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 यूपी कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू ने कहा- यह फैसला फासलों को मिटाएगा

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू ने कहा- यह फैसला फासलों को मिटाएगा411

👤10-11-2019-
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि कांग्रेस सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करती है। यह निर्णय किसी भी पक्ष की जय और पराजय नहीं है। उम्मीद है कि यह फैसला फासलों को मिटायेगा। पूरे प्रदेश की जनता से अपील है कि भारत के संविधान में स्थापित सर्व धर्म समभाव और भाईचारे के उच्च मूल्यों को निभाते हुए अमन चैन बनाए रखें।लल्लू ने पहले मीडिया टीम को दी हिदायतदोपहर 12 बजे। फैसला आ चुका है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पार्टी की मीडिया टीम के साथ बैठक कर रहे हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व ने सुबह ही आगाह कर दिया था कि फैसला आने से पहले किसी को बोलना नहीं है। फैसले पर पार्टी का रूख आने के बाद ही बोला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत। ज्यादा बयानबाजी नहीं करनी है। प्रदेश अध्यक्ष यही हिदायत मीडिया टीम को दे रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष खुद 8 बजे ही पार्टी दफ्तर आ गए थे। बीच में, थोड़ी देर के लिए निकल कर गए थे। वापस दफ्तर में बैठे हैं। उनसे मिलने वाले सौ-सवा सौ लोग भी पार्टी दफ्तर पहुंचे हैं। प्रदेश अध्यक्ष सबसे मिल भी रहे हैं। डेढ़ बजने से पहले प्रदेश अध्यक्ष का आधिकारिक बयान भी आ गया है। 
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि कांग्रेस सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करती है। यह निर्णय किसी भी पक्ष की जय और पराजय नहीं है। उम्मीद है कि...

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अयोध्या केस फैसलाः मायावती बोलीं- सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान हो

अयोध्या केस फैसलाः मायावती बोलीं- सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान हो910

👤10-11-2019-बसपा सुप्रीमो मायावती ने अयोध्या मामले पर फैसला आने से पहले और बाद में ट्वीट कर लोगों से धैर्य का परिचय देने को कहा है। फैसला आने के बाद 1.11 बजे उन्होंने ट्वीट कर कहा कि डा. भीमराव आंबेडकर के धर्मनिरपेक्ष संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के संबंध में आम सहमति से दिए गए ऐतिहासिक फैसले का सभी को सम्मान करते हुए अब सौहार्दपूर्ण वातावरण में ही आगे का काम होना चाहिए। उन्होंने फैसला आने से पहले 9.39 बजे ट्वीट कर कहा कि अयोध्या प्रकरण अर्थात रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद के संबंध में फैसले पर इंतजार की घड़ी समाप्त हुई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय सुनाया जाने वाला है। सभी लोगों से पुनः अपील है कि वे कोर्ट का फैसला स्वीकार करें व इसका सम्मान करें और शांति बनाए रखें।बसपा कार्यालय के बाहर सन्नाटा और भीतर रही हलचलसुबह समय 11.45 मिनट बजे हैं। माल एवेन्यू स्थित बसपा का प्रदेश कार्यालय और मायावती के आवास के बाहर सन्नाटा पसरा हुआ है। आपाधापी वाली सड़कें पूरी तरह से सूनी नज़र आ रही हैं। न कोई दुकान खुली और न ही सड़कों पर गाड़ियों का शोर सुनाई दिया लेकिन अंदर का नजारा इसके ठीक विपरीत था। 
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-बसपा सुप्रीमो मायावती ने अयोध्या मामले पर फैसला आने से पहले और बाद में ट्वीट कर लोगों से धैर्य का परिचय देने को कहा है। फैसला आने के बाद 1.11 बजे उन्होंने ट्वीट कर कहा कि डा....

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पार्टी लाइन के कारण फैसले पर नहीं कर पा रहे खुशी का इजहार

पार्टी लाइन के कारण फैसले पर नहीं कर पा रहे खुशी का इजहार593

👤10-11-2019-अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शनिवार को दिन भर लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। सामान्य दिनों की अपेक्षा, थोड़ी-भीड़ जरूर थी लेकिन अपने उत्साह को दबाए हुए नजर आई। अयोध्या में राममंदिर निर्माण के पक्ष में आए कोर्ट के फैसले के बावजूद पार्टी में पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपनी खुशी खुलकर जाहिर नहीं कर पा रहे थे। पदाधिकारी एक-दूसरे को बधाई भी धीमी आवाज में दे रहे थे। हमेशा सुर्खियों में रहने की चाहत रखने वाले प्रवक्ता भी शनिवार को बोलने से कतरा रहे थे।\r\nहालांकि, केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने आधिकारिक रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं को फैसले पर कोई खुशी जैसी  प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर रोक नहीं लगाई थी। भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल लगातार दिल्ली के संपर्क में थे। वह चाहते थे कि दिल्ली से अनुमति के बाद ही यहां भी उसी लाइन पर भाजपा प्रवक्ता बोलें। दोपहर बाद सुनील बंसल के यहां से निर्देश लेकर आए पार्टी के प्रदेश महामंत्री ने दोपहर में पार्टी के प्रवक्ताओं के साथ बैठक कर कहा कि मीडिया के बीच केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के ही बयानों के आधार पर बोलें, इसके इतर कुछ न बोलें। पार्टी नेतृत्व ने फैसले पर उत्साह में आतिशबाजी करने और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाने और नारेबाजी करने पर अघोषित रूप से रोक लगा दी है। पार्टी नेतृत्व ने यह कहा कि जब ऊपर से कोई निर्देश आएगा, तभी कुछ आगे किया जाएगा।  इसलिए पदाधिकारी सार्वजनिक रूप से नहीं एक-दूसरे को कमरों में जाकर बधाई दे रहे थे। भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल के यहां बधाई देने वाले पदाधिकारियों का तांता लगा हुआ था। पार्टी पदाधिकारी फैसले की बारीकियों पर एक-दूसरे से बात करते दिखे।
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शनिवार को दिन भर लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। सामान्य दिनों की अपेक्षा, थोड़ी-भीड़ जरूर...

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अयोध्या फैसला: मस्जिद के नीचे था एक मंदिर, ASI से पहले यूपी पुरातत्व विभाग ने दिए थे सुबूत

अयोध्या फैसला: मस्जिद के नीचे था एक मंदिर, ASI से पहले यूपी पुरातत्व विभाग ने दिए थे सुबूत173

👤10-11-2019-अयोध्या में विवादित स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की खुदाई से पहले उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच अपने सर्वेक्षण में यह तथ्य खोज निकाले थे कि मस्जिद विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष पर बनाई गई थी। यही तथ्य उच्चतम न्यायालय में अहम आधार साबित हुए। उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग के तत्कालीन निदेशक डॉ. राकेश तिवारी की मानें तो अयोध्या में विवादित स्थल पर वर्ष 1528 में मीर बाकी द्वारा बनाई गई बाबरी मस्जिद के निर्माण में टूटे हुए मंदिर के अवशेष लगाए गए थे। तिवारी ने राज्य का पुरातत्व निदेशक रहते हुए 1990 में उच्च न्यायालय के आदेश पर विवादित ढांचे के भीतर और बाहर के हिस्सों का दस्तावेज तैयार किया था। इस दस्तावेज में उन्होंने हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाकर वहां मिले चिन्हों, अवशेषों की एक सूची बनाई थी। इसमें करीब 100 रंगीन और श्वेत-श्याम फोटोग्राफ शामिल थे। तिवारी 1989 से 2013 तक उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग में थे और वहां के निदेशक भी रहे। वर्ष 2013 में इस पद से रिटायर होने के बाद वह 2014 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक भी बने और इस पद पर उन्होंने 2017 तक कार्य किया। डॉ. तिवारी ने \'हिन्दुस्तान\' से खास बातचीत में बताया कि विवादित ढांचे के भीतर पत्थर के करीब 14 खम्भे थे। इन खम्भों पर योगासन की मुद्रा में खंडित मूर्ति, कलश व मंदिर के अन्य अवशेष लगे हुए थे। यह पूरी सामग्री उन्होंने तत्कालीन प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय को सौंपी थी। इसके बाद 1990 से 1992 के दौरान (विवादित ढांचे के विध्वसं से पूर्व) डॉ. राकेश तिवारी ने तत्कालीन प्रदेश सरकार के निर्देश पर विवादित स्थल के आसपास करवाए जा रहे समतलीकरण के कार्यों को दस्तावेज़ के रूप में बनाया था।\r\nपुरातत्व विभाग की टीम को प्रदेश सरकार ने वहां जाकर दस्तावेजीकरण के आदेश दिए थे। डॉ. तिवारी बताते हैं कि दस्तावेज तैयार करने के दरम्यान वहां विवादित स्थल के आसपास समतलीकरण के दौरान की गई खुदाई में शिव की त्रिशूल वाली मूर्ति मिली, नागा शैली के मंदिर के अवशेष मिले। इनमें ‘आमलक’ मुख्य था जो मंदिर के शिखर पर लगाया जाता है और आंवले के आकार का होता है। 6 दिसम्बर 1992 को जब विवादित ढांचा ढहा दिया गया तो कारसेवक उसका मलबा उठाकर रामकथा कुंज ले गए थे।\r\nयूपी पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. राकेश तिवारी ने बताया, \"यूपी पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच यह तथ्य खोज निकाले थे कि मस्जिद विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष पर बनाई गई थी। हमने हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाकर अवशेषों की एक सूची बनाई थी।\"
🕔 एजेंसी

10-11-2019-अयोध्या में विवादित स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की खुदाई से पहले उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच अपने सर्वेक्षण में यह तथ्य खोज निकाले...

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 देवाताओं के वकील 92 वर्षीय के. पराशरण ने जीती सबसे बड़ी लड़ाई

देवाताओं के वकील 92 वर्षीय के. पराशरण ने जीती सबसे बड़ी लड़ाई752

👤10-11-2019-उम्र को धता बताते हुए अयोध्या मामले में रामलला विराजमान की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. पराशरण ने फैसले के बाद राहत की सांस ली। उन्होंने हाल ही में कहा था कि उनकी आखिरी ख्वाहिश है कि उनके जीते जी रामलला कानूनी तौर पर विराजमान हो जाएं। पूरी ऊर्जा से अयोध्या मामले में अकाट्य दलीलें रखने वाले पराशरण को भारतीय वकालत का भीष्म पितामह यूं ही नहीं कहा जाता। उच्चतम न्यायालय ने अगस्त में जब अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई का फैसला किया तो विरोधी पक्ष के वकीलों ने कहा था कि उम्र को देखते हुए उनके लिए यह मुश्किल होगा लेकिन 92 बरस के पराशरण ने 40 दिन तक घंटों चली सुनवाई में पूरी शिद्दत से दलीलें पेश की ।\r\nबैठकर जिरह करने से कर दिया मना
न्यायालय में पराशरण को बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे। रामलला विराजमान से पहले सबरीमाला मामले में भगवान अयप्पा के वकील रहे पराशरण को भारतीय इतिहास, वेद पुराण और धर्म के साथ ही संविधान का व्यापक ज्ञान है । उन्होंने स्कन्ध पुराण के श्लोकों का जिक्र करके राम मंदिर का अस्तित्व साबित करने की कोशिश की। पराशरण ने सबरीमाला मंदिर विवाद के दौरान एक आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश नहीं देने की परंपरा की वकालत की थी। राम सेतु मामले में दोनों ही पक्षों ने उन्हें अपनी ओर करने के लिए सारे तरीके आजमाए लेकिन धर्म को लेकर संजीदा रहे पराशरण सरकार के खिलाफ गए।\r\nअटार्नी जनरल रह चुके हैं के पराशरण
नौ अक्टूबर 1927 को जन्मे पराशरण पूर्व राज्यसभा सांसद और 1983 से 1989 के बीच भारत के अटार्नी जनरल रहे। पद्मभूषण और पद्मविभूषण से नवाजे जा चुके पराशरण को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए ड्राफ्टिंग एंड एडिटोरियल कमिटी में शामिल किया था। इतिहास में जब भी अयोध्या मसले पर बरसों तक चली कानूनी लड़ाई का जिक्र होगा तो पराशरण का नाम सबसे ऊपर लिया जाएगा।
🕔 एजेंसी

10-11-2019-उम्र को धता बताते हुए अयोध्या मामले में रामलला विराजमान की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. पराशरण ने फैसले के बाद राहत की सांस ली। उन्होंने हाल ही में कहा था कि...

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भाजपा-सपा को संजीवनी, कांग्रेस को नुकसान के आसार

भाजपा-सपा को संजीवनी, कांग्रेस को नुकसान के आसार111

👤10-11-2019-अयोध्या विवाद में फैसला आने के बाद सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। सियासी जानकार इसे जहां भाजपा के लिए एक बार फिर फायदे का सौदा करार दे रहे हैं, वहीं सपा और कांग्रेस के लिए संघर्ष की राजनीति के दिन अभी खत्म होते नहीं दिख रहे।   कुछ ऐसी ही हालत मुस्लिम मतों के लिए हाथ-पैर मारने की कवायद में जुटी बहुजन समाज पार्टी की भी है। वैसे पूरे अयोध्या प्रकरण को राजनीतिक नफा- नुकसान के नजरिए से देखा जाए तो भाजपा के लिए यह मुद्दा एक बार फिर संजीवनी बन सकता है।  इसका फायदा उसे आने वाले दिनों में मिल सकता है। वहीं समाजवादी पार्टी ने भी इस मुद्दे से मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में करने में सफलता पाई लेकिन कांग्रेस लगातार इससे नुकसान में ही रही। सपा फैसले के बाद ऊहापोह में
भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी ही ऐसा दल रहा जिसे अयोध्या मुद्दे ने संजीवनी दी। भाजपा के आयोध्या आंदोलन के मुखर विरोध के चलते समाजवादी पार्टी के सर्वेसर्वा मुलायम सिंह की पार्टी को चार बार सत्ता पर काबिज होने का मौका मिला। फैसले के बाद अब कयास लगाया जाने लगा है कि सपा को एक बार नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ेगी। मौजूदा वक्त में सपा पहले वर्ष 2017 में कांग्रेस और वर्ष 2019 में बसपा से गठबंधन के बाद खुद को अकेले लड़ने के लिए तैयार कर रही थी। फैसले से उसके इस प्रयास को झटका लग सकता है।
 
भाजपा को फिर फायदे की उम्मीद
जानकारों की मानें तो भाजपा के लिए एक बार फिर नफे की जमीन तैयार होती नज़र आ रही है। भाजपा इसी मुद्दे के भरोसे शून्य से शिखर तक पहुंची और केंद्र व उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। यह बात दीगर है कि वक्त के साथ उसके एजेंडे में राममंदिर मुद्दा मुखर रूप से शामिल नहीं रहा लेकिन संघ व उसके आनुषंगिक संगठन इसे जरूर मुद्दा बनाए रहे और पार्टी इसे पर सधी रणनीति अपनाए रही। अब इस मुद्दे के जरिए एक बार फिर वर्ष 2022 में सत्ता तक पहुंचने की कोशिश करे तो हैरत नहीं।
 
अब तक नुकसान में रही कांग्रेस को दिखी नई उम्मीद
संयोग देखिए। ठीक 30 साल पहले आज ही के दिन 9 नवंबर 1989 को कांग्रेस ने अयोध्या में शिलान्यास कराया था और केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार का यह फैसला यूपी में कांग्रेस की विदाई का सबब बना। पूरे 30 साल से पार्टी देश के सबसे बड़े राज्य में हाशिए पर है और मौजूदा समय में भी चौथे नंबर की पार्टी है। इस प्रकरण में लगातार घाटे में रही कांग्रेस को फैसले से उम्मीद नज़र आ रही है कि अनुच्छेद - 370 के बाद अब राममंदिर मुद्दा भी भाजपा की झोली से दूर हो जाएगा। भावनाओं के ज्वार में सियासी लाभ उठाने की पहले जैसी कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाएंगी और स्थानीय मुद्दों के साथ रोजगार जैसे मुद्दे प्रभावी होंगे।
🕔tanveer ahmad

10-11-2019-अयोध्या विवाद में फैसला आने के बाद सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। सियासी जानकार इसे जहां भाजपा के लिए एक बार फिर फायदे का सौदा करार दे रहे हैं, वहीं सपा और कांग्रेस...

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उत्तर प्रदेश के दस मंडलों में बने 23 नए स्टेट हाईवे

उत्तर प्रदेश के दस मंडलों में बने 23 नए स्टेट हाईवे121

👤08-11-2019-उत्तर प्रदेश के 10 मंडलों के 24 जनपदों को जोड़ते हुए 2053.762 किलोमीटर लंबे 23 नए स्टेट हाईवे जल्द घोषित किए जाएंगे। इनमें बदायूं को भी शामिल किया गया है। जिले के स्टेट हाईवे घोषित होने वाले मार्गों में पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं तक 123.48 किलोमीटर लंबा मार्ग भी शामिल है। इस स्टेट हाईवे को एसएच 126 के नाम से जाना जाएगा। स्टेट हाईवे घोषित होने के बाद जो मार्ग तीन या पौने चार मीटर की चौड़ाई में बने हैं, उन्हें सात मीटर करने की तैयारी है। जो मार्ग सात मीटर चौड़ाई में बने हैं, वह यथावत रहेंगे।भाजपा सरकार में प्रमुख एवं अन्य जिला मार्गों को मिलाकर स्टेट हाईवे घोषित करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत 10 मंडलों के 24 जनपदों को जोड़ते हुए 23 मार्गों को स्टेट हाईवे घोषित कराने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजे गए थे। इनकी जांच के बाद सभी मार्गो को स्टेट हाईवे में परिवर्तित करने का निर्णय ले लिया गया है।इस संबंध में मुख्य अभियंता संजय कुमार गोयल मुख्यालय-1 पीडब्ल्यूडी लखनऊ द्वारा जो मार्ग तीन या पौने चार मीटर की चौड़ाई में बने है उन मार्गो को सात मीटर में तैयार कराने के लिए अलीगढ़, प्रयागराज, आजमगढ़, बरेली, अयोध्या, गोरखपुर, झांसी, बांदा, मध्यक्षेत्र, आगरा के चीफ इंजीनियरों से आगणन मांगा है। माना जा रहा है कि आगणन मिलने के बाद प्रस्तावित 23 स्टेट हाईवे की घोषणा कर दी जाएगी।लखनऊ-शाहजहांपुर की दूरी हो जाएगी कम
पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं स्टेट हाईवे बनने के बाद शाहजहांपुर की दूरी करीब 28 किलोमीटर कम हो जाएगी। वर्तमान में मार्ग बढ़िया न होने की वजह से लोग बरेली होकर शाहजहांपुर जाना पसंद करते हैं। बरेली होकर शाहजहांपुर की दूरी 140 किलोमीटर पड़ती है। बदायूं-दातागंज-तिलहर होकर शाहजहांपुर की दूरी 112 किलोमीटर रह जाएगी। जब सीधा स्टेट हाईवे बन जाएगा, तब लोग दातागंज होकर शाहजहांपुर लखनऊ जा सकेंगे। तिलहर से निगोही होकर पुवायां भी आसानी से पहुंच सकेंगे।दुधवा नेशनल पार्क तक पहुंना होगा आसान
पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं मार्ग स्टेट हाईवे होने के बाद दुधवा नेशनल पार्क तक पहुंचना भी आासन हो जाएगा। इधर से लोग शॉर्ट कट कम दूरी की वजह से आसानी से दुधवा तक जा सकेंगे।इन जनपदों में बनेंगे स्टेट हाईवे
एटा, फर्रुखाबाद, मथुरा, प्रयागराज, आजमगढ़, बरेली, शाहजहांपुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, उरई, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, हरदोई, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी।ये हैं होने वाले स्टेट हाईवे के मार्गों के नाम
एटा-कायमगंज-फर्रुखाबाद मार्ग, मथुरा-सादाबाद-जलेसर-अवागढ़ मार्ग, सिरसा-कोरांव-डममडगंज मार्ग, बूढ़नपुर-दीदारगंज से मेंहनाजपुर-औड़िहार मार्ग, भमौरा-शाहबाद-बिलारी मार्ग, पुवायां-निगोही-तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं, सौरिख-कुसमरा-मैनपुरी-अलीगंज-कादरगंज-पटियाली बदायूं समेत 23 मार्ग शामिल हैं।शासन स्तर से प्रदेश के 10 मंडलों में 24 जनपदों को जोड़ते हुए 23 स्टेट हाईवे घोषित किए जाएंगे। जिसमें बरेली मंडल से भमौरा शाहबाद बिलारी एवं पुवायां निगोही, तिलहर, जैतीपुर, दातागंज-बदायूं मार्ग शामिल है। दोनों मार्गो का आगणन शासन को भेजा जा रहा है। -डीके मिश्रा, एसई बरेली
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-उत्तर प्रदेश के 10 मंडलों के 24 जनपदों को जोड़ते हुए 2053.762 किलोमीटर लंबे 23 नए स्टेट हाईवे जल्द घोषित किए जाएंगे। इनमें बदायूं को भी शामिल किया गया है। जिले के स्टेट हाईवे घोषित...

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स्टेट गेस्ट हाउस कांड ने बदल दी थी उत्तर प्रदेश की सियासत

स्टेट गेस्ट हाउस कांड ने बदल दी थी उत्तर प्रदेश की सियासत368

👤08-11-2019-यह वह वक्त था जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में गठबंधन प्रयोग का दौर शुरू हुआ था। कांशीराम की अगुवाई वाली पार्टी बसपा से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 में गठबंधन करके राजनीति की नई इबारत लिखी थी। दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन पर लड़कर सत्ता की सीढ़ियां तो चढ़ीं, लेकिन दो साल बाद ही इस रिश्ते में ऐसी दरार पड़ी कि इसकी परिणति स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में 2 जून 1995 को सामने आई।24 साल पहले आखिर ऐसा क्या हुआ था, जिसे खुद मायावती कभी भुला नहीं सकीं। इस घटना में मायावती की जान खतरे में थी, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा नेता लाल जी टंडन ने वहां पहुंचकर उन्हें बचाया था। उस वक्त मौजूदा डीजीपी ओपी सिंह लखनऊ के एसएसपी थे। मायावती ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनते ही उन्हें निलंबित कर दिया था।राजभवन के हस्तक्षेप के बाद सक्रिय हुई थी पुलिस
वर्ष 1993 के यूपी चुनाव में बसपा और सपा में गठबंधन हुआ था। जिसकी बाद में जीत हुई। मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने, लेकिन आपसी खींचतान के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया। इससे मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई। इससे नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने सांसद, विधायकों के नेतृत्व में लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव कर शुरू कर दिया। घंटों ड्रामा चला। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। बाद में भाजपा के हस्तक्षेप और मामला राजभवन पहुंचने पर पुलिस सक्रिय हुई।बसपा विधायकों का हो गया था अपहरण
बसपा सुप्रीमो वहां कमरा नंबर-1 में रुकी हुईं थीं। उनके साथ बसपा विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा के लोगों से मारपीट कर उन्हें बंधक बना लिया। मायावती ने खुद को बचाने के लिए कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। इस बीच सपा के दबंग विधायक एक-एक कर बसपा के विधायकों को उठाकर अगवा करने लगे। गेस्ट हाउस के बाहर खड़ी फोटोग्राफरों ने इसे कैमरे में कैद किया और बाद में सीबीसीआईडी ने इसे बतौर सुबूत इस्तेमाल किया। इस कांड में हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए। इस मामले की तफ्तीश सीबीसीआईडी को दी गई और सीबीसीआईडी ने अरोपपत्र अदालत में दाखिल किया। सरकारें आती और जाती रहीं। स्टेट गेस्ट हाउस कांड का लखनऊ से शुरू हुआ मुकदमा अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-यह वह वक्त था जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में गठबंधन प्रयोग का दौर शुरू हुआ था। कांशीराम की अगुवाई वाली पार्टी बसपा से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 में गठबंधन करके राजनीति...

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होमगार्ड भर्ती में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी

होमगार्ड भर्ती में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी594

👤08-11-2019-होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि होमगार्ड की लंबित भर्तियों में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। शासन स्तर पर गंभीरता से इस पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शासन द्वारा बीते दिनों हटाए गए सभी 25 हजार होमगार्ड जवानों की ड्यूटियों को बहाल कर दिया गया है।जवानों को आधुनिक प्रशिक्षण देकर जिम्मेदारी दी जाएगी। खाली बैठे जवानों की ड्यूटियां मिलेंगी। गुरुवार को होमगार्ड मुख्यालय में विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक लेने पहुंचे होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान को जवानों ने सलामी दी। अब जवानों को 500 रुपए दैनिक भत्ते में बढ़ोत्तरी कर 702 रुपए कर दिया गया है। रामजन्म भूमि फैसले के चलते अयोध्या में डेढ़ हजार होमगार्डों को लगाया गया है।समीक्षा बैठक में मंत्री द्वारा बताया गया कि दो माह में 229 मृतक जवानों के आश्रितों को नौकरी दी गई। इन आश्रितों को दौड़ में असफल होने पर दोबारा दौड़ में शामिल होने का मौका मिलेगा। काफी समय से लंबित पदोन्नति की कार्रवाई कर आठ अधिकारियों को एसीपी का लाभ दिया गया। 45 जिला कमाण्डेण्ट का स्थायीकरण किया गया। प्रयागराज, कानपुर, झांसी एवं आगरा तथा जिला कार्यालय हमीरपुर एवं जौनपुर के निर्माण कार्यों आखिरी चरण में है। इस मौके पर प्रमुख सचिव होमगार्ड्स अनिल कुमार, प्रमुख सचिव, विशेष सचिव सत्येन्द्र सिंह, डीजी होमगार्ड जीएल मीना, डिप्टी कमाण्डेंट रणजीत सिंह व विवेक कुमार सिंह आदि प्रदेश के अधिकारी मौजूद थे।जवानों की ड्यूटी में पारदर्शिता बरतें
मंत्री चौहान ने समीक्षा बैठक में डीजी समेत सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि होमगार्ड जवानों की ड्यूटी लगाने के नाम पर किसी भी प्रकार की शिकायतें न मिलें। यदि किसी भी जिले से शिकायत मिलती है तो जिला कमाण्डेंट की जिम्मेदारी होगी। जवानों के कल्याण एवं उनकी समस्याओं के निराकरण के अलावा ड्यूटी भत्ते का समय में भुगतान आदि का विशेष ध्यान रखा जाए।1500 होमगार्ड अयोध्या भेजे गए
अयोध्या रामजन्म भूमि प्रकरण के फैसले के मद्देनजर मंत्री चेतन चौहान ने बताया कि 1500 होमगार्ड जवानों को अयोध्या में शांति व्यवस्था एवं सुरक्षा हेतु भेजा गया है। यह जवान पुलिस व अन्य बलों के साथ जिम्मेदारी निभाएंगे। जवानों को दंगा निरोधक उपकरणों के साथ लगाया गया है।
🕔tanveer ahmad

08-11-2019-होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि होमगार्ड की लंबित भर्तियों में महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। शासन स्तर पर गंभीरता से इस पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा...

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फैसला आने से पहले एक और अग्नि परीक्षा से गुजरी अयोध्या

फैसला आने से पहले एक और अग्नि परीक्षा से गुजरी अयोध्या738

👤08-11-2019-राम मंदिर/बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले प्रभु राम की नगरी अयोध्या एक और अग्नि परीक्षा से गुजरी। मौका था चौदह कोसी के बाद पंचकोसी परिक्रमा का। गुरुवार की सुबह से ही लाखों की संख्या में स्थानीय और देश के विभिन्न हिस्सों से आए रामभक्तों की भीड़ परिक्रमा पथ पर चलायमान हो गयी। हर तरफ जयश्रीराम का उद्घोष गूंजने लगा।कार्तिक पूर्णिमा मेला का प्रथम चरण चौदह कोसी परिक्रमा के रूप में 15 से 20 लाख श्रद्धालुओं की मौजूदगी में सकुशल निपट गया। इसके बाद दूसरे चरण में गुरुवार की सुबह से पंचकोसी परिक्रमा का आगाज हो गया। इस परिक्रमा में वे श्रद्धालु भी शामिल हुए जो चौदह कोसी परिक्रमा कर चुके हैं। इसके अलावा बड़ी तादात ऐसे श्रद्धालुओं की रही जो विभिन्न प्रांतों से पंचकोसी परिक्रमा करने के लिए आए थे। इस परिक्रमा में स्थानीय नागरिकों की भी बड़ी संख्या में भागीदारी हो रही है। गुरुवार की सुबह से शुरू हुई पंचकोसी परिक्रमा में इसके समापन तक यानी शुक्रवार की दोपहर तक 20 से 25 लाख रामभक्तों के शामिल होने की संभावना है।विभिन्न चरणों में होने वाले धार्मिक आयोजन बेहद संवेदनशील
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार के दौर में इस बार कार्तिक पूर्णिमा मेला के तहत विभिन्न चरणों में होने वाले धार्मिक आयोजन बेहद संवेदनशील हो गए हैं। इसीलिए प्रशासन और पुलिस की ओर से खास सतर्कता बरती जा रही है। चौदह कोसी परिक्रमा के बाद पंचकोसी परिक्रमा में भी परिक्रमा पथ पर हर तरफ सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए थे। विशेष सुरक्षा घेरे में आस्था के पग पर हर आयु वर्ग के महिला, पुरुष, बुजुर्ग, युवा और बच्चों के कदम राम नाम का जप करते हुए आगे बढ़ते रहे। समूचा मेला क्षेत्र एटीएस और आरएएफ समेत अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ पुलिस और पीएसी की निगरानी में है। शासन ने एडीजी स्तर के अधिकारी को यहां कैम्प करने के लिए भेज दिया है। आईजी डॉ. संजीव गुप्त, कमिश्नर मनोज मिश्र, डीएम अनुज झा और एसएसपी आशीष तिवारी के निर्देशन में लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी को व्यवस्थित किया जा रहा है।फैसले की घड़ी के लिए तैयार किए जा रहे नागरिक
इस बीच कार्तिक पूर्णिमा मेला के प्रारंभिक दो चरण चौदह कोसी व पंचकोसी परिक्रमा समाप्त होने के बाद प्रशासन और पुलिस की नजर अब 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान और फिर उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तिथि पर केंद्रित हो गई है। कार्तिक पूर्णिमा स्नान तक मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था प्रभावी रहेगी। इस बीच सुप्रीम फैसले के मद्देनजर सुरक्षा प्लान आने वाले दिनों के लिए नए सिरे से लागू किया जाएगा। पुलिस महकमा और प्रशासन के अफसर समूचे जनपदवासियों को फैसले की घड़ी के लिए तैयार कर रहे हैं। इसके लिए गांव-गांव जनचौपाल आयोजित हो रही है। अयोध्या जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में सभी संवेदनशील स्थानों पर भारी फोर्स की तैनाती कर दी गयी है। प्रमुख मार्गों के साथ गलियों में भी फोर्स मुस्तैद हो रही है। अयोध्या में रामलला समेत अन्य मंदिरों के आसपास सुरक्षा घेरा अभी और सख्त किया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी हो गयी है। 
🕔tanveer ahmad

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