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योगी के नए कैबिनेट में दलित, पिछड़ों और युवाओं को मिली तरजीह

योगी के नए कैबिनेट में दलित, पिछड़ों और युवाओं को मिली तरजीह108

👤22-08-2019-भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल 18 नए चेहरों के जरिये साफ संदेश देने की कोशिश की है कि वह परंपरागत जातीय समीकरण के सहारे ही मिशन 2022 के रण में भी कूदने की तैयारी में जुट गई है। उसके लिए दलितों के साथ ही पिछड़े और ब्राह्मण समीकरण कुछ वैसा ही महत्वपूर्ण है और रहेगा, जैसा वर्ष 2017 के सियासी समर में रहा था।पिछड़ों को सबसे ज्यादा महत्व
पार्टी ने मंत्रिमंडल में जो 18 नए चेहरे शामिल किए हैं, उनमें कमोबेश वैसा ही जातीय समीकरण देखने को मिला है जैसा वर्ष 2017 में मंत्रिमंडल गठन के वक्त था। पार्टी ने सबसे ज्यादा पिछड़ों और युवाओं के साथ दलितों पर ही भरोसा किया है। मंत्रिमंडल में शामिल 18 चेहरों में 8 पिछड़ी जातियों से हैं। इनमें अशोक कटारिया, विजय कश्यप, नीलिमा कटियार, चौधरी उदयभान सिंह, रमाशंकर सिंह पटेल, अजीत सिंह पाल व लाखन सिंह राजपूत प्रमुख हैं। इनमें जाट, गुर्जर, लोधी, कुर्मी, कहार जातियों के विधायक को तवज्जो दी गई है। पार्टी ने इसके जरिये ओबीसी की 40% आबादी को साथ रखने की कोशिश की है।.दलितों को भी तवज्जो
नए शामिल हुए चेहरों में तीन दलितों के रूप में कानपुर नगर से कमल रानी वरुण, आगरा कैंट से डा. गिर्राज सिंह धर्मेश और संतकबीरनगर के घनघटा से विधायक श्रीराम चौहान प्रमुख हैं। पार्टी ने दलितों को शामिल कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह वास्तव में ‘सबका साथ सबका विकास\' के मंत्र पर काम कर रही है। पार्टी ने कुछ इसी तर्ज पर वर्ष 2017 में 19 मार्च को हुए मंत्रिमंडल के गठन में भी पांच दलितों के साथ 13 ओबीसी मंत्रियों को शपथ दिलाई थी। इस बार भी ओबीसी व दलित सबसे ज्यादा हैं।2022 में भी 2017 वाला समीकरण
वर्ष 2017 के चुनाव में पार्टी ने ‘सबका साथ सबका विकास\' के नारे के साथ उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल किया था। इस चुनाव में उसने गैर यादव पिछड़ों और गैर जाटव दलितों को तवज्जो दी थी। इसके लिए चुनाव मैदान में उसने मुख्य रूप से ओबीसी और दलितों पर ही दांव लगाया था। इस बार मंत्रिमंडल में भी उन्हें शामिल कर वर्ष 2022 के लिए बिसात बिछाने की कोशिश की है।छह युवा चेहरे
यही नहीं पार्टी ने इस बार मंत्रिमंडल में छह युवा चेहरों को शामिल किया है। नए चेहरों में छह ऐसे हैं जिनकी उम्र 41 से 50 वर्ष के बीच है। इन्हें शामिल कर पार्टी ने संगठन के युवा पदाधिकारियों के साथ कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि पार्टी में काम और मेहनत करने वाले युवाओं की भी इनाम मिल सकेगा। वहीं संगठन से अशोक कटारिया और संघ के प्रचारक व ब्रज क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रहे राम नरेश अग्निहोत्री को शामिल कर सरकार और संगठन में समन्वय की कोशिश की गई है ताकि सियासी समर में साथ मिल सके।ब्राह्मणों को भी साथ रखने की कोशिश
भाजपा ने पिछड़ों-दलितों के बाद सबसे ज्यादा ब्राह्मणों पर दांव लगाया है। दरअसल, पार्टी यह नहीं चाहती कि बसपा या कांग्रेस ब्राह्मणों के जरिये अपने दलों को मजूबत करें। ब्राह्मण आजादी के बाद से कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते रहे हैं। ऐसे में पार्टी ने पांच ब्राह्मणों को शामिल किया है, जबकि वर्ष 2017 में सात ब्राह्मण मंत्रिमंडल में शामिल थे।
🕔tanveer ahmad

22-08-2019-भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल 18 नए चेहरों के जरिये साफ संदेश देने की कोशिश की है कि वह परंपरागत जातीय समीकरण के सहारे ही मिशन 2022 के रण में भी कूदने की तैयारी में जुट...

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चिदंबरम पर बोलीं प्रियंका गांधी, 'चाहे जो परिणाम हो, हम उनके साथ खड़े'

चिदंबरम पर बोलीं प्रियंका गांधी, 'चाहे जो परिणाम हो, हम उनके साथ खड़े'633

👤21-08-2019-आईएनएक्स मीडिया मामले (INX Media Case) में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) की अग्रिम जमानत याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को आरोप लगाया कि सरकार \'शर्मनाक तरीके से\' चिदंबरम के पीछे पड़ी है क्योंकि वह बेहिचक सच बोलते हैं और सरकार की नाकामियों को सामने लाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह चिदंबरम के साथ खड़ी हैं और सच के लिए लड़ाई जारी रखी जायेगी। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, \'बहुत ही योग्य और सम्मानित राज्यसभा सदस्य पी चिदंबरम जी ने दशकों तक बतौर वित्त मंत्री, गृह मंत्री और दूसरे पदों पर रहते हुए पूरी वफादारी से देश की सेवा की है।\' उन्होंने दावा किया, \'वह बेहिचक सच बोलते हैं और इस सरकार की नाकामियों का खुलासा करते हैं। लेकिन सच कायरों के लिए सुविधाजनक नहीं होता इसलिए शर्मनाक तरीके से उनका पीछा किया जा रहा है।\' प्रियंका ने कहा, \'हम उनके साथ खड़े हैं और सच के लिए लड़ते रहेंगे, चाहे नतीजा कुछ भी हो।\' इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार विरोधी नेताओं को चुनकर निशाना बना रही है और यह उसकी कार्यशैली बन चुका है।
🕔 एजेंसी

21-08-2019-आईएनएक्स मीडिया मामले (INX Media Case) में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) की अग्रिम जमानत याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस महासचिव...

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समय रहते पहल की जरूरत: भारत में मंदी के 15 लक्षण

समय रहते पहल की जरूरत: भारत में मंदी के 15 लक्षण393

👤21-08-2019-दुनिया की कुछ दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अर्थव्यवस्था के ज्यादातर पैमानों पर गिरावट देखी जा रही है। अब और आगे गिरावट से बचने के लिए बड़ी पहल की दरकार है। समय रहते अर्थव्यवस्था में विकास की गति को बल देना होगा। पेश है अर्थशास्त्री विवेक कौल की रिपोर्ट, जिसमें थमती आर्थिक रफ्तार के प्रमुख 15 लक्षणों पर प्रकाश डाला गया है।बारिश रुक गई है, तो आप घर से निकलते हैं, कुछ दूर जाते हैं। रास्ते पर आपको 500 का नोट पड़ा मिलता है। आप उसे उठाते हैं और पतलून की जेब में रख लेते हैं, यह सोचते हुए कि स्थानीय धर्मार्थ कार्य में दान कर देंगे। लेकिन आप जैसे ही किताब की दुकान पार कर रहे होते हैं, लोभ में पड़ जाते हैं और 500 रुपये की ताजा बेस्टसेलर किताब खरीद लेते हैं। किताब विक्रेता शराबी है, वह पैसे का इस्तेमाल उस दिन की शराब खरीदने में करता है। शराब विक्रेता उसी 500 के नोट के साथ स्थानीय सिनेमा हॉल पहुंचता है, अपनी पसंदीदा अभिनेत्री की नई फिल्म का टिकट खरीदता है। मनमानी कीमत वाले पॉपकोर्न और सॉफ्ट ड्रिंक भी खरीदता है। सिनेमा हॉल मालिक को एक शादी में शामिल होने दूर जाना है, वह उसी 500 रुपये का इस्तेमाल टैक्सी ड्राइवर को भुगतान के लिए करता है, क्योंकि उसका अपना ड्राइवर छुट्टी पर गया है। आप देख रहे हैं, 500 रुपये की शुरुआती गतिशीलता ने कैसे सबको फायदा दिया। शुरुआती 500 रुपये के चार बार खर्च होने से 2,000 रुपये की आर्थिक गतिविधि पैदा हुई। इसका अर्थ है, 500 रुपये के पहले योगदान ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2,000 रुपये जोड़ दिए। यदि आप उसी 500 रुपये को बैंक में जमा कर देते या अपनी जेब में रखे रहते, तो यह आर्थिक गतिविधि नहीं हो पाती। .पारंपरिक रूप से जीडीपी एक देश के अंदर की समग्र वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन का समुच्य या माप है। जॉन लेंचेस्टर अपनी किताब हाउ टु स्पीक मनी में लिखते हैं, जीडीपी को एक माप के रूप में जितना देखा जा सकता है, उतना आकार के रूप में नहीं... यह अर्थव्यवस्था के माध्यम से और उसके आसपास धन की आवाजाही को मापती है; यह गतिविधि को मापती है। जो उदाहरण ऊपर साझा किया गया है, (वह लेंचेस्टर की किताब के उदाहरण से ही प्रेरित है) वह ठीक-ठीक यही दर्शाता है कि एक आर्थिक गतिविधि जीडीपी में कैसे योगदान देती है। यही वह गतिविधि है, जो 2019 की शुरुआत से ही धीमी पड़ रही है। इस वर्ष जीडीपी विकास जनवरी से मार्च तक मंदा पड़कर 5.8 प्रतिशत हो गया है। आइए, ऐसे 15 आर्थिक लक्षणों या संकेतों पर नजर फेरें और देखें कि अप्रैल से जून 2019 तक की आर्थिक गतिविधियां कैसे धीमी या मंद पड़ी हैं।किसी भी अर्थव्यवस्था में जीडीपी के लिए नए निवेश बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इनसे नए रोजगार के अवसर बनते हैं, जिससे कमाई बढ़ती है और खर्च भी। निवेश बढ़ने से आर्थिक विकास होता है। दुर्योग से अभी निवेश के मोर्चे पर चीजें सही नहीं दिख रही हैं।1 : घरेलू कार बिक्री घटीअप्रैल से जून 2019 और अप्रैल से जून 2018 की तुलना करें, तो कार बिक्री में 23.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। वर्ष 2004 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है। कार की बिक्री घटती है, तो इसका नकारात्मक असर टायर निर्माताओं से लेकर इस्पात और स्टीयरिंग निर्माताओं इत्यादि तक पड़ता है। बाह्य रूप से देखें, तो अनेक ऑटो डीलरशिप बंद हो रही है या सिमट रही है। वाहन ऋण वृद्धि भी कम होकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है।.2 : दोपहिया बिक्री कम हुईदोपहिया वाहनों की बिक्री भी प्रभावित हुई है। अप्रैल से जून 2019 के बीच दोपहिया वाहनों की बिक्री में 11.7 प्रतिशत की कमी आई है। यह अक्तूबर-दिसंबर 2008 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। मोपेड भी नहीं बिक रहे हैं। उनकी बिक्री में 19.9 प्रतिशत की कमी आ गई है। .3 : घटी ट्रैक्टर बिक्री .
ट्रैक्टर बिक्री ग्रामीण मांग की एक अच्छी सूचक है। अप्रैल से जून 2019 के दौरान ट्रैक्टर की बिक्री में 14.1 प्रतिशत की कमी आई है। यह गिरावट विगत चार वर्ष में सर्वाधिक है। .4 : थमी आवास की खरीद .
रियल एस्टेट रिसर्च कंपनी एलएफ के अनुसार, मार्च 2019 तक भारत के टॉप 30 शहरों में 12.8 लाख अनबिके आवास थे। मार्च 2018 की तुलना में यह संख्या सात प्रतिशत ज्यादा है, तब 12 लाख अनबिके मकान थे। इसका अर्थ है, बिल्डर जिस गति से मकान बना रहे हैं, लोग उस गति से खरीद नहीं रहे। रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े करीब 250 छोटे-बड़े उद्योग हैं। आवासों के बिकने से बड़े पैमाने पर उद्योग जगत को फायदा होता है, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है। 5 : बैंक खुदरा ऋण
यहां डाटा ट्रेंड के खिलाफ चला जाता है। अप्रैल से जून 2019 के बीच बैंकों द्वारा दिए जा रहे खुदरा ऋण में 16.6 प्रतिशत की बढ़त हुई है। पिछले वर्ष इसी दौरान 17.9 प्रतिशत की बढ़त हुई थी। यहां विकास दर में मामूली गिरावट है। खुदरा ऋण में लगभग आधा हिस्सा गृह ऋण का होता है और गृह ऋण में 18.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष इसी दौरान 15.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। .अब इसे कैसे समझा जाए कि गृह ऋण भी बढ़ रहे हैं और अनबिके मकानों की संख्या भी बढ़ रही है? ऐसा शायद इसलिए हो रहा है, क्योंकि लोग उन लोगों से आवास खरीद रहे हैं, जिन्होंने वर्ष 2003 और 2012 के बीच ज्यादा आवास खरीद लिए थे। लोग सीधे बिल्डर से नहीं खरीद रहे हैं। यह खरीद-बिक्री नए आवासों की नहीं हो रही है, इसलिए इससे वैसी आर्थिक गतिविधि नहीं होगी, जैसी नए मकान के बिकने से होती है। .गृह ऋण के अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया में भी 27.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति पिछली बार की तुलना में अच्छी है। यहां यह बात समझने की है कि जब आप किसी से कहते हैं कि मंदी है, तो वह जवाब देता है, मॉल और रेस्तरां तो भरे पड़े हैं। एक खास वर्ग क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करता है, और इस वर्ग की छोटी खरीदारियां भी कम नहीं हुई हैं। .6 : रोजमर्रा के सामान की बिक्री .
एफएमसीजी (फास्ट मुविंग कंज्युमर गुड्स) अर्थात रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुओं की बिक्री धीमी पड़ी है। यदि हम हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के उत्पादों की बिक्री देखें, तो अप्रैल से जून 2019 के बीच विक्रय वृद्धि पांच प्रतिशत रही है, जबकि इस काल में पिछले वर्ष विक्रय वृद्धि 12 प्रतिशत थी। डाबर इंडिया की विक्रय वृद्धि दर देखें, तो यह पिछले वर्ष के 21 प्रतिशत से घटकर छह प्रतिशत हो गई है। यह चिंता की बात है कि लोगों ने रोजमर्रा की खरीदारी धीमी कर दी है। .7 : तेल, सोने, चांदी का आयात
तेल, सोना, चांदी की मांग भी अच्छी संकेतक है कि लोग आयातित सामान खरीद रहे हैं। अप्रैल से जून 2019 के दौरान इन आयातों में 5.3 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि इसी दौरान पिछले वर्ष इसमें 6.3 प्रतिशत की बढ़त देखी गई थी।.8 : घरेलू व्यावसायिक वाहन बिक्रीघरेलू व्यावसायिक वाहनों की बिक्री बढ़ती है, तो मूलभूत ढांचे और औद्योगिक मोर्चे पर लाभ होता है। इन वाहनों का उपयोग निर्मित या अर्द्धनिर्मित वस्तुओं के परिवहन के लिए होता है। अप्रैल से जून 2019 के दौरान इन वाहनों की बिक्री 9.5 प्रतिशत गिरी है। विगत पांच वर्षों में यह सर्वाधिक संकुचन है। इससे पता चलता है कि निवेश के मोर्चे पर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। पिछले वर्ष इसी समय बिक्री 51.6 प्रतिशत बढ़ी थी। .9 : उद्योगों को बैंक ऋण
हाल के दिनों में इसमें सुधार हुआ है। अप्रैल से जून 2019 में इसमें 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय 0.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। इसमें बड़े उद्योगों के कर्ज का हिस्सा ज्यादा है, जिसमें 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मध्यम व लघु उद्योगों के लिए ऋण वृद्धि दर मात्र 0.6 प्रतिशत है। बड़े उद्योगों को ऋण देना अहम है, लेकिन मध्यम व लघु उद्योग भी जब बढ़ते हैं, तो बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करते हैं। .10 : रेल माल भाड़ा राजस्व 
भारतीय रेलवे द्वारा ज्यादातर माल ढुलाई में कुछ निश्चित प्रकार के उत्पाद ज्यादा मात्रा में शामिल हैं, जैसे कोयला, कच्चा लोहा, सीमेंट, उर्वरक, पेट्रोलियम, लोह अयस्क इत्यादि। जब रेलवे इन वस्तुओं का ज्यादा परिवहन करता है, तो यह निवेश और औद्योगिक गतिविधियों का अच्छा संकेत है। अप्रैल से जून 2019 के बीच इस सूचक में 2.7 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई है, यह विगत ढाई वर्ष का सबसे न्यूनतम स्तर है। .11 : तैयार इस्पात की खपत
किसी भी तरह के भौतिक ढांचे में इस्पात की जरूरत पड़ती है। अत: इस्पात की खपत में तेजी निवेश गतिविधियों में बढ़त की सूचक है। अप्रैल से जून 2019 के बीच तैयार इस्पात की खपत 6.6 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि पिछले वर्ष 8.8 प्रतिशत बढ़ी थी। इस मोर्चे पर पिछले दो वर्ष की यह न्यूनतम गिरावट है।.12 : नए निवेश की घोषणा
अप्रैल से जून 2019 के दौरान घोषित नई परियोजनाओं के मूल्य में 79.5 प्रतिशत की गिरावट है। यह सितंबर 2004 के बाद की सर्वाधिक गिरावट है। इसी तिमाही में घोषित निवेशों का मूल्य 71,337 करोड़ रुपये है, यह भी सितंबर 2004 के बाद न्यूनतम है। यह एक बड़ा संकेत है कि उद्योगों को भारत के आर्थिक भविष्य पर अभी ज्यादा विश्वास नहीं है। .13 : निवेश परियोजनाओं की पूर्णताइसी तिमाही में नई निवेश परियोजनाओं के पूरा होने में 48 प्रतिशत की कमी देखी गई है। यह भी सितंबर 2004 के बाद की सबसे बड़ी कमी है। इस तिमाही के दौरान जो परियोजनाएं पूरी हुई हैं, उनका मूल्य 69,494 करोड़ रुपये है, यह भी पिछले पांच वर्ष के न्यूनतम स्तर पर है। 14 : सरकारी व्यय
पिछले दो वित्त वर्ष में सरकारी व्यय में 19.1 प्रतिशत और 13.2 प्रतिशत की बढ़त हुई है। यह बढ़त वित्तीय संकट के वर्ष 2008-2009 और 2009-2010 के बाद उच्चतम है। सरकारी व्यय में इस बढ़त से आर्थिक विकास को एक हद तक ताकत मिल रही है। अब आगे विकास में तेजी लाने के लिए सरकार को अपना व्यय बढ़ाना होगा और इसके लिए कर विकास जरूरी है। अप्रैल से जून 2019 के दौरान केंद्र सरकार के कुल कर राजस्व में महज 1.4 प्रतिशत या चार लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष इसी दौरान कुल कर राजस्व में 22.1 प्रतिशत का उछाल आया था।
15 : थमा हुआ निर्यात
इस तिमाही में भी निर्यात 46 अरब डॉलर पर बना हुआ है। निर्यात की यही स्थिति पिछले वर्ष की इस तिमाही में भी थी। अभी निर्यात के मोर्चे पर आर्थिक गतिविधि की बढ़त नहीं दिख रही है। साफ है, करीब-करीब सारे सूचक यही बताते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, आगे स्थितियां और बिगड़ेंगी। सरकार की बात करें, तो जब आप इस समस्या को स्वीकार ही नहीं कर रहे हैं, तो समाधान कैसे निकालेंगे?अप्रैल-जून 2019 में दर्ज गिरावट- 48 प्रतिशत घटा है तेल, सोने और चांदी आयात
 
- 1.4 प्रतिशत वृद्धि सरकार के कुल कर राजस्व में
 
- 48 प्रतिशत कमी हुई निवेश परियोजना पूर्णता में
 
- 6.6 प्रतिशत ही बढ़ी है तैयार इस्पात की खपत
 
- 14.1 प्रतिशत की कमी ट्रैक्टर बिक्री में दर्ज हुई
 
- 46 अरब डॉलर बना हुआ है कुल निर्यात
 
- 23.3 प्रतिशत की कमी आई है कार बिक्री में- 11.7  प्रतिशत की कमी दोपहिया वाहन बिक्री में
 
🕔 एजेंसी

21-08-2019-दुनिया की कुछ दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अर्थव्यवस्था के ज्यादातर पैमानों पर गिरावट देखी जा रही है। अब और आगे...

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उद्यमियों-व्यापारियों को परेशान न करें टैक्स अफसरः निर्मला सीतारमण

उद्यमियों-व्यापारियों को परेशान न करें टैक्स अफसरः निर्मला सीतारमण464

👤21-08-2019-केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स टेररिज्म जैसे हालात न बनाने की अफसरों को नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि करदाता हमारे मित्र हैं और उनसे वैसा ही व्यवहार अपेक्षित है। उद्यमियों अौर व्यापारियों को आयकर, कस्टम या जीएसटी के मसलों पर उन्हें अनावश्यक नोटिसें जारी कर परेशान न किया जाय। अगर किसी मामले में नोटिस भेजना जरूरी है तो पहले अपनी ओर से होमवर्क पूरा कर लें। नदेसर स्थित होटल गेटवे में मंगलवार को अधिकारियों के साथ वित्तमंत्री संवाद कर रही थीं। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यापारी को नोटिस भेजने से पहले उनके बारे में पूरी सूचना एकत्र कर लें। फिर यह सोचें कि नोटिस भेजी जानी है या नहीं। हर छोटी बात पर नोटिस भेजना अच्छी प्रक्रिया नहीं है। सीतारमण ने कहा कि जहां तक संभव हो, विवादों का निपटारा ऑनलाइन करें। इससे व्यापारी को नाहक विभाग के चक्कर नहीं लगाने होंगे। सरकार यही चाहती है। वित्तमंत्री ने अधिकारियों से देश के किसी भी शहर के व्यापारी के मसले के निस्तारण के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन व्यवस्था के तहत कहीं से भी आपके पास शिकायत आ सकती है।  कार्यक्रम में राजस्व सचिव अजय भूषण पाण्डेय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष पीसी मोदी, सीबीईसी के चेयरमैन पीके दास, प्रिंसिपल जीएसटी कमिश्नर राजीव टंडन, प्रधान आयकर आयुक्त सुनील माथुर, जीएसटी कमिश्नर यशवंत महावर, अतिरिक्त आयकर आयुक्त डॉ. अभय कुमार ठाकुर आदि मौजूद थे। बिना रिकॉर्ड के नोटिस भेजी तो होगी कार्रवाई
राजस्व सचिव अजय भूषण पाण्डेय ने कहा कि बिना रिकॉर्ड के भी एन्क्यावरी व ऑडिट की नोटिसें व्यापारियों को भेज दी जाती हैं। इससे अफसरों को बचना चाहिए। यदि ऐसी शिकायत मिली तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी। सीबीडीटी के चेयरमैन पीसी मोदी ने कहा कि करदाताओं की सुविधा के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। सभी अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि समय के साथ खुद को बदलें। 
🕔tanveer ahmad

21-08-2019-केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स टेररिज्म जैसे हालात न बनाने की अफसरों को नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि करदाता हमारे मित्र हैं और उनसे वैसा ही व्यवहार अपेक्षित...

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लॉजिस्टिक पार्क के लिए निवेशकों को अब बड़ी राहत, विकास शुल्क में 75 प्रतिशत छूट

लॉजिस्टिक पार्क के लिए निवेशकों को अब बड़ी राहत, विकास शुल्क में 75 प्रतिशत छूट371

👤21-08-2019-उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉजिस्टिक पार्क क्षेत्र में निवेशकों को लुभाने के लिए उन्हें अब बड़ी राहत दी है। कम से कम 50 एकड़ में  लाजिस्टिक पार्क विकसित करने वाली कंपनियों को विकास शुल्क में 75 प्रतिशत छूट दी जाएगी। प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि लॉजिस्टिक पार्क से विकास शुल्क केवल विकास प्राधिकरण की महायोजना (मास्टर प्लान) क्षेत्र से लागू विकास शुल्क दर का अब 25 प्रतिशत  का ही भुगतान करना होगा। पहले पार्क से विकास शुल्क केवल विकास प्राधिकरण की महायोजना क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं के उपयोग पर पर लिए जाने की व्यवस्था थी और किसी भी सुविधा का उपयोग न करने पर सांकेतिक धनराशि का भुगतान करना था। अब इस नियम में उपरोक्त बदलाव कर दिया गया है। इस तरह निवेशकों को विकास शुल्क में 75 प्रतिशत की राहत दी गई है। साथ ही सांकेतिक धनराशि जमा करने की व्यवस्था भी हटा दी गई है। इसके अलावा लाजिस्टिक यूनिटों से विकास शुल्क केवल विकास प्राधिकरण क्षेत्र में लागू विकास शुल्क दर का 25 प्रतिशत भुगतान लिया जाएगा। निवेशकों को बाकी बंदिशों से मुक्त कर दिया गया है। औद्योगिक विकास विभाग ने उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग तथा लाजिस्टिक नीति 2018 में इसके लिए जरूरी बदलाव किया गया। पहले यह थी  व्यवस्था
उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग तथा लॉजिस्टिक नीति 2018 में प्रावधान है कि लाजिस्टिक क्षेत्र में विकासकर्ता को स्थल चयन ध्यान पूर्वक इस प्रकार करना होगा कि प्रस्तावित स्थल के अधिकतम 50 मीटर दूरी के अंदर आवश्यक सभी सुविधाएं उपलब्ध हों। इन सुविधाओं में जलापूर्ति, जल -मल निस्तारण, सालिड वेस्ट डिस्पोजल, विद्युत आपूर्ति तथा निर्धारित चौड़ाई की पक्की सड़कें शामिल हैं। ऐसी स्थिति में विकासकर्ता को योजना के सम्पूर्ण क्षेत्रफल पर वाह्य शुल्क की देयता में 50 प्रतिशत की पूर्ण छूट होगी। 
🕔tanveer ahmad

21-08-2019-उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉजिस्टिक पार्क क्षेत्र में निवेशकों को लुभाने के लिए उन्हें अब बड़ी राहत दी है। कम से कम 50 एकड़ में  लाजिस्टिक पार्क विकसित करने वाली कंपनियों को...

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कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरियों का आठ हजार स्टाफ घर बैठा

कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरियों का आठ हजार स्टाफ घर बैठा443

👤21-08-2019-निगमीकरण के विरोध में देशभर की 41 ऑर्डिनेंस फैक्टरियों में एक महीना लंबी हड़ताल शुरू हो गई है। इनमें कार्यरत 82 हजार कर्मचारी और 40 हजार संविदा कर्मचारी मंगलवार को घर से ही नहीं निकले। कानपुर की पांच ऑर्डिनेंस फैक्टरियों में काम करने वाले आठ हजार कर्मचारी और अधिकारियों ने सौ फीसदी काम ठप रखा।  आर्डिनेंस फैक्टरियों में ऐतिहासिक हड़ताल का आह्वान ऑल इंडिया डिफेंस इम्पलाइज फेडरेशन, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ और इंडियन नेशनल डिफेंस वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव सी श्रीकुमार, मुकेश सिंह, आर श्रीनिवासन ने किया है। मंगलवार सुबह छह बजे से ही संगठनों के पदाधिकारी फैक्टरियों के मुख्य गेट पर जम गए थे। कालपी रोड अर्मापुर स्थित एसएएफ, फील्डगन व ओएफसी में हड़ताल शत-प्रतिशत सफल रही। फैक्टरी तक आने वाले कुछ कर्मचारियों को  यूनियन के कार्यकर्ताओं ने हाथ जोड़कर वापस जाने का अनुरोध किया तो सभी ने घरों का रुख कर लिया। सुबह दस बजे तक कार्यकर्ता बरसते पानी में भीगते हुए 
हड़ताल का समर्थन करते रहे। हड़ताली कर्मचारियों का रुख देख महाप्रबन्धक के साथ कुछ अधिकारी ही अन्दर जा सके। क्लास टू गजटेड व नॉन गजटेड अफसर हड़ताल के समर्थन में डटे रहे। दिल्ली में एक और बैठक
भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मुकेश सिंह ने बताया कि बुधवार को दिल्ली में फिर एक बैठक है। पहले दिन की सफल हड़ताल को लेकर निश्चित रूप से मंत्रालय नर्म होगा और कोई न कोई रास्ता निकलेगा। जब तक सरकार निगमीकरण का फैसला वापस नहीं लेगी, हड़ताल जारी रहेगी। बातचीत का दौर चलता रहेगा लेकिन लिखित आश्वासन के बिना कदम पीछे नहीं किए जाएंगे। 
🕔tanveer ahmad

21-08-2019-निगमीकरण के विरोध में देशभर की 41 ऑर्डिनेंस फैक्टरियों में एक महीना लंबी हड़ताल शुरू हो गई है। इनमें कार्यरत 82 हजार कर्मचारी और 40 हजार संविदा कर्मचारी मंगलवार को घर से ही...

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IIT के छात्रों ने बनाया बिना रन-वे के उड़ान भरने वाला एयरक्राफ्ट

IIT के छात्रों ने बनाया बिना रन-वे के उड़ान भरने वाला एयरक्राफ्ट363

👤21-08-2019-पहाड़ियों या पथरीले रास्ते से एयरक्राफ्ट न सिर्फ सीधे उड़ान भरेगा बल्कि आसमान की ऊंचाइयों से नजर भी रखेगा। उड़ान भरने के लिए एयरक्राफ्ट को किसी रन-वे की आवश्यकता नहीं होगी। यह ड्रोन की तरह सीधे उड़ान भरेगा लेकिन गति एयरक्राफ्ट की तरह तेज होगी। यह एयरक्राफ्ट आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों ने तैयार किया है। यह एयरक्राफ्ट सामान्य लैंडिंग करने के बजाए पहले पूंछ (टेल) पर उतरेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस तरह की लैंडिंग से अन्य की अपेक्षा इसमें दुर्घटना के चांस कम हैं। आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के छात्र केवलिन कुमार ने अन्य साथियों के साथ बिना रन-वे के उड़ान भरने वाला एयरक्राफ्ट तैयार किया है। केवलिन ने बताया कि पहाड़ियों पर या अन्य कई स्थान ऐसे हैं, जहां रन-वे बनाना मुश्किल होता है। ऐसे स्थानों पर ड्रोन अच्छी तरह कार्य करते हैं। लेकिन, ड्रोन की उड़ने की क्षमता और गति एयरक्राफ्ट की अपेक्षा कम रहती है। इसलिए सोचा कि ऐसा एयरक्राफ्ट तैयार किया जाए, जो बिना रन-वे के उड़ान भर सके। साथ ही पहाड़ियों पर लैंडिंग करते समय उसमें हादसे के चांस भी कम हो। इस एयरक्राफ्ट का पूरा मॉडल तैयार हो गया है। आईआईटी के वैज्ञानिकों की देखरेख में सफल परीक्षण भी हो चुका है। इसका नाम \'टेल सिटर\' रखा गया है। क्योंकि यह एयरक्राफ्ट पूंछ के बल लैंडिंग करता है। फिर पूरा जमीन पर आता है।ड्रोन की तरह हल्का है एयरक्राफ्ट
केवलिन ने बताया कि रन-वे न होने के कारण इसे हल्का बनाना जरूरी था। इसलिए इसके आगे का रूप ड्रोन की तरह दिया गया है। यह उसी की भांति सीधे उड़ान भरता है।सीमा की निगरानी व परिवहन में होगा उपयोगी
छात्रों ने बताया कि यह एयरक्राफ्ट सीमा की निगरानी और परिवहन में अधिक उपयोगी साबित होगा। पहाड़ी इलाकों में बिना रन-वे उड़ान भरकर यह सामान को इधर से उधर ले जा सकता है। साथ ही ड्रोन की अपेक्षा अधिक दूरी तय कर सीमा पर निगरानी कर सकता है।दुर्घटना की संभावना कम
केवलिन ने बताया कि अन्य एयरक्राफ्ट की अपेक्षा टेल सिटर में दुर्घटना की संभावना कम है। अक्सर लैंडिंग के समय एयरक्राफ्ट क्रैश कर जाते हैं। मगर इसके पूंछ के बल लैंडिंग करने से यह काफी हद तक सुरक्षित है।
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21-08-2019-पहाड़ियों या पथरीले रास्ते से एयरक्राफ्ट न सिर्फ सीधे उड़ान भरेगा बल्कि आसमान की ऊंचाइयों से नजर भी रखेगा। उड़ान भरने के लिए एयरक्राफ्ट को किसी रन-वे की आवश्यकता नहीं होगी।...

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मायके ले जाने के मना किया तो पत्नि ने की हत्या

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👤21-08-2019-पत्नी को बाइक से मायके ले जाने से मना करने को लेकर शुरू हुए विवाद में सोमवार की देर रात पत्नी ने पति की हत्या कर दी। इसके बाद पत्नी ने परिजनों को सूचना दी और विलाप करने लगी। शक तब हुआ जब लोगों ने युवक के गले पर गहरा निशान देखा। युवक की मां की तहरीर पर पत्नी व युवक के सगे भाई को हिरासत में ले लिया है। अलीगढ़ के टप्पल थाना क्षेत्र में जट्टारी के गांव निगुना सिगुना में दौलतराम उर्फ कल्लू (28) पुत्र नौरंगी लाल प्रजापति ईंट भट्ठे पर मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करता था। साल 2014 में उसकी शादी बुलंदशहर के गांव औरग मीरपुर निवासी रतन सिंह की बेटी मिथलेश से हुई थी। सावन पर मिथलेश ने दौलतराम से बाइक से मायके चलने के लिए कहा। दौलतराम के मना करने पर दोनों के बीच विवाद हो गया और तनाव जारी था। सोमवार की रात दंपति में फिर विवाद हुआ। आधी रात बात मिथलेश ने परिजनों को जगाया और दौलतराम की हालत की जानकारी दी। जब परिजनों ने देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी। शोर सुनकर आसपास के लोग भी जमा हो गए। लोगों को युवक की मौत पर शक तब हुआ जब उसके शरीर पर चोट के निशान देखे। परिजनों को बताया तो उन्होंने भी सुबह पुलिस को सूचना दी। पुलिस की जांच में पता चला कि दौलतराम की हत्या दूध चलाने वाली रई से की गई है। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मां से तहरीर मिलने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर पत्नी मिथलेश व दौलतराम के छोटे भाई केहरी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी।थाना प्रभारी संजय कुमार जायसवाल ने बताया कि मृतक की मां पुसिया देवी की तहरीर के आधार पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। कल्लू की मौत घरेलू कलह के चलते दूध चलाने वाली रई से की गयी है।  एक वर्ष पूर्व भी कल्लू उर्फ दौलतराम  को मारने का प्रयास किया गया था। मिथलेश और उसके देवर से पूछताछ की जा रही है। गांव निगुना सिगुना में युवक की हत्या में मां की तहरीर मिली है। पत्नी पर ही हत्या का आरोप है। दोनों के बीच पिछले कई रोज से विवाद चल रहा था। पुलिस ने पत्नी व युवक के भाई से पूछताछ कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। - मणिलाल पाटीदार, एसपी देहात
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21-08-2019-पत्नी को बाइक से मायके ले जाने से मना करने को लेकर शुरू हुए विवाद में सोमवार की देर रात पत्नी ने पति की हत्या कर दी। इसके बाद पत्नी ने परिजनों को सूचना दी और विलाप करने लगी।...

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योगी सरकार के वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने दिया इस्तीफा

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👤21-08-2019-उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया है। स्वास्थ्य कारणों और बढ़ती उम्र को देखते हुए अग्रवाल ने इस्तीफा दिया है। हालांकि अभी तक उनके इस्तीफे पर क्या फैसला हुआ है, इसकी जानकारी नहीं है। राजेश अग्रवाल ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि अब वे 75 वर्ष के होने जा रहे हैं। पार्टी की रीति-निति के अनुसार वे अपना त्याग पत्र भाजपा नेतृत्व को दो दिन पहले ही सौंप चुके हैं। उन्होंने लिखा है कि उनकी जगह कुछ नए और योग्य चेहरों को काम करने का अवसर दिया जाए। उन्होंने कहा कि बढ़ती उम्र के चलते वह इस्तीफा दे रहे हैं, जिसे उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेज दिया है। राजेश अग्रवाल को योगी आदित्यनाथ सरकार में वित्तमंत्री बनाया गया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह बरेली कैंट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। रुहेलखंड विवि से पढ़े राजेश अग्रवाल का जन्म 18 सितंबर 1943 को हुआ था। वे पेशे से व्यापारी हैं और 2004 से 2007 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी रह चुके हैं। 1993 से राजेश अग्रवाल बरेली कैंट से लगातार 7 बार विधायक रहे हैं। शुरुआती दौर में राजेश अग्रवाल संघ से जुड़े रहे फिर भाजपा में शामिल हुए। वह लगातार छह बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। मौजूदा सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया था। इसके पहले वह उत्तर प्रदेश सरकार में व्यापार निबंधन एवं कर मंत्री भी रह चुके हैं। साथ ही वह प्रदेश के महामंत्री भी रह चुके हैं। मौजूदा समय में वह पाटीर् में कोषाध्यक्ष भी हैं।
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21-08-2019-उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया है। स्वास्थ्य कारणों और बढ़ती उम्र को देखते हुए अग्रवाल ने इस्तीफा दिया...

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सरकार बनने के दो साल बाद योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार आज, शामिल होंगे 20 से 22 नए चेहरे

सरकार बनने के दो साल बाद योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार आज, शामिल होंगे 20 से 22 नए चेहरे234

👤21-08-2019-उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद का विस्तार बुधवार को सुबह 11 बजे होगा। राजभवन ने इसकी पुष्टि कर दी है। मंत्रिपरिषद में 20 से 22 नए चेहरों को शपथ दिलाई जाएगी। विस्तार के मद्देनजर वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने इस्तीफा दे दिया है। छह अन्य मंत्रियों के भी इस्तीफा देने की चर्चा है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। विस्तार में चार मंत्रियों का कद बढ़ाया भी जा सकता है। सरकार बनने के करीब सवा दो साल बाद यह भाजपा सरकार का पहला विस्तार होगा।समन्वय बैठक में लगी नामों पर मुहर
मंगलवार को आरएसएस, सरकार और पार्टी संगठन में समन्वय बैठक होने के चलते मंत्रिपरिषद विस्तार को बल मिला। माना जा रहा है कि किस मंत्री को हटाना है और किसे शामिल करना है, इस पर समन्वय बैठक में ही अंतिम मुहर लगी। इसी के साथ यह तय हो गया कि बुधवार को मंत्रिपरिषद विस्तार होगा। प्रदेश सरकार ने दोपहर बाद मंत्रिपरिषद विस्तार की पुष्टि कर दी और राजभवन में शपथ ग्रहण की तैयारियां शुरू कर कार्ड बांटने शुरू कर दिए। सचिवालय प्रशासन ने नए मंत्रियों के कमरों और विभाग आदि की व्यवस्था का काम शुरू कर दिया।  इससे पहले रविवार को भी विस्तार की चर्चा थी लेकिन देर रात अचानक इसे टाल दिया गया।सबसे पहले राजेश अग्रवाल ने दिया इस्तीफा
मंगलवार को दोपहर करीब ढाई बजे वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल ने इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि वह 75 वर्ष के हो गए हैं, लिहाजा पार्टी की नीति और नियम के मुताबिक वह इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। उनका पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।इन्हें मिल सकती है जगह
मंत्रिपरिषद में जगह पाने वालों में जिनके नाम प्रमुख रूप से चर्चा में हैं, उनमें एमएलसी अशोक कटारिया,फतेहपुर सीकरी से विधायक चौधरी उदयभान सिंह, एमएलसी विद्या सागर सोनकर, मुजफ्फरनगर से कपिल देव अग्रवाल, कानपुर से नीलिमा कटियार, रायबेरली से दल बहादुर कोरी, अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल,  सिद्धार्थनगर इटवा के विधायक सतीश द्विवेदी, संतकबीरनगर के घनघटा से श्रीराम चौहान, चौराचौरी गोरखपुर से संगीता यादव, आगरा कैंट से डा. जीएस धर्मेश, बरेली भोजीपुरा से बहोरन लाल मौर्य, तिंदवारी से ब्रजेश प्रजापति, लखनऊ से नीरज बोरा, एमएलसी यशवंत सिंह और बुंदेलखंड से झांसी नगर के विधायक रवि शर्मा के नाम शामिल हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आरएलडी से भाजपा में आए सहेंद्र सिंह \'रमाला\' व साहिबाबाद से सुनील शर्मा को जगह मिल सकती है। वहीं फर्रुखाबाद से सुशील कुमार शाक्य व सुनील दत्त द्विवेदी में से किसी एक को लिया जा सकता है।इनका बढ़ सकता है कद
राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. महेंद्र सिंह, गन्ना विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार सुरेश राणा, भूमि विकास मंत्री स्वतंत्र प्रभार उपेंद्र तिवारी और अनिल राजभर का भी कद बढ़ाया जा सकता है। इनको कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई जा सकती है। इसी के साथ विवादों में रहे कई मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किए जाने का भी फैसला किया गया है।अभी हैं 42 मंत्री, हो सकते हैं 60
प्रदेश मंत्रिपरिषद में अभी 42 मंत्री है। विस्तार के बाद इसकी संख्या 60 तक हो सकती है। वैसे वर्ष 2017 में सरकार गठन के बाद ही कई बार कयास लगाए जाते रहे कि विस्तार होगा। वजह थी कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को चुनाव जीतने के बाद भी मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिल सकी थी। मंत्रिपरिषद में 45 जिलों का प्रतिनिधित्व भी नहीं था। लोकसभा चुनाव 2019 होने के बाद से इस विस्तार की संभावना जताई जा रही थी। 
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21-08-2019-उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद का विस्तार बुधवार को सुबह 11 बजे होगा। राजभवन ने इसकी पुष्टि कर दी है। मंत्रिपरिषद में 20 से 22 नए चेहरों को शपथ दिलाई जाएगी। विस्तार के मद्देनजर वित्त...

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