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सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमलेश की पत्नी को दी 15 लाख की मदद

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कमलेश की पत्नी को दी 15 लाख की मदद432

👤24-10-2019-\r\nमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमलेश तिवारी के परिवार की मदद के लिए उनकी पत्नी को तात्कालिक रूप से 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही परिवार को सीतापुर की महमूदाबाद तहसील में एक आवास की सुविधा देने का निर्देश भी दिया है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि कमलेश तिवारी की हत्या के अपराध में गिरफ्तार किए गए मुख्य अभियुक्तों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रभावी कार्रवाई की जाए। साथ ही साजिश में शामिल अभियुक्तों के विरुद्ध भी प्रभावी अभियोजन की कार्रवाई की जाए। साथ ही मुख्यमंत्री ने हत्याकांड का ट्रायल फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हत्याकांड की साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाए।\r\nमंगलवार को पकड़े गए थे दोनों हत्याभियुक्त
हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की नृशंस हत्या करने वाले अशफाक हुसैन और मोइनुद्दीन खुर्शीद पठान को गुजरात एटीएस ने मंगलवार की शाम गुजरात-राजस्थान सीमा से गिरफ्तार किया था। गुजरात के अरवल्ली जिले के शामलाजी से दोनों को पकड़ा गया। इससे पहले दोनों अभियुक्त पुलिस को चकमा देकर यूपी से निकल गए थे। रास्ते से सूरत में अपने परिवार से संपर्क करने पर वे गुजरात एटीएस के रडार पर आ गए। गुजरात एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ला का कहना था कि दोनों ने अपना गुनाह भी कुबूल कर लिया है। इन्हीं दोनों ने 18 अक्तूबर को लखनऊ के खुर्शेदबाग में कमलेश तिवारी की उनके घर में ही हत्या कर दी थी। दोनों भगवा कुर्ते में वारदात को अंजाम देने पहुंचे थे। हत्या के बाद होटल खालसा इन में कपड़े बदलने के बाद दोनों ने लखनऊ छोड़ दिया था।
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24-10-2019-\r\nमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमलेश तिवारी के परिवार की मदद के लिए उनकी पत्नी को तात्कालिक रूप से 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही परिवार को सीतापुर...

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बुलंदशहर मंदिर मामले में यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी जवाब

बुलंदशहर मंदिर मामले में यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी जवाब190

👤24-10-2019-उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा है कि बुलंदशहर के मंदिर के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो सवाल उठाये गये हैं उनके जवाब प्रदेश सरकार की ओर से अगले छह सप्ताह में दाखिल किये जाएंगे।उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि 2006 और 2010 में बुलंदशहर के उपरोक्त मंदिर में प्रशासनिक व्यवस्था किस कानून के आधार पर तय की गई। अवनीश अवस्थी के अनुसार प्रदेश में मंदिरों की प्रशासनिक व्यवस्था तय करने के बारे में कोई कानून नहीं है।उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक कमेटी बनी थी। उस वक्त मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्था में जो हस्तक्षेप हुआ, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने काफी तल्ख टिप्पणी की है। श्री अवस्थी के अनुसार इस मामले में प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया जाएगा। 
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24-10-2019-उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा है कि बुलंदशहर के मंदिर के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो सवाल उठाये गये हैं उनके जवाब प्रदेश सरकार की ओर से अगले...

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कमलेश हत्याकांड : आज आमने-सामने होंगे हत्यारे और साजिशकर्ता

कमलेश हत्याकांड : आज आमने-सामने होंगे हत्यारे और साजिशकर्ता604

👤24-10-2019-कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश रचने के मुख्य आरोपी राशिद पठान उर्फ रशीद ने रिमांड के पहले दिन बुधवार को बताया कि कैसे पूरा प्लान बनाया, किसने क्या-क्या मदद की। हालांकि एटीएस और एसआईटी के कई सवालों पर वह उलझा भी रहा। कुछ जवाब देकर उसने पुलिस अफसरों को भी खूब उलझाने की कोशिश की। हालांकि बाद में अफसरों ने यह कहा कि जो कुछ भी बोला है, उसका सच गुरुवार को हत्यारोपी अशफाक और मोइनुद्दीन से आमना-सामना कराने पर पता चला जायेगा। एटीएस के एक अधिकारी ने बताया कि पूछताछ पहले ही काफी हो चुकी थी। रिमांड के पहले दिन पुराने सवाल ही दोहराये जाते रहे। कुछ नये तथ्य जरूर पता चले हैं जिस आधार पर बरेली, शाहजहांपुर और पीलीभीत पुलिस को पड़ताल करने को कहा गया है। जेल में सोये नहीं रात भर
एटीएस सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को सीजेएम के यहां पेश करने के बाद तीनों साजिशकर्ता मोहसिन शेख, राशिद और फैजान को लखनऊ जेल भेज दिया गया। रिमांड अवधि गुरुवार सुबह शुरू हुई। इसके लिए जब एटीएस के अफसर तीनों को लाने के लिए जेल पहुंचे तो वहां पता चला कि तीनों रात भर जागते रहे थे।फडिंग की बात पर गोलमोल जवाब
पड़ताल में आया था कि राशिद ने ही सूरत में दोनों हत्यारों के लिये रुपये जुटाये थे। पर, इस बारे में जब पूछा गया तो वह साफ मुकर गया। उसने बताया कि अशफाक को 20 हजार रुपये दिये थे जो उसने जरूरत के लिये मांगे थे।महिला से पहचान करायी जायेगी
घटना के बाद पुलिस को हत्यारों के फुटेज मिले थे तो एक में लाल रंग का कुर्ता पहने हुए साथ चल रही महिला भी दिखी थी। फुटेज जब वायरल हुए तो महिला और उसके पति ने खुद पुलिस अफसरों से संपर्क किया था। अब तक की पड़ताल में महिला की कोई संलिप्तता नहीं मिली है। एटीएस अफसर गुरुवार को इस महिला से भी हत्यारों की पहचान गोपनीय तरीके से करायेंगे।
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24-10-2019-कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश रचने के मुख्य आरोपी राशिद पठान उर्फ रशीद ने रिमांड के पहले दिन बुधवार को बताया कि कैसे पूरा प्लान बनाया, किसने क्या-क्या मदद की। हालांकि...

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पीसीडीएफ के सैकड़ों कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

पीसीडीएफ के सैकड़ों कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत448

👤24-10-2019-हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रादेशिक को-ऑपरेटिव डेयरी फ़ेडरेशन (पीसीडीएफ) के सैकड़ों कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी देने के सहायक श्रम आयुक्त, लखनऊ के आदेश को बरकरार रखते हुए, पीसीडीएफ की ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ग्रेच्युटी प्रदान किये जाने के मामलों में ग्रेच्युटी अधिनियम पर स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना या अन्य किसी नियम का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ सकता।  यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने पीसीडीएफ की ओर से सहायक श्रम आयुक्त के आदेशों को चुनौती देने वाली 93 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए, पारित किया है। सहायक श्रम आयुक्त ने सैकड़ों कर्मचारियों के प्रार्थना पत्रों पर अलग-अलग आदेश पारित करते हुए, पीसीडीएफ को ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी का भुगतान करने के आदेश दिये थे।दरअसल 24 सितंबर 2015 को पीसीडीएफ की ओर से स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (वीआरएस) लाई गई जिसमें कहा गया कि वीआरएस लेने वाले सभी कर्मचारियों को पीसीडीएफ की ग्रेच्युटी योजना के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा। 30 सितंबर 2015 को इसे स्पष्ट करते हुए, कहा गया कि साढे तीन लाख रुपये से अधिक ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान नहीं किया जाएगा। जिसके बाद तमाम कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया व फरवरी 2016 तक साढे तीन लाख रुपये की ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान उन्हें प्राप्त हो गया। बाद में कर्मचारियों की ओर से ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत कुल साढे छह लाख रुपये के ग्रेच्युटी के भुगतान की मांग की गई।कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 14 को उद्धत करते हुए कहा कि ग्रेच्युटी अधिनियम की उक्त धारा यह स्पष्ट करती है कि कोई भी करार या को-ऑपरेटिव सोसायटीज एक्ट अथवा कोई अन्य नियम ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत भुगतान करने के आड़े नहीं आ सकता। वहीं कोर्ट ने पीसीडीएफ द्वारा दिये वितीय संकट की दलील को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी का भुगतान करने का उसका दायित्व है, वह यह कहकर नहीं बच सकता कि उसकी वित्तीय हालत ठीक नहीं है। 
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24-10-2019-हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रादेशिक को-ऑपरेटिव डेयरी फ़ेडरेशन (पीसीडीएफ) के सैकड़ों कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी देने...

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50 हजार रुपये किलो की सोने की मिठाई एक्जॉटिका बाजार में

50 हजार रुपये किलो की सोने की मिठाई एक्जॉटिका बाजार में367

👤24-10-2019-दिवाली में अब कुछ ही दिन का वक्त रह गया है। रोशनी के इस त्योहार में मिठाइयां और ड्राई फ्रूट्स की मिठास खुशियों को दोगुना कर देती है। एक दूसरे का मुंह मीठा कराना हो या गिफ्ट देने की परम्परा निभाना, मिठाइयां और ड्राई फ्रूट्स पहली पसंद होते हैं। शहर के सभी बाजारों में स्वादिष्ट मिठाइयों की दुकानें सज चुकी हैं। साथ ही ड्राई फ्रूट्स की लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं। सोने की मिठाई एक्जॉटिका, कीमत 50 हजार रुपये किलो
इस दिवाली बाजार में सोने की मिठाई आई है, जिसकी कीमत है 50 हजार रुपये किलो। इसका नाम है एक्जॉटिका। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान से मेवे मंगाकर डाले गए हैं और इन पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई है। सदर के प्रतिष्ठित मिष्ठान भंडार रविंद्र गुप्ता ने बताया कि सोने की मिठाइयां, बिल्कुल सोने के बिस्कुट जैसी दिखती हैं क्योंकि इनके ऊपर 24 कैरेट शुद्ध सोने की परत चढ़ाई गई है और इसकी लज्जत बढ़ाने के लिए इसमें ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के मैकडामिया नट्स, अमेरिका की ब्लैकबेरी, अफगानिस्तान के काले मुनक्के, चिलगोजे और कश्मीर का केसर मिला है। इन्हें इस दिवाली पर तोहफा देने के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है। गिफ्ट देने के लिए ड्राई फ्रूट्स बनी पहली पसंद 
दिवाली में इस बार मिठाई की जगह अपनों को देने के लिए लोग मिठाईयों की जगह ड्राई फ्रूट्स को अधिक पंसद कर रहे हैं। बाजार में ड्राई फ्रूट्स सहित मिठाईयों के गिफ्ट पैक से दुकाने गुलजार हो चुकी है। आकर्षक पैकेट में सभी रेंज में ड्राई फ्रूट्स की खरीदारी के साथ-साथ दुकानों में इसके लिए ऑर्डर की बुकिंग भी हो रही है। 60 फीसदी तक बढ़ी ड्राई फ्रूट्स की मांग 
गोमतीनगर के विभूतिखंड स्थित प्रतिष्ठित मिष्ठान विक्रेता सृजल गुप्ता ने बताया कि दिवाली पर पहले की तुलना में अब गिफ्ट पैक ने ले ली है। उन्होंने बताया कि ड्राई फ्रूट्स के आकर्षक व सुनहरे पैक में चार से लेकर छह खाने के पैक हैं।  उन्होंने बताया कि दिवाली पर सामान्य महीने की तुलना में 60 फीसदी बिक्री व मांग बढ़ गई है। बाजार में डिजाइनर मिठाई का क्रेज
बदलते दौर में जब सब कुछ बदल रहा है, ऐसे में मिठाई बाजार ने भी अपना अंदाज चेंज किया है। अब तक पारंपरिक आकार व रूप में मिठाई बिकती थी, लेकिन नई पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए स्वीट्स दुकानदार काजू स्ट्रॉबेरी, मेवा पान, पिस्ता पत्ता, काजू रोज, मेवा लड्डू, काजू कमल, काजू मैंगो, काजू एप्पल सहित कई तरह की डिजाइन में मिठाई बना रहे हैं। इन मिठाइयों की पैकिंग भी ऐसी कि देखते ही मुंह में पानी आ जाए।कैसी-कैसी डिजाइनर मिठाई
- बनारसी पान जैसे लुक में बेहद टेस्टी मिठाई
- सेब के आकार में रंग भी वैसा और स्वाद भी
- दिखने में आम और खुशबू भी वैसी
- पिंक रोज दिखने में फूल और टेस्ट में काजूकतली
- खिलौना गाड़ी जैसी दिखावट और स्वाद में बंगाली रसगुल्लालड्डू का भरोसा कायम 
हजरतगंज के मिठाई विक्रेता पंकज गुप्ता ने बताया कि दिवाली के लिए लोगों का भरोसा अभी भी परंपरागत रूप से बनाये जाने वाले लड्डू पर कायम है। लोग दिवाली के लिए लड्डू को ही सबसे अधिक ऑर्डर दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि लड्डू के लिए गिफ्ट पैक भी छोटे व बड़े साइज में हैं। इसके अलावा काजू कतली का गिफ्ट पैक अधिक आर्डर में है। 
🕔 एजेंसी

24-10-2019-दिवाली में अब कुछ ही दिन का वक्त रह गया है। रोशनी के इस त्योहार में मिठाइयां और ड्राई फ्रूट्स की मिठास खुशियों को दोगुना कर देती है। एक दूसरे का मुंह मीठा कराना हो या गिफ्ट...

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हत्यारों ने घरवालों से कुछ भी नहीं छुपाया, वारदात की दी हर जानकारी, ऐसे हुआ खुलासा

हत्यारों ने घरवालों से कुछ भी नहीं छुपाया, वारदात की दी हर जानकारी, ऐसे हुआ खुलासा776

👤24-10-2019-\r\nहिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की 18 अक्तूबर को हत्या करने वाले अशफाक और मोइनुद्दीन भी घायल हुए थे। ये दोनों लोग पिस्टल से लैस थे। पहली गोली कमलेश के गले पर लगी लेकिन इससे मोइनुद्दीन भी घायल हुआ था। मोइनुद्दीन गोली लगने से घायल हुआ तो अशफाक हड़बड़ा गया था। इसके बाद ही दोनों ने कमलेश को चाकुओं से गोद डाला था। एटीएस और एसटीएफ ने दोनों हत्यारों की अपने परिवार से बातचीत करते समय यह सब सर्विलांस की मदद से सुना था।  सूरत में जो साजिश रची गई थी, उसके मुताबिक दोनों को दो पिस्टल लेकर ही कमलेश के घर जाने को कहा गया था। यह भी निर्देश था कि पिस्टल मिठाई के डिब्बे में छिपा कर ले जाना और बातचीत के दौरान मौका मिलते ही कमलेश को गोलियों से छलनी कर देना। दोनों ने ऐसा ही किया लेकिन फायर करने में मोइनुद्दीन के गोली लगने से तरीका बदलना पड़ गया था।\r\nघटना के बाद 6:30 बजे पहुंचे थे बरेली
एटीएस के मुताबिक खुर्शेदबाग में हत्या करने के बाद ये लोग होटल पहुंचे थे। होटल में 16 मिनट में कपड़े बदले, फिर वहां से स्टेशन पहुंचे। यहां से करीब पांच घंटे बाद बरेली पहुंच गए थे। बरेली में पहुंचकर पहले सूरत, फिर नागपुर में अपने मददगारों को फोन किया। इसके बाद ही यह मौलाना सैय्यद कैफी अली रिजवी के पास दरगाह पहुंचे।\r\nमौलाना से कहा-हिन्दू नेता को मारकर आये हैं
मौलाना सैय्यद कैफी इस समय एटीएस की हिरासत में हैं। सूत्रों के मुताबिक सैय्यद कैफी ने कहा कि जब ये लोग वहां पहुंचे तो कई और लोग भी थे। इन सभी के सामने दोनों ने कहा कि हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की हत्या कर दी है। उनके हाथ में चोट लगी थी इस पर उन्होंने उसकी मरहम पट्टी करवाई थी। कैफी ने यह भी कहा कि एक बार मन में आया कि पुलिस को बता दें लेकिन फिर वह हिम्मत नहीं जुटा सका।\r\nऐसे की थी हत्या
बरेली में मौलाना के सामने अशफाक ने बताया था कि हत्या उसने कैसे की। उसने मौलाना व वकील से कहा कि हम दोनों लोग कमलेश के कमरे में बैठे थे। इस बीच ही एक बात के जवाब पर कमलेश से कहा कि मैं आपको कान में कुछ बताना चाहता हूं। जब कमलेश उसकी बात सुनने के लिये आगे आये, बस अशफाक ने कान के पास जाकर उसके गले पर चाकू मार दिया। इससे कमलेश की चीख निकली तो मोइनुद्दीन ने उसका मुंह दबा दिया। फिर अशफाक ने कमलेश पर गोली चला दी। यह गोली मोइनुद्दीन के दाहिने हाथ में लगने के बाद कमलेश को लगी थी। इसके बाद उन लोगों ने चाकू से कई वार किये। इस वार के दौरान ही एक चाकू अशफाक के भी लग गया था। हालांकि एटीएस और यूपी पुलिस के बीच इस बात को लेकर संशय बना हुआ है कि पहले गोली मारी या चाकू
🕔 एजेंसी

24-10-2019-\r\nहिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की 18 अक्तूबर को हत्या करने वाले अशफाक और मोइनुद्दीन भी घायल हुए थे। ये दोनों लोग पिस्टल से लैस थे। पहली गोली कमलेश के गले पर लगी...

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ट्रैक्टर की टक्कर से बाइक सवार तीन की मौत

ट्रैक्टर की टक्कर से बाइक सवार तीन की मौत 209

👤24-10-2019-रायबरेली जिले में नौटंकी देख कर घर लौट रहे तीन बाइक सवार ट्रैक्टर की टक्कर से घायल हो गये। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उन्हें ऊंचाहार सीएचसी पहुंचाया जहां तीनों ने दम तोड़ दिया।जानकारी के मुताबिक मोहम्मद कजियाना गांव के पूरे बुढ़ान पुर निवासी साहब( 28) पुत्र निजाम बसंत साहू( 30 )पुत्र रामप्रसाद संजय( 18) पुत्र अमरनाथ तिवारीपुर से नौटंकी देख कर गुरुवार को करीब 4 बजे सुबह घर लौट रहे थे। तभी कोहरे के चलते लल्ली चक्की चौराहा के निकट ट्रैक्टर की चपेट में इनकी बाइक आ गयी।  जिससे ये तीनों घायल हो गये। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायलों को ऊंचाहार सीएचसी पहुंचाया। जहां घायलों ने दम तोड़ दिया । थानाध्यक्ष धीरेन्द्र यादव ने बताया मृतको के परिजनो को सूचना दे दी गयी है। शवों को पोस्टमार्टम के लिये भेजा जा रहा है।
🕔tanveer ahmad

24-10-2019-रायबरेली जिले में नौटंकी देख कर घर लौट रहे तीन बाइक सवार ट्रैक्टर की टक्कर से घायल हो गये। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उन्हें ऊंचाहार सीएचसी पहुंचाया जहां तीनों ने दम तोड़ दिया।जानकारी...

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पहले राउंड से ही दिखा आजम खां का रुतबा, हर राउंड में सपा को बढ़त

पहले राउंड से ही दिखा आजम खां का रुतबा, हर राउंड में सपा को बढ़त 95

👤24-10-2019-जिस सीट से आजम खां 9 विधायक रहे उस सीट पर इस उपचुनाव में उनकी पत्नी तजीन फातिमा चुनावी मैदान में थी। जैसे-जैसे वोटों की गिनती पूरी होती गई वैसे वैसे आजम का रूतबा बढ़ता गया। हर राउंड की गिनती के सपा प्रत्याशी अपने विरोधियों से आगे रहीं। बता दें कि यह चुनाव आजम खान की प्रतिष्ठा का भी सवाल था, जिस तरीके से एक  के बाद एक उन पर मुकदमें दर्ज हुए और पूछताछ हुई उससे बाद से माना जा रहा था कि चुनाव परिणाम ही यह बताएंगे की जनता को उनपर विश्वास है या नहीं। आजम ने हर रैली में भी लोगों से भावुक अपील की थी, कई रैलियों में तो उनकी आंखों से आंसू भी निकल गए थे। जानते हैं किस राउंड में किसे कितने वोट मिले : पहला राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 2986 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 1392 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 160 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 61 वोटदूसरा राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 6364 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 2749 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 402 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 113 वोटतीसरा राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 10143 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 4316 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 630 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 147 वोटचौथा राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 13437 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 5802 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 855 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 214 वोटपांचवां राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 16017 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 7387 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 1005 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 268 वोट छठवां राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 19283 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 8297 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 1157 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 306 वोटसातवां राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 22100 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 9937 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 1307 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 341 वोटआठवां राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 24594 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 11233 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 1469 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 395 वोटनौवां राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 26629 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 13405 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 1648 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 429 वोटदसवां राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 28247 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 16464 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 1783 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 473 वोट11वां राउंडडॉ. तजीन फातम (सपा) - 31808 वोटभारत भूषण (भाजपा) - 17593 वोटअरशद अली गुड्डू (कांग्रेस) - 1950 वोटज़ुबैर मसूद खान (बसपा) - 539 वोट
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24-10-2019-जिस सीट से आजम खां 9 विधायक रहे उस सीट पर इस उपचुनाव में उनकी पत्नी तजीन फातिमा चुनावी मैदान में थी। जैसे-जैसे वोटों की गिनती पूरी होती गई वैसे वैसे आजम का रूतबा बढ़ता...

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J&K में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता, मूसा के बाद आतंकी संगठन संभालने वाला हामिद लल्हारी ढेर

J&K में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता, मूसा के बाद आतंकी संगठन संभालने वाला हामिद लल्हारी ढेर28

👤23-10-2019-जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को मार गिराने को लेकर पिछले कुछ समय से चल रही कार्रवाई में सुरक्षाबलों को एक और बड़ी सफलता मिली है। आवंतीपोरा के एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने अंसार गजावत उल हिंद के कमांडर हामिद लल्हारी को मार गिराया है। कश्मीर जोन पुलिस ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जिन तीन आतंकियों को ढेर किया गया है उनके नाम नवीद ताक, हमीद लोन उर्फ हामिद लल्हारी और जुनैद भट्ट है। लल्हारी को मूसा के मारे जाने के कमांडर बनाया गया था। अलकायदा की कश्मीर इकाई अंसार गजवत उल हिन्द का तथाकथित प्रमुख जाकिर मूसा को इसी साल मई के महीने में सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था। मूसा दक्षिण कश्मीर के त्राल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। मूसा को पुलवामा के उसी इलाके में मार गिराया गया था, जहां साल 2016 में सेना ने हिजबुल कमांडर बुरहान वानी को ढेर किया था। वार्ता के अनुसार, आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना के आधार पर सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और पुलिस के विशेष अभियान समूह ने संयुक्त अभियान छेड़ा था। सुरक्षा बल के जवान इलाके की  घेराबंदी कर रहे थे, तभी आतंकवादियों ने स्वाचालित हथियारों से उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलायी। मुठभेड़ स्थल से हथियार और विस्फोटक भी बरामद किये गये हैं। 
🕔 एजेंसी

23-10-2019-जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को मार गिराने को लेकर पिछले कुछ समय से चल रही कार्रवाई में सुरक्षाबलों को एक और बड़ी सफलता मिली है। आवंतीपोरा के एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने अंसार...

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भूमि अधिग्रहण कानून: जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनवाई से खुद को अलग करने से इनकार किया

भूमि अधिग्रहण कानून: जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनवाई से खुद को अलग करने से इनकार किया101

👤23-10-2019-सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने भूमि अधिग्रहण कानून से संबंधित मामले पर संविधान पीठ की सुनवाई से खुद को अलग करने से इनकार किया। आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाली संविधान पीठ से एक न्यायाधीश को दूर रखने के प्रयासों की निंदा करते हुए कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि अपनी पसंद की पीठ चुनने का हथकंडा है और अगर इसे स्वीकार कर लिया गया तो यह \'\'संस्थान को नष्ट कर देगा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पांच सदस्यीय संविधान पीठ से न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को अलग करने की मांग करने के पक्षकारों के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया तो यह इतिहास का सबसे काला अध्याय होगा, क्योंकि न्यायपालिका को नियंत्रित करने के लिये उसपर हमला किया जा रहा है। पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट भी हैं। शीर्ष अदालत पांच सदस्यीय पीठ से न्यायमूर्ति मिश्रा को अलग रखने की मांग करने वाली याचिका पर 23 अक्टूबर को आदेश सुनाएगी।किसानों के कुछ संगठनों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, \'\'यह अपनी पसंद की पीठ चुनने का प्रयास करने के अलावा और कुछ नहीं है। आप अपनी पसंद के व्यक्ति को पीठ में चाहते हैं। अगर हम आपके अनुरोध को स्वीकार कर लेते हैं और सुनवाई से अलग हो जाने के आपके नजरिये को स्वीकार कर लेते हैं तो यह संस्थान को नष्ट कर देगा। यह गंभीर मुद्दा है और इतिहास तय करेगा कि यहां तक वरिष्ठ अधिवक्ता भी इस प्रयास में शामिल थे।दीवान ने कहा कि किसी न्यायाधीश को पक्षपात की किसी भी आशंका को खत्म करना चाहिये, अन्यथा जनता का भरोसा खत्म होगा और सुनवाई से अलग होने का उनका अनुरोध और कुछ नहीं बल्कि संस्थान की ईमानदारी को कायम रखना है। उन्होंने कहा कि उनकी प्रार्थना का सरोकार अपनी पसंद के व्यक्ति को पीठ में शामिल कराने से दूर-दूर तक नहीं है और \'\'वैश्विक सिद्धांत हैं जिन्हें यहां लागू किया जाना है। हम सिर्फ इस ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि पीठ से उनके अलग होने की मांग करने वाली याचिका \'\'प्रायोजित है। उन्होंने कहा, \'\'अगर हम इन प्रयासों के आगे झुक गए तो यह इतिहास का सबसे काला अध्याय होगा। ये ताकतें न्यायालय को किसी खास तरीके से काम करने के लिये मजबूर करने का प्रयास कर रही हैं। इस संस्थान को नियंत्रित करने के लिये हमले किये जा रहे हैं। यह तरीका नहीं हो सकता, यह तरीका नहीं होना चाहिये और यह तरीका नहीं होगा।किसी का भी नाम लिये बिना न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, \'\'ये ताकतें हैं जो इस न्यायालय को खास तरीके से काम करने के लिये मजबूर करने का प्रयास कर रही हैं, वही मुझे पीठ में बने रहने को मजबूर कर रही हैं। अन्यथा, मैं अलग हो जाता। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के तौर पर लोगों के लिये संस्थान की रक्षा करने की जिम्मेदारी को वह जानते हैं। उन्होंने कहा, \'\'इस संस्थान में जो कुछ भी हो रहा है, वह वाकई हैरान करने वाला है।दीवान ने विभिन्न निर्णयों का उल्लेख किया और कहा कि जब किसी न्यायाधीश के सुनवाई से अलग होने की मांग की जाती है तो उसे अनावश्यक संवेदनशील नहीं होना चाहिए, इसे व्यक्तिगत रूप से नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा, \'\'झुकाव तथ्यों पर हो सकता है, यह कानून के एक सवाल पर भी हो सकता है। यहां हम भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 24 की व्याख्या पर विचार कर रहे हैं। यह पीठ जिस विस्तृत निर्णय विचार कर रही है, वह उक्त न्यायाधीश द्वारा दिया गया है और इसमें झुकाव का तत्व है। दीवान ने कहा कि मुद्दा यह है कि क्या यह सही है अगर किसी न्यायाधीश ने किसी मुद्दे पर निर्णय लिया है और फिर उस मुद्दे को एक बड़ी पीठ को सौंपा जाता है, तो क्या न्यायाधीश को उस बड़ी पीठ का हिस्सा होना चाहिए? न्यायमूर्ति मिश्रा ने न्यायाधीश के सुनवाई से अलग हो जाने के लिए पांच घंटे से अधिक समय तक निडर होकर बहस करने के लिए दीवान की सराहना की, जिसमें मुश्किल से तीस मिनट लगते। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा गुण है और वकील में यह विशेषता होनी चाहिए।न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, \"अब मेरा सवाल यह है कि अगर आप न्यायाधीश के सुनवाई से अलग हो जाने पर निडर होकर बहस कर सकते हैं तो मुद्दे के गुण-दोष पर निडर होकर बहस करने में क्या हर्ज है। दीवान ने सराहना के लिए न्यायालय को धन्यवाद दिया और कहा, \"एक बार पीठ का गठन हो जाता है तो वादी बिना किसी झुकाव के मुद्दे पर फैसला किये जाने की अदालत से उम्मीद करता है। इसी तरह वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी और गोपाल शंकरनारायणन ने भी न्यायमूर्ति मिश्रा के सुनवाई से अलग हो जाने पर दलील देते हुए कहा कि जरूरत संस्था की रक्षा की है।केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक प्रवृत्ति उभर रही है जिसमें सुनवाई की पूर्व संध्या पर रिपोर्ट और लेख प्रकाशित किए जाते हैं। इस पर, न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, \"इन परिस्थितियों के आधार पर मेरा दृढ़ संकल्प मजबूत हुआ है। उन्होंने मुझे सुनने के लिए इस शर्मिंदगी में डाल दिया है। एक निश्चित लॉबी है जो किसी चीज की आड़ में न्यायालय को नियंत्रित करने का प्रयास कर ही है। यह प्रायोजित प्रयास है। मेहता ने कहा कि यह निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए एक बौद्धिक रूप से गलत तरीका है और सभी जानते हैं कि ये सोशल मीडिया संदेश कहां से उत्पन्न होते हैं और वायरल होते हैं। उन्होंने कहा, \"किसानों की ओर से भारत के प्रधान न्यायाधीश को एक ज्ञापन भेजा गया जिसे कुछ ही मिनटों के भीतर वायरल कर दिया गया। ये किसान नहीं, बल्कि कुछ अन्य ताकतें हैं।\"न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि गरीब किसान इसके पीछे नहीं हैं बल्कि इसके पीछे शक्तिशाली ताकत हैं और \"जब मैं इस संस्थान में हूं, तो इसकी रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है।\" न्यायमूर्ति मिश्रा पिछले साल फरवरी में वह फैसला सुनाने वाली पीठ के सदस्य थे जिसने कहा था कि सरकारी एजेन्सियों द्वारा किया गया भूमि अधिग्रहण का मामला अदालत में लंबित होने की वजह से भू स्वामी द्वारा मुआवजे की राशि स्वीकार करने में पांच साल तक का विलंब होने के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। इससे पहले, 2014 में एक अन्य पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि मुआवजा स्वीकार करने में विलंब के आधार पर भूमि अधिग्रहण रद्द किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल छह मार्च को कहा था कि समान संख्या के सदस्यों वाली उसकी दो अलग-अलग पीठ के भूमि अधिग्रहण से संबंधित दो अलग-अलग फैसलों के सही होने के सवाल पर वृहद पीठ विचार करेगी। 
🕔 एजेंसी

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