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उप्र में श्रमिकों के रोजगार के लिए प्रस्तावित आयोग का नाम होगा 'माइग्रेशन कमीशन'

उप्र में श्रमिकों के रोजगार के लिए प्रस्तावित आयोग का नाम होगा 'माइग्रेशन कमीशन'203

👤24-05-2020-लखनऊ।   उत्तर प्रदेश में प्रवासी कामगारों और श्रमिकों के रोजगार के लिए प्रस्तावित आयोग का नाम ‘माइग्रेशन कमीशन’ होगा। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, गृह एवं सूचना अवनीश कुमार अवस्थी ने रविवार को यहां बताया कि यह आयोग श्रमिकों को उनके कौशल के अनुरूप रोजगार दिलाने में मदद करेगा। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज टीम 11 के साथ समीक्षा बैठक के दौरान प्रवासी कामगारों व श्रमिकों के रोजगार के लिए इस आयोग के गठन का निर्देश जारी किया। मुख्यमंत्री योगी ने बाद में एक वेबिनार में इसकी बाकायदे घोषणा भी की। श्री अवस्थी ने बताया कि माइग्रेशन कमीशन के गठन से प्रदेश में आने वाले हर प्रवासी कामगार व श्रमिक को रोजगार मिलेगा। साथ ही उनकी बराबर सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित होगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने श्रमिकों को को बीमा की सुविधा से संरक्षित करने को भी कहा है। अपर मुख्य सचिव के अनुसार मुख्यमंत्री का मानना है कि प्रवासी कामगार और श्रमिक अलग-अलग प्रोफेशन से जुड़े हैं। उन्होंने सभी की स्किल मैपिंग कराकर उनका पूरा ब्यौरा तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि आयोग का स्वरुप ऐसा हो कि उसके माध्यम से कामगारों को जॉब सिक्योरिटी मिले ताकि उनका जीवन सुरक्षित हो सके। साथ ही ऐसी व्यवस्था की जाये कि देश के अन्य राज्य यहां के कामगारों को बगैर उप्र सरकार की अनुमति के अपने राज्यों में न ले जा सकें। 

🕔tanveer ahmad

24-05-2020-लखनऊ।   उत्तर प्रदेश में प्रवासी कामगारों और श्रमिकों के रोजगार के लिए प्रस्तावित आयोग का नाम ‘माइग्रेशन कमीशन’ होगा। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, गृह एवं सूचना अवनीश...

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भाजपा मजदूरों को पहुंचा रही सहायता, कांग्रेस धोखा देकर कर रही राजनीति : सूर्य प्रताप शाही

भाजपा मजदूरों को पहुंचा रही सहायता, कांग्रेस धोखा देकर कर रही राजनीति : सूर्य प्रताप शाही789

👤24-05-2020-लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार महामारी के दौर में लगातार दिन-रात प्रयास कर हर मजदूर को सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि 22 लाख से भी ज्यादा प्रवासी प्रदेश में सकुशल आ चुके हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस मजदूरों के नाम पर झूठे वादे कर राजनीति कर रही है। यहां तक कि फर्जी ढंग से बसों की सूची भेजने में भी लज्जा नहीं आई। ये बातें प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने रविवार को कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मजदूरों के नाम पर किए सिर्फ झूठे वादे करती रही और हजार बसों की फर्जी लिस्ट सौंपकर देश को गुमराह किया। वहीं दूसरी तरफ प्रवासियों को लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 1154 ट्रेनों का प्रबंध किया। सरकार के कुशल प्रबंधन के कारण ही प्रदेश में 22 लाख से ज्यादा प्रवासी सकुशल आ चुके हैं। प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए 27 हजार बसों का बेड़ा भी लगाया गया।
कोटा में फंसे छात्रों की कांग्रेस ने नहीं की कोई मददसूर्य प्रताप शाही ने कहा कि कांग्रेस ने कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के 12000 से अधिक छात्रों की कोई मदद नहीं की और मजदूरों के नाम पर झूठ बोलकर राजनीति कर रही है। राजस्थान सरकार ने कोटा में 94 बस उपलब्ध कराने के लिए 36 लाख से अधिक रुपये वसूल किये। कोटा में फंसे 12 हजार छात्रों के लिए देवदूत भाजपा सरकार बनी। 630 बसों का प्रबंध कर छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाया। बसें कम पड़ने पर राजस्थान रोडवेज से किराए पर बसें ली।
प्रवासी लोगों को लाने के लिए प्रदेश सरकार दृढ संकल्पित कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश सरकार देश के हर कोने से प्रदेश के मजदूर भाइयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। अन्य प्रदेशों के मजदूरों को राज्य की सीमा तक छोड़ने के साथ ही उनके लिए अन्य इंतजाम भी किए जा रहे हैं। श्रमिकों की वापसी के लिए उत्‍तर प्रदेश सरकार ने हजारों बसें लगा रखी हैं, जिसमें पूरी सावधानी के साथ मजदूरों को लाया, ले जाया जाता है। सरकार कोरोना महामारी के इस संकट के समय में प्रवासी मजदूरों की हर संभव सहायता कर रही है।  
यूपी के मजदूर मजबूर नहीं, क्योंकि यहां योगी सरकारउन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अब तक बसों एवं ट्रेन के माध्यम से मजदूरों को सुरक्षित घर वापस पहुंचाया गया। उत्‍तर प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के साथ ही उन्हें रोजगार उपलब्ध भी करा रही है। उत्‍तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां आकर मजदूर को चैन मिलता है। मजदूर की सेवा होती है। उत्‍तर प्रदेश में मजदूर मजबूर नहीं, क्योंकि यहां है योगी आदित्‍यनाथ की सरकार और भाजपा जैसा मजबूत संगठन है। 
प्रवासी मजदूरों के अस्थायी राशन कार्ड बनवाए जायेंगेउन्होंने कहा कि विभिन्न प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों के अस्थायी राशन कार्ड बनवाने के लिए जिलाधिकारियों द्वारा सर्वे किया जा रहा है। 01 जून से 11 जून के मध्य उन्हें भी पांच किलो प्रति व्यक्ति खाद्यान्न और 01 किलो चना प्रति परिवार वितरित किया जाएगा। प्रवासियों को राशन उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश में बनाए गए 7.88 लाख नए राशन कार्ड, कोटेदारों को अतिरिक्त चालान के जरिए तुरंत उपलब्ध कराया जा रहा है।


🕔tanveer ahmad

24-05-2020-लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार महामारी के दौर में लगातार दिन-रात प्रयास कर हर मजदूर को सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि 22 लाख से भी ज्यादा प्रवासी प्रदेश में सकुशल...

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भाजपा मजदूरों को पहुंचा रही सहायता, कांग्रेस धोखा देकर कर रही राजनीति : सूर्य प्रताप शाही

भाजपा मजदूरों को पहुंचा रही सहायता, कांग्रेस धोखा देकर कर रही राजनीति : सूर्य प्रताप शाही180

👤24-05-2020-
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार महामारी के दौर में लगातार दिन-रात प्रयास कर हर मजदूर को सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि 22 लाख से भी ज्यादा प्रवासी प्रदेश में सकुशल आ चुके हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस मजदूरों के नाम पर झूठे वादे कर राजनीति कर रही है। यहां तक कि फर्जी ढंग से बसों की सूची भेजने में भी लज्जा नहीं आई। ये बातें प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने रविवार को कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मजदूरों के नाम पर किए सिर्फ झूठे वादे करती रही और हजार बसों की फर्जी लिस्ट सौंपकर देश को गुमराह किया। वहीं दूसरी तरफ प्रवासियों को लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 1154 ट्रेनों का प्रबंध किया। सरकार के कुशल प्रबंधन के कारण ही प्रदेश में 22 लाख से ज्यादा प्रवासी सकुशल आ चुके हैं। प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए 27 हजार बसों का बेड़ा भी लगाया गया।
कोटा में फंसे छात्रों की कांग्रेस ने नहीं की कोई मददसूर्य प्रताप शाही ने कहा कि कांग्रेस ने कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के 12000 से अधिक छात्रों की कोई मदद नहीं की और मजदूरों के नाम पर झूठ बोलकर राजनीति कर रही है। राजस्थान सरकार ने कोटा में 94 बस उपलब्ध कराने के लिए 36 लाख से अधिक रुपये वसूल किये। कोटा में फंसे 12 हजार छात्रों के लिए देवदूत भाजपा सरकार बनी। 630 बसों का प्रबंध कर छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाया। बसें कम पड़ने पर राजस्थान रोडवेज से किराए पर बसें ली।
प्रवासी लोगों को लाने के लिए प्रदेश सरकार दृढ संकल्पित कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश सरकार देश के हर कोने से प्रदेश के मजदूर भाइयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। अन्य प्रदेशों के मजदूरों को राज्य की सीमा तक छोड़ने के साथ ही उनके लिए अन्य इंतजाम भी किए जा रहे हैं। श्रमिकों की वापसी के लिए उत्‍तर प्रदेश सरकार ने हजारों बसें लगा रखी हैं, जिसमें पूरी सावधानी के साथ मजदूरों को लाया, ले जाया जाता है। सरकार कोरोना महामारी के इस संकट के समय में प्रवासी मजदूरों की हर संभव सहायता कर रही है।  
यूपी के मजदूर मजबूर नहीं, क्योंकि यहां योगी सरकारउन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अब तक बसों एवं ट्रेन के माध्यम से मजदूरों को सुरक्षित घर वापस पहुंचाया गया। उत्‍तर प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के साथ ही उन्हें रोजगार उपलब्ध भी करा रही है। उत्‍तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां आकर मजदूर को चैन मिलता है। मजदूर की सेवा होती है। उत्‍तर प्रदेश में मजदूर मजबूर नहीं, क्योंकि यहां है योगी आदित्‍यनाथ की सरकार और भाजपा जैसा मजबूत संगठन है। 
प्रवासी मजदूरों के अस्थायी राशन कार्ड बनवाए जायेंगेउन्होंने कहा कि विभिन्न प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों के अस्थायी राशन कार्ड बनवाने के लिए जिलाधिकारियों द्वारा सर्वे किया जा रहा है। 01 जून से 11 जून के मध्य उन्हें भी पांच किलो प्रति व्यक्ति खाद्यान्न और 01 किलो चना प्रति परिवार वितरित किया जाएगा। प्रवासियों को राशन उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश में बनाए गए 7.88 लाख नए राशन कार्ड, कोटेदारों को अतिरिक्त चालान के जरिए तुरंत उपलब्ध कराया जा रहा है।


🕔 एजेंसी

24-05-2020-
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार महामारी के दौर में लगातार दिन-रात प्रयास कर हर मजदूर को सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि 22 लाख से भी ज्यादा प्रवासी प्रदेश में...

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तहसील सोहावल जिला अयोध्या के खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय में  पीड़ित मजदूर  व आमजन के प्रवेश पर पाबन्दी

तहसील सोहावल जिला अयोध्या के खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय में  पीड़ित मजदूर  व आमजन के प्रवेश पर पाबन्दी607

👤24-05-2020-अयोध्या । तहसील सोहावल जिला अयोध्या के खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय में 18 मई 2020 से गरीब पीड़ित मजदूर व आम जन का प्रवेश निषेध कर दिया गया है जिस कारण से कार्यालय के बाहर आमजन व पीड़ित घंटो लॉक डाउन व तपति धूप के मोहाल में भी घंटो लोग कतार में रहना पड़ा ।  प्रतिदिन गरीब मजदूर लोगों को मनरेगा जॉब कार्ड, राशन कार्ड, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास , वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र आदि कामो के लिए कार्यालय में आना पड़ता है लेकिन इन सभी लोगो का प्रवेश निषेद कर आवेदकों को अनेको प्रकार का कठिनाईयो का सामना करना पड़ेगा इस संबंध में जब BDO सोहावल मोनिका पाठक से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया और फोन काट दिया
🕔tanveer ahmad

24-05-2020-अयोध्या । तहसील सोहावल जिला अयोध्या के खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय में 18 मई 2020 से गरीब पीड़ित मजदूर व आम जन का प्रवेश निषेध कर दिया गया है जिस कारण से कार्यालय के बाहर आमजन...

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कानपुर में पेट्रोल पंप पर खड़े दो ट्रकों में लगी आग, जलकर हुए खाक

कानपुर में पेट्रोल पंप पर खड़े दो ट्रकों में लगी आग, जलकर हुए खाक382

👤23-05-2020-कानपुर। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पार करने लगा और सूर्य देवता इन दिनों आग उगल रहे हैं, जिससे आग के हादसे बढ़ने लगे। इसी क्रम में शनिवार को संचेडी थाना क्षेत्र में पेट्रोल पंप के पास खड़े दो ट्रकों में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गयी और जलकर खाक हो गये। गनीमत रही कि आग पेट्रोल पंप के टैंक तक नहीं पहुंच सकी और बड़ा हादसा टल गया। वहीं सूचना पर पहुंची दमकल की टीम ने आग पर काबू पाया। 
कानपुर नगर के सचेंडी थाना अंतर्गत चकरपुर मंडी के पास बना पेट्रोल पंप पर खड़े दो ट्रकों में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गयी। देखते ही देखते आग ने भयानक रूप ले लिया, जिसकी दहशत में आकर पेट्रोल कर्मचारी ने पेट्रोल पंप छोड़कर रोड पर भाग गए। वहीं लगभग पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित सचेंडी थाने की पुलिस भी मौके पर पहुंची तो लेकिन आग बुझाने में नाकामयाब रही और तमाशबीन बनी राहगीरों की तरह रोड के किनारे खड़ी रही। इस बीच हाईवे पर से गुजर रहे देखने वाले वाहनों की लंबी कतार लग गयी। इसके बाद सूचना पर पहुंची दमकल की टीम ने आग को कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक दोनों ट्रक जलकर खाक हो चुके थे। दमकल की टीम हादसे के पीछे कारणों की जांच कर रही है। वहीं एक बड़ा सवाल उठता है कि इतने बड़े पेट्रोल पंप पर आग बुझाने के क्या समुचित साधन उपलब्ध नहीं थे, जिससे कि आग बुझाने का प्रयास किया जा सके। वह तो शुक्र है कि आग पेट्रोल भंडारण तक नहीं पहुंची, नहीं तो आग दो मिनट में सब कुछ भस्म कर देती। थानाध्यक्ष ने बताया कि आग की जानकारी मिली है और जांच कर आगे की कार्रवाई की जा रही है
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

23-05-2020-कानपुर। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पार करने लगा और सूर्य देवता इन दिनों आग उगल रहे हैं, जिससे आग के हादसे बढ़ने लगे। इसी क्रम में शनिवार को संचेडी थाना क्षेत्र में पेट्रोल पंप...

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लॉकडाउन खुलते ही बढ़ने लगा प्रदूषण, साफ हवा के लिए ऑनलाइन आंदोलन

लॉकडाउन खुलते ही बढ़ने लगा प्रदूषण, साफ हवा के लिए ऑनलाइन आंदोलन262

👤23-05-2020-
लखनऊ, 23 मई : लॉकडाउन खुलते ही देशभर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. कुछ दिन राहत की सांस लेनेवाले भारतीय एक बार फिर घुटन वाले माहौल में जीने के लिए विवश हो रहे हैं. हाल ही में आईआईटी दिल्ली के एक अध्ययन में कहा गया है कि अगर लॉकडाउन के दौरान भारत के कम प्रदूषण के स्तर को बनाए रखा जाता है, तो यह देश की मृत्यु दर में 6.5 लाख की कमी ला सकता है. यही वजह है कि पर्यावरण को लेकर चिंतित आम आदमी और संस्थाएं आगे आ रही हैं. साफ हवा को बनाए रखने के लिए वह भारत सरकार से वह स्पष्ट और लागू होने वाले कार्यक्रम की मांग कर रहे हैं. इसके लिए ऑनलाइन आंदोलन की मुहिम शुरू करने जा रहे हैं.\r\n \r\nतय किया गया है कि आगामी 5 जून को लोग विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘’स्वच्छ हवा के लिए’’ स्लोगन के साथ अपने शहर का फोटो साझा करें और देशव्यापी डिजिटल आंदोलन में भाग लें. साथ ही एक ऑनलाइन पेटिशन अभियान भी चलाया जा रहा है जिसमें यह पूछ गया है कि सरकार स्वच्छ हवा को सुनिश्चित करने के लिए क्या किसी खास को यह जिम्मेदारी दे रही है क्या. इस आंदोलन का नेतृत्व महाराष्ट्र की सामाजिक संस्था झटका सहित देशभर की कई संस्थाएं कर रही है.\r\n \r\nजानकारी के मुताबिक बीते 25 मार्च से हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण 300 मिलियन से अधिक गरीबों को अकल्पनीय पीड़ा सहना पड़ रहा है. लाखों मजदूर पैदल ही अपने घर जाने को मजबूर हैं. वो हजारों किलोमीटर की यात्रा पैदल ही कर रहे हैं. लेकिन इस बीच सड़कों पर लाखों कारों के साथ, कारखानों को बंद रखना पड़ा है. निर्माण और आर्थिक गतिविधियों में ठहराव के कारण इस दौरान भारत को दो दशकों में सबसे स्वच्छ हवा मिली है.\r\n \r\nजबकि इससे पहले हालात ये थे कि दुनिया के टॉप 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में तो 21 भारत के थे. लॉकडाउन के दौरान एयर इंडेक्स क्वालिटी (AQI) में लगातार गिरावट देखी जा रही है. दिल्ली जैसे शहर में सर्दियों में इसका स्तर 400 के पार था. वहीं लॉकडाउन के दौरान यह 60 के आसपास दिख रही है. ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या हमें स्वच्छ हवा पाने के लिए महामारी का सहारा लेना चाहिए?\r\n \r\nदेश के 122 शहर स्वच्छता के राष्ट्रीय मानक को नहीं करते हैं पूरा\r\n \r\nराष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अनुसार भारत में 122 ऐसे शहर हैं जो स्वच्छ वायु के राष्ट्रीय मानक के गुणवत्ता को पूरा नहीं करते हैं. इसमें 18 शहर तो केवल महाराष्ट्र के हैं. इन शहरों के लोगों को खासतौर पर इस आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील ये संस्था करती है. साथ ही दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने की अपील करती है. सालभर60 की मांग के माध्यम से लोग सरकार पर दवाब बना सकते हैं. ताकि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी भारत के लोगों को स्वच्छ हवा मिले, इसके लिए ठोस रणनीति बनाया जाए.\r\n \r\nवीडियो में देहरादून की 12 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता रिद्धिमा पांडे शामिल हैं. ये वही रिधिमा हैं जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की दिशा में सरकारों की निष्क्रियता पर पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र में याचिका देने वाली 16 बच्चों (ग्रेट थुनबर्ग के साथ) में से एक थीं.\r\n \r\nभारत के लॉकडाउन के 60 वें दिन (23 मई) सामाजिक संस्था झटका डॉट ओआरजी की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया. सालभर60 शीर्षक से जारी इस वीडियो का उद्देश्य लोगों तक इस स्वच्छ हवा के संदेश को पहुंचाना है.\r\n \r\nसंस्था की कैंपेन मैनेजर शिखा कुमार कहती हैं, \"इस हफ्ते, लॉकडाउन मानदंडों में ढील दी गई थी. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर 200 तक पहुंच गया था. यह दिखाता है कि लॉकडाउन की दुनिया में हम कितने डरे हुए हैं. जबकि इस दौरान हमने देखा कि प्रकृति कैसे खुद को ठीक करने की प्रक्रिया शुरू करती है. अब आगे क्या होगा? क्या हम वापस फिर जहरीली हवा खाने जा रहे हैं? हमने समस्या की गंभीरता को स्वीकार करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. जैसा कि NCAP जैसी पहल से स्पष्ट है. लेकिन हमें सालभर60 के लिए ठोस राज्य-वार योजना और कार्यान्वयन की आवश्यकता है. इसके लिए इससे बेहतर समय कुछ और नहीं हो सकता.’’\r\n \r\nवहीं रिद्धिमा पांडेय कहती हैं स्वच्छ हवा हमारा बुनियादी अधिकार है. उनके मुताबिक, “पिछले दो महीनों में, ऐसा महसूस हुआ है कि मेरी पीढ़ी की सारी चीजें हमें उपहार में मिली हैं. नीला आसमान, कम उत्सर्जन, स्वच्छ हवा. इसका मतलब केवल यह है कि सालभर60 संभव है. हमारी सरकार को इसे आपातकाल की तरह मानने की जरूरत है. साथ ही प्रदूषण के स्तर को नीचे लाने के लिए सख्त समय सीमा का भी पालन करना होगा.’’\r\n \r\nसर गंगा राम अस्पताल में फेफड़े के सर्जन और लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ अरविंद कुमार कहते हैं, कोविड-19 महामारी ने हमें दो चीजें दिखाई हैं. पहला यह कि हम भी स्वच्छ हवा पा सकते हैं. दूसरा, खराब हवा हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है, जिससे बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. हार्वर्ड और इटली के अध्ययनों ने अधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कोविड-19 मामलों और मृत्यु दर की काफी अधिक संख्या दिखाई है. भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण का उच्च स्तर हमारे बच्चों की भलाई के लिए एक बड़ा खतरा है. हमें सभी के लिए स्वच्छ हवा का लक्ष्य रखना चाहिए.\r\n \r\nभारत की कई सामाजिक संस्थाएं इस डिजिटल आंदोलन को अपना समर्थन दे रही है. इसमें लेट मी ब्रीथ, फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर, लेट इंडिया ब्रीथ, ग्रीनपीस इंडिया, वतावरन फ़ाउंडेशन, हेल्प डेल्ही ब्रीथ, माय राइट टू ब्रीथ, कोलकाता क्लीन एयर फ़ोरम, मुंबई का आरे समूह, आवा फ़ाउंडेशन सहित कई अन्य संस्थाएं शामिल हैं.
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

23-05-2020-
लखनऊ, 23 मई : लॉकडाउन खुलते ही देशभर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. कुछ दिन राहत की सांस लेनेवाले भारतीय एक बार फिर घुटन वाले माहौल में जीने के लिए विवश हो रहे हैं. हाल ही...

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नगर निगम की 'न' के बावजूद सेवाविस्तार की तैयारी

नगर निगम की 'न' के बावजूद सेवाविस्तार की तैयारी868

👤23-05-2020-
लखनऊ नगर निगम ने तमाम नियमों, शासन की नीति का हवाला देते हुए खुल के कह दिया है कि लेखाकार (अकेन्द्रीयत) को सेवाविस्तार नही दिया जा सकता। तो फिर वो कौन अधिकारी हैं, जो कि नगर आयुक्त के पत्र को भी नज़रअंदाज़ कर रसूखदार बाबू को सेवाविस्तार दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।\r\nविशेष सचिव नगर विकास अनुभाग 7 की ओर से सत्येंद्र कुमार सिंह को सेवाविस्तार के लिए यथोचित कार्यवाही के लिए लिखा गया था। इसका जवाब नगर आयुक्त ने शासन को भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि स्थानीय निकाय की ओर से रिक्त पदों पर किसी प्रकार से नियुक्तियां न किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। इसमें ये भी कहा गया है कि शासन ने इन पदों को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जरिए भरने का निर्णय लिया है। इसमें सेवाविस्तार केवल उन्हीं पदों में दिया जा सकता है, जो विशेष जनहित के विधिक या वैज्ञानिक पद हों और कोशिश के बावजूद नई तैनाती न हो पा रही हो। जबकि सत्येंद्र कुमार सिंह का पद इस श्रेणी का नही है। इसलिए लखनऊ नगर निगम की ओर से इस तरह कार्यवाही किया जाना सम्भव नहीं है। नगर विकास विभाग के सूत्र बता रहे हैं कि नगर निगम के इस पत्र के बावजूद शासन के कुछ अफसर सेवाविस्तार के लिए एड़ी- चोटी को ज़ोर लगा रहे हैं।\r\nअब सवाल यह है कि वो कौन लोग हैं, सत्येंद्र कुमार सिंह का सेवाविस्तार किसी भी दशा में कराना चाह रहे हैं। लखनऊ नगर निगम में आखिर वो कौन से काम हैं, जो कि बिना इस बाबू के नही हो सकते। इस सेवाविस्तार से किस-किस को फायदा होने जा रहा है। आखिर क्या वजह है कि योगी सरकार की नीतियों के विरुद्ध कुछ अफसर खड़े हैं। कोरोना काल में शासन की नीति है कि 55 साल से कम के कर्मचारियों से काम लिया जाए। फिर कौन अफसर हैं, जो ऐसे कर्मचारियों की उपयोगिता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।\r\nउल्लेखनीय है कि मूलतः लेखाकार सत्येंद्र कुमार सिंह बरसों से लखनऊ नगर निगम में बजट सील का काम देख रहे हैं, जो एक मलाईदार जगह मानी जाती है। इनकी सेवानिवृत्ति इसी माह 31 मई को होनी है।\r\nलेकिन नगर निगम में अब भी लोग ये मान रहे हैं कि सत्येंद्र सिंह का शासन में बैठे लोग सेवाविस्तार किसी भी तरह से करवा देंगे। दरअसल नगर निगम में कई नगर आयुक्त आये और चले गए लेकिन बरसों से एक सीट पर जमे सत्येंद्र सिंह की हैसियत में कोई कमी नहीं आयी. कोरोना काल ऐसी खबरें नगर निगम की छवि के लिए चुनौती है। फिर सत्येंद्र कुमार सिंह ने 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति का चयन कर उससे सम्बंधित लाभ लिए। उसके बाद नगर निगम को अँधेरे में रख 58 साल में सेवानिवृत्ति न लेकर 60 साल की सेवा पूरी करने के करीब है। लेकिन वो कौन है कि जो रिकवरी की कार्रवाई करने बजाय सेवाविस्तार में जुटे हैं।
🕔 (तनवीर अहमद सिद्दीकी/संवाददाता)

23-05-2020-
लखनऊ नगर निगम ने तमाम नियमों, शासन की नीति का हवाला देते हुए खुल के कह दिया है कि लेखाकार (अकेन्द्रीयत) को सेवाविस्तार नही दिया जा सकता। तो फिर वो कौन अधिकारी हैं, जो कि नगर...

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आदर्श महिला मंडल संस्था ने नेशनल हाइवे में प्रवासियों को बांटा भोजन

आदर्श महिला मंडल संस्था ने नेशनल हाइवे में प्रवासियों को बांटा भोजन77

👤23-05-2020-
कानपुर। लॉकडाउन 4 में कुछ सहूलियतें मिलने पर प्रवासी कामगार बराबर अपने घरों की वापसी कर रहे हैं। ऐसे में शहरवासी नेशनल हाइवे पर कामगारों की परेशानियों को देखते हुए उनकी समस्याओं के लिए खड़े रहते हैं और भोजन पानी आदि की व्यवस्था करते हैं। इसी क्रम में आदर्श महिला मंडल संस्था ने भी प्रवासियों को भोजन कराया और रास्ते के लिए लंच पैकेट व पानी देकर विदा किये। इसके साथ ही उनका हालचाल भी जाना। 
आदर्श महिला मंडल संस्था ने रोज की तरह अपने सदस्यों के साथ नौबस्ता हाईवे रामादेवी हाईवे पर बाहर से आए श्रमिक प्रवासियों को भोजन और पानी की व्यवस्था की। इसके साथ ही उन लोगों से बात करके जो पैदल आ रहे थे उनको साधन की व्यवस्था करवाकर उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने का कार्य किया। संस्था के सभी सदस्य मिलजुल कर जिम्मेदारी के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं और इस समय आदर्श महिला मण्डल पूरी तरह से प्रवासियों श्रमिकां को भोजन और पानी की व्यवस्था करवाने में युद्धस्तर पर कार्य कर रही हैं। धारा 144 एवं लॉकडाउन का पूरा ध्यान रखते हुए सोशल डिस्टेंस बनाकर मॉस्क पहनकर संस्था के सभी सदस्य अपनी अपनी जिम्मेदारियां का निर्वाहन कर रहे है एवं धूप छांव आंधी पानी दिन और रात ना देखते हुए पूरी तरह शासन प्रशासन और जनता की मदद में जुटी हुई है। इस दौराने समाजसेविका अंजली श्रीवास्तव, इन्दू, सुचित्रा मिश्रा, विजय गुप्ता, विवेक बेरीवार, श्रीकान्त श्रीवास्तव आदि मौजूद रहें।
🕔tanveer ahmad

23-05-2020-
कानपुर। लॉकडाउन 4 में कुछ सहूलियतें मिलने पर प्रवासी कामगार बराबर अपने घरों की वापसी कर रहे हैं। ऐसे में शहरवासी नेशनल हाइवे पर कामगारों की परेशानियों को देखते हुए उनकी...

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शर्तों के साथ मंगलवार से खुलेंगे कानपुर नगर के न्यायालय

शर्तों के साथ मंगलवार से खुलेंगे कानपुर नगर के न्यायालय 932

👤23-05-2020-
कानपुर। लॉकडाउन में बंद चल रहे न्यायालय अब मंगलवार से खुल सकेंगे, लेकिन इसमें कई शर्तें लागू कर दी गयी हैं। यानी केवल और केवल वही अधिवक्ता कचहरी जाए जिनके कोई अर्जेंट काम जैसे जमानत या विचारधीन जमानत प्रार्थना पत्र  पर ऑनलाइन सुनवाई जरिये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हेतु तिथि व समय निर्धारित हो। बिना मास्क लगाए व सैनिटाइजर लिए न्यायालय परिसर में प्रवेश न करें। इसके अलावा किसी अधिवक्ता को न्यायालय परिसर में प्रवेश नहीं मिलेगा, कोई ट्रायल वर्क नहीं होगा, कोई गवाही नहीं होगी। सिविल का कोई दाखिला या अर्जेंट वर्क बिल्कुल नहीं होगा। कोई भी वादकारी कचहरी नहीं आएगा उनसे फोन पर सम्पर्क कर राय दें अर्जेंट काम के लिए मात्र, जिला जज स्वयं विशेष अपर जिला जज, सीएमएम और एसपीए व सीजेएम ही बैठेंगे। जमानत प्रार्थना पत्रों का दाखिला आनलाइन होगी, हाथ द्वारा दाखिल कतई नहीं होगा।  इसके साथ ही अपील की गयी कि अपनी और अपने वादकारी के हित में मा न्यायालय द्वारा प्रदत्त गाइड लाइन का आवश्यक रूप से पालन करें। 
लायर्स और बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने की बैठक
कानपुर कोर्ट के सेशन हाउस में बार एसोसिएशन कानपुर नगर लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष व मंत्री गण के साथ बैठक आयोजित की गई। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम जी श्रीवास्तव, महामंत्री कपिलदीप सचान, लायर्स के अध्यक्ष दिनेश सचान, दिनेश कुमार शुक्ला व महामंत्री वीर बहादुर सिंह शामिल हुए। बैठक के समय न्यायिक अधिकारियों में बी के सिंह, अपर जिला जज कोर्ट प्रभारी अधिकारी बाल कृष्ण ,अपर जिला जज अधिकारी अहमद, अपर जिला जज अधिकारी कोर्ट संख्या 17 आशीष कंबोज आदि जज बैठक में में शामिल हुए। पदाधिकारी अधिकारी ने मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठक में शामिल हुए।
सफाई के साथ सेनिटाइजर होने पर खुलेगी कचहरी
बार के अध्यक्ष श्याम जी ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 25 मई 2020 से प्रत्येक जोन के सिविल कोर्ट को खोलने का आदेश दिया। वह कंटोनमेंट जोन में नहीं लेकिन सिविल कोर्ट कानपुर नगर दिनांक 22 मई 2020 को स्थानीय अवकाश होने के कारण नहीं खोला जा सका। इसी कारण दिनांक 23 मई 2020 को माह का चतुर्थ शनिवार होने के कारण सिविल कोर्ट नहीं खोला जा सका। दिनांक 24 मई 2020 को रविवार तथा 25 मई 2020 को माननीय उच्च न्यायालय के कैलेंडर के अनुसार ईद का अवकाश है यदि ईद का त्यौहार रविवार दिनांक 24 मई 2020 को मनाया जाता है तो उस दशा में कचहरी परिसर को पूरा सैनिटाइजर व सफाई कराने के पश्चात इसे सीमित उद्देश्य के लिए सीमित न्यायिक अधिकारियों के साथ दिनांक 25 मई 2020 से अथवा 26 मई को खोला जा सकता है। बताया गया कि कचहरी के खुलने की दशा में जब तक कानपुर जिला रेड जोन में है केवल निम्नलिखित न्यायिक अधिकारी प्रत्येक कार्य दिवस में मेरे द्वारा निर्धारित टाइम स्लॉट में बैठे व केवल कुछ आवश्यक कार्य करेंगे जिनका विवरण माननीय उच्च न्यायालय के पत्र में लिखा है ।
कोर्ट गाउन न पहनने की होगी छूट
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सिविल कोर्ट कैंपस में केवल वही अधिवक्ता प्रवेश करेंगे जिनका आवश्यक मामला उस दिन की सूची में सूचीबद्ध है। अन्य कोई अधिवक्ता व अधिकारी या पैरोकार का सिविल कोर्ट में नहीं आएगा जो अधिवक्ता गण परिसर में आएगा उन्हें कोर्ट गाऊँन न पहनने की छूट होगी वह हल्के रंग की पैंट व सफेद शर्ट में आएंगे वह बैंड पहनेंगे इसी प्रकार महिला अधिवक्ता सलवार सूट अथवा साड़ी में आएंगी वह बैंड पहनेंगी अधिवक्ता गण बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा निर्धारित सी ओ पी कार्ड के साथ आएंगे।
बहस के बाद बाहर होंगे अधिवक्ता
इसके साथ ही अधिवक्तागण वर्चुअल कोर्ट रूम नंबर 29 जो कि दूसरे तल पर कमरा नंबर 29 में बनाई गई है। एक-एक करके अपने मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहस करेंगे। वर्चुअल कोर्ट रूम के लोक अभियोजक भी होंगे अपने मामले की बहस करने के पश्चात अधिवक्तागण तुरंत कचहरी परिसर से बाहर चले जाएंगे। अधिवक्तागण मास्क लगा कर स्वयं के सैनिटाइज़र के साथ आएंगे व् सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखेंगे।
🕔tanveer ahmad

23-05-2020-
कानपुर। लॉकडाउन में बंद चल रहे न्यायालय अब मंगलवार से खुल सकेंगे, लेकिन इसमें कई शर्तें लागू कर दी गयी हैं। यानी केवल और केवल वही अधिवक्ता कचहरी जाए जिनके कोई अर्जेंट काम...

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आईआईटी की मदद से ग्रामीण महिलाओं ने संभाली आर्थिक स्वावलंबन की कमान

आईआईटी की मदद से ग्रामीण महिलाओं ने संभाली आर्थिक स्वावलंबन की कमान 898

👤23-05-2020-
कानपुर। कोरोना के संक्रमण से इन दिनों लोगों का रोजगार छिन रहा है और रोजी-रोटी के लिए परेशान हैं। ऐसे में कानपुर आईआइटी अपने गोद लिए गांवों की महिलाओं को आर्थिक स्वालंबन की पहल शुरु कर दी। आईआईटी की मदद से महिलाओं को रोजगार मिलने लगा और उनके चेहरों पर खुशी साफ दिख रही है। इस लॉकडाउन में मॉस्क बनाने का काम इन गांवों में बेहतर चल रहा है और महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। इसके साथ ही दुग्ध का भी धंधा बेहतर चल रहा है।
कोरोना की महामारी में बहुत से गाँव वालों का काम छिन गया। कानपुर शहर के इर्द गिर्द के गाँव, से हजारों आदमी जो हर रोज़ शहर आकर काम करता था या कुछ पैदावार बेचकर घर चलाने का खर्चा लेकर लौटता था, आज घर पर ही पड़ा है। बहुत से जवान लड़के दूर दराज़ के शहरों से भी लौट रहे हैं। पता नहीं कब कारखाने फिर चलेंगे और बाज़ार रफ्तार पकड़ेगी, यह चिंता उनकी चेहरों पर साफ नज़र आती है। इसी बेबसी के माहौल में आईआईटी कानपुर की एक टीम ने बिठूर के उन गावों का भ्रमण किया जिन्हे उन्नत भारत अभियान के तहत आईआईटी कानपुर ने गोद ले रखा है। सिलाई करने वाली महिलाओं को मास्क बनाने का ऑफर दिया गया। आईआईटी के मास्क विशेष फिल्टर युक्त थे, और डिज़ाइन ऐसी थी कि नाक और मुह को एन 95 मास्क की तरह ढकती थी। इस मास्क को तैयार करने के लिए सिलाई में दक्ष महिलाओं की जरूरत थी। पाँच गाँव में अलग-अलग जगह सैंपल बनाने को दिये गए। अंत में इस काम के लिए चुना गया प्रिया को जो ईश्वरीगंज गाँव में सिलाई केंद्र भी चलाती है। उससे तरह-तरह के सैंपल तैयार कराये गए, और धीरे शीरे एक पर्फेक्ट मास्क बन कर तैयार हुआ। अब निश्चय किया गया कि यह मास्क आईआईटी कानपुर में बांटे जाएंगे। यह भी तय हुआ कि डिमांड होने पर प्रिया बाहर भी सप्लाई कर सकेगी, किन्तु लॉक डाउन में मैटेरियल लेना भी एक चुनौती थी। उस समय आईआईटी के साथ खड़े हुआ परिवर्तन के सदस्य। उन्होने अपने फैक्ट्री स्टॉक में रखे कपड़े और अन्य सामान उपलब्ध कराये और हौसला दिया प्रिया को मार्केट से जोड़ देने का।  
ट्रेनिंग देकर महिलाओं को बनाया गया दक्ष
यह स्पष्ट था कि बड़ी संख्या में मास्क बनाने के लिए बहुत सी महिलाएं चाहिए थी, और उनकी सही ट्रेनिंग भी करानी होगी। अब प्रश्न था सोशल डिस्टेन्सिंग रखते हुये ट्रेनिंग कैसे दी जाए। इसके लिए मदद करी आईआईटी कानपुर की ही राधा हरीश जी ने। उन्होंने स्टेप-बाइ-स्टेप गाइड तैयार करी, और उसे विडियो पर उतारा। उस विडियो उन्नत भारत अभियान टीम ने उन महिलाओं को दिखाकर ट्रेन किया जो सिलाई के लिए चुनी गई थी। धीरे धीरे एक दर्जन महिलाएं जुड़ गईं, और महिलाओं कि यह टीम उत्साहपूर्वक आगे बढ़ चली। आज यह मास्क अपनी बेहतर डिज़ाइन और सुंदर लुक के लिए पसंद किए जा रहे हैं। आईआईटी स्थित ई-स्पिन जो कि स्वासा ब्रांड के एन 95 मास्क बनती है, के संस्थापक संदीप पाटिल ने कहा ‘इस मास्क का पार्टीकुललेट फ़िल्टर एन 95 की क्षमता के काफी करीब है। इसके कारण यह मास्क बहुत अच्छी क़्वालिटी के हैं। 
निदेशक का कहना
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा मुझे खुशी है कि उन्नत भारत अभियान के प्रयास से हमारे गोद लिए गाँव में महिलाएं मास्क की कमी को पूरा करके अपना आर्थिक विकास कर रही हैं। साथ में एक सामाजिक सशक्तीकरण के भी प्रक्रिया कानपुर के इस गावों से शुरू हो गई  है। इस वक्त महिलयों के पास ऑर्डर लगे हुये है और वह हर रोज़ 500 मास्क बना रही है। बिठूर की इन ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, और आईआईटी-परिवर्तन संस्था का सहयोग प्रधानमंत्री के ‘लोकल तो ग्लोबल’ को चारितार्थ कर रहा है।
रीता सिंह है सूत्रधार इस पूरे कार्यक्रम की सूत्रधार रीता सिंह ने कहा ‘बहुत जल्द ही हम लोग एक प्रॉडक्शन और ट्रेनिंग सेन्टर इस गाँव में खोलना चाहते है और उम्मीद है कि सरकार का ग्रामीण विकास विभाग भी इस काम में सहयोग करेगे’। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में आईआईटी के प्रो. संदीप संगल, प्रो जे रामकुमार, प्रो. शिखर झा, ओंमप्रकाश, राधा हरीश और रेणु सिंह का, और परिवर्तन की रेणु शाह, रेणु गुप्ता और मंजु सराफ़ जी का योगदान रहा।
🕔tanveer ahmad

23-05-2020-
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