नाम पर लोगों के जेहन में आज भी जिंदा है। इसलिए जरूरी है कि उसकी बनाई मस्जिद से पहले थोड़ा उसके बारे में जाना जाए।1526 में पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने भारत में मुगल वंश की नींव रखी। उसने इस देश पर 1526 से 1530 तक राज किया। अपने शासनकाल में उसने जो किया, वो किया। लेकिन आज इस देश के आम लोग उसे सिर्फ और सिर्फ बाबरी मस्जिद के नाम पर जानते हैं। एक ऐसा निर्माण जो विवादों और विध्वंस का प्रतीक है। जो आज भी भाई-चारे और अमन के बीच जब-तब सवालिया निशान के रूप में खड़ा हो जाता है।इसकी अगली कड़ी मीर बाकी यानी बाबर का सेनापति था। यही वो सेनापति था, जिसने एक निर्माण को विवाद की जन्मभूमि के रूप में तैयार किया। इस विवाद के परिणाम को पीढ़ियां आज तक भोग रही हैं। माना जाता है कि बाबर ने इसे अवध सूबे का गवर्नर बनाया था। और इसी मीर बाकी ने एक मस्जिद बनाई थी, जिसे बाबरी नाम दिया। कुछ इसे 1527 का निर्माण बताते हैं, कुछ 1528 का। बहरहाल माना जाता है कि बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी।सिर्फ इतना ही नहीं कि हिंदू और मुस्लिम ही इसके पक्षकार हैं। एक पक्ष और है, वह है-बौद्ध। इस मामले में अयोध्या में रहनेवाले एक याचिकाकर्ता विनीत कुमार मौर्य भी शामिल हैं। उनका मानना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की खुदाई के दौरान मिले गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे यह दर्शाते हैं कि यह बौद्ध विहार था। उनका मानना है कि वह इस मामले के तीसरे पक्षकार हैं। इनका कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ही न्यायालय ने इनकी याचिका स्वीकार की है। इसके अलावा पुरातात्विक स्रोतों, बौद्ध साहित्य और चीनी यात्रियों के यात्रा वृतांत भी यही बताते हैं कि यह एक बौद्ध स्थल है। यही नहीं, याचिकाकर्ता ने न्यायालय से यह अपील भी की है कि वह इस विवादास्पद स्थल को बौद्ध विहार घोषित करे। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि राजा प्रसेनजीत के समय यह साकेत (अयोध्या) कहलाता था। बड़ी बात यह है कि दावे और दावेदारों की कमी नहीं है। बस, अगर कुछ कमी है तो वह है सदभाव की। इस मस्जिद से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि 1940 से पहले इसे \'मस्जिद-ए-जन्म अस्थान\' कहा जाता था। इस स्थान को भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है।पहली बार हिंसा1853 में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर पहली बार हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई। हिंदुओं ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ।
🕔tanveer ahmad

04-11-2019-नवंबर का महीना ठंड का होता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। देश की फिजा में एक अजीब-सी बैचेनी और गरमाहट है। 17 नवंबर को देश के सबसे चर्चित और विवादास्पद \'राम जन्मभूमि और बाबरी...

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