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सीएम के जनसुनवाई पोर्टल पर मामला जिला गौतमबुद्ध नगर का निस्तारण के लिए भेज दिया डीएम-SSP एवं CO कैसरबाग लखनऊ को

सीएम के जनसुनवाई पोर्टल पर मामला जिला गौतमबुद्ध नगर का निस्तारण के लिए भेज दिया डीएम-SSP एवं CO कैसरबाग लखनऊ को691

👤24-09-2019-लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अपनी वहवही का झूठा ही ढिढ़़ोंरा पीट रही है। लेकिन सच तो यह है कि सरकार से लेकर अफसर तक बिना प्रार्थना पत्र पढ़े बिना गलत कार्रवाई करके वहवही लूटने में महारत हासिल कर रहे है। राजधानी लखनऊ में एक मामला सामने आया है कि मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर एक शिकायत की गई थी जिसकी शिकायत संख्या 15157190098376 थी जिसको बिना पढ़े गलत रिपार्ट लगा दी गई है।  सामाजिक कार्यकर्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि मैने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर जिला गौतम बुद्ध नगर के बीटा-२ थाना में दर्ज हुए मामले की जांच किसी सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय से कराने की मांग की थी। लेकिन मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल ने लोगों में  जिला गौतम बुद्ध नगर भेजने के बजाए जिला अधिकारी लखनऊ को भेज दिया। जिला अधिकारी लखनऊ ने प्रार्थना पत्र को बिना पढ़े एसएसपी लखनऊ को भेज दिया, एसएसपी लखनऊ ने प्रार्थना पत्र को बिना पढ़े सीओ कैसरबाग को भेज दिया, सीओ कैसरबाग ने प्रार्थना पत्र को बिना पढ़े थानाध्यक्ष कैसरबाग को भेज दिया, थानाध्यक्ष कैसरबाग ने प्रार्थना पत्र को बिना पढ़े चौकी प्रभारी को भेज दिया। तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि चौकी प्रभारी जांच के लिए मेरे पास आए तब मेरे द्वारा उनको बताया गया की मेरी शिकायत जिला गौतम बुद्ध नगर से सम्बंधित है तब उनको जानकारी हुई बड़े अफ़सोस की बात है कि किसी भी आधिकारियों ने शिकायती पत्र को पढ़ा नहीं। उन्होने कहा कि मेरी शिकायत का निस्तारण सांठ-गांठ एवं खानापूर्ति व टाल मटोल से कर दिया गया है शिकायती पत्र के अनुसार कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है उपरोक्त प्रकरण पर गम्भीरतापूर्वक विचार करते हुए तत्काल इस पूरे प्रकरण की जांच कराई जाये और दोषियों आधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त विभागीय व कानूनी कार्यवाही की जाए
🕔shahzan abbas naqvi

24-09-2019-लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अपनी वहवही का झूठा ही ढिढ़़ोंरा पीट रही है। लेकिन सच तो यह है कि सरकार से लेकर अफसर तक बिना प्रार्थना पत्र पढ़े बिना गलत कार्रवाई करके वहवही लूटने...

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दुष्कर्म के आरोपी चिन्मयानंद की जेल में बिगड़ी सेहत, अस्पताल में भर्ती

दुष्कर्म के आरोपी चिन्मयानंद की जेल में बिगड़ी सेहत, अस्पताल में भर्ती586

👤23-09-2019-वाकई जेल की जिंदगी से पार पाना हर किसी के वश की बात नहीं है। शायद इस कड़वे सच का अनुभव चिन्मयानंद को जेल में गुजरी एक ही काली रात ने करा दिया। शायद यही वजह रही होगी कि कानून की छात्रा से मसाज कराने और उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोपी स्वामी की रविवार-सोमवार की रात जेल में कथित रूप से तबियत खराब होने लगी। आनन-फानन में डाक्टरों की टीम ने जांच की, जिसमें सीने में दर्द की शिकायत सामने आई। लिहाजा आरोपी स्वामी चिन्मयानंद को सोमवार को दिन निकलते ही विशेष एंबुलेंस से लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की ओर रवाना कर दिया गया।मामले की जांच कर रही एसआईटी के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया, “कुछ ही देर में लखनऊ पहुंचकर स्वामी केजीएमयू में दाखिल हो जाएंगे। देर रात उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी।” देर रात चिन्मयानंद के सीने में दर्द की शिकायत मिलते ही शाहजहांपुर जिला जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया।आनन-फानन में आरोपी चिन्मयानंद सरकारी डॉक्टरों की टीम के हवाले कर दिए गए। कुछ देर चली चिकित्सकीय जांच के बाद उन्हें इलाज के लिए लखनऊ स्थित केजीएमयू भिजवाने का इंतजाम करने का फैसला लिया गया। लिहाजा मामले की गंभीरता के मद्देनजर जेल प्रशासन ने रात में ही स्वामी को केजीएमयू में दाखिल कराने के इंतजाम शुरू कर दिए। सुबह होते ही उन्हें एंबुलेंस से लखनऊ के लिए रवाना कर दिया गया।जिस तरह के भागीरथ प्रयासों के बाद स्वामी चिन्मयानंद को एसआईटी गिरफ्तार करके जेल में डाल पाई थी, पुलिसिया पड़ताल की दुनिया में वो भी एक मिसाल ही थी। वरना चर्चाएं यही थीं कि कभी देश की सत्ता के भोग का जायका चख चुके (बहैसियत केंद्रीय गृह राज्यमंत्री) स्वामी जी शायद ही जेल पहुंचाए जा पाएंगे। कानूनी रास्तों पर बेहद सलीके और सधे हुए कदमों से चल रही एसआईटी ने हालांकि अंतत: चिन्मयानंद को जेल में डालकर तमाम चर्चाओं पर विराम लगा दिया था।यह अलग बात है कि, जेल की चार-दीवारी के कष्ट क्या होते हैं, बाहर तमाम साम्राज्य के स्वामी रहे और अब दुष्कर्म के आरोपी चिन्मयानंद को इसका अहसास जेल में गुजरी एक ही रात में हो गया। जिस दिन स्वामी चिन्मयांनद जेल भेजे गए उसी दिन इन चर्चाओं का बाजार गरम होने लगा था कि जो आरोपी एंबुलेंस में बीमारी के बहाने से हरिद्वार की ओर कूच करने की जुगत में जुटा था, मगर ऐन टाइम पर उसे गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया हो, आखिर वो इंसान जेल में कैसे रह पाएगा?चर्चाओं के मुताबिक, स्वामी और उसके सिपहसालार जेल जाने से पहले ही, किसी भी तरह से जेल न भेजे जाने के उपाय खोजने में जुट गए थे। यह अलग बात है कि उन सबकी हर जुगत नाकामयाब होती गयी। आरोपी को जेल का भय किस कदर परेशान कर रहा था, इसका अंदाजा उसी दिन लग गया था जिस दिन, छात्रा द्वारा धारा 164 के बयान अदालत में कलमबद्ध कराए गए थे। उसी दिन शाम होते-होते स्वामी अपने ही मुमुक्षु आश्रम के निजी चिकित्सकों की निगरानी में बीमार होकर लेट गया था, ताकि चारों ओर यह अफवाह फैल सके कि स्वामी की तबियत नासाज है। एसआईटी सहित उन्हें कोई न छुए। हुआ मगर इस सबके विपरीत।कई दिन से चिन्मयानंद के खिलाफ तमाम-सबूत और गवाहों के बयानों से लदी भारी-भरकम फाइलों को इधर से उधर ढो रही एसआईटी ने बिना किसी झुंझलाहट के स्वामी को दबे पांव गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया। एसआईटी से जुड़े एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “गिरफ्तारी के बाद से ही स्वामी जेल से बचने के उपाय खोजने में मशरूफ हो गया था। इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अब रविवार-सोमवार की रात जेल में अचानक स्वामी पर आई बीमारी उसी कड़ी का हिस्सा हो।”हालांकि जिला पुलिस और जेल प्रशासन इन सब तथ्यों से साफ-साफ इंकार कर रहे हैं। शाहजहांपुर जिला जेल प्रशासन के एक सूत्र ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया, “मामला एक कैदी के स्वास्थ्य से जुड़ा था। जेल प्रशासन ऐसे में कोई जोखिम नहीं ले सकता। हर कैदी की सुरक्षा-इलाज और हिफाजत करना जेल प्रशासन की प्राथमिकता होता है। ऐसे में सरकारी चिकित्सकों ने भी चिन्मयानंद मामले में जो मशविरा दिया, उसी के अनुसार आरोपी को लखनऊ स्थित केजीएमयू भेजा गया है।”
🕔tanveer ahmad

23-09-2019-वाकई जेल की जिंदगी से पार पाना हर किसी के वश की बात नहीं है। शायद इस कड़वे सच का अनुभव चिन्मयानंद को जेल में गुजरी एक ही काली रात ने करा दिया। शायद यही वजह रही होगी कि कानून की...

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अनुप्रिया लाकड़ा, जिसने आदिवासी समुदाय की लड़कियों को दिए सपनों के पंख

अनुप्रिया लाकड़ा, जिसने आदिवासी समुदाय की लड़कियों को दिए सपनों के पंख0

👤22-09-2019-ओडिशा के आदिवासी बहुल जिले मलकानगिरी तक जाने का तरीका खोजें तो पता चलता है कि वह इलाका हवाई संपर्क तो बहुत दूर की बात है, रेल मार्ग तक से नहीं जुड़ा है और ऐसे में अगर वहां की किसी आदिवासी लड़की के हौंसलों की उड़ान उसे कमर्शियल पायलट बना दे, तो बात हैरानी की हदों से कहीं आगे निकल जाती है।मलकानगिरी का इलाका माओवाद से प्रभावित है और पुलिस कांस्टेबल की बेटी अनुप्रिया लाकड़ा इस क्षेत्र की पहली आदिवासी महिला पायलट हैं। 2012 में भुवनेश्वर के एक प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान को छोड़कर पायलट प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ाई करने वाली अनुप्रिया जल्दी ही अपनी पहली कमर्शियल उड़ान के लिए तैयार हैं और अपने समुदाय की बहुत सी लड़कियों के सपनों को पंख देने वाली हैं।ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लोगों से कहा है कि वह अपनी बेटियों को अनुप्रिया जैसा बनाएं। उन्हें बड़े सपने देखने के लिए खुला आसमान दें और फिर उनके सपनों को पूरा करने की प्रेरणा और हौंसला भी दें। अब ओडिशा की बात करें तो इसकी कुल आबादी 4.2 करोड़ है, जहां 22.95 प्रतिशत आदिवासी आबादी है। राज्य का मलकानगिरी जिला आदिवासी बहुल इलाका है, जहां आदिवासियों की आबादी 57.4 प्रतिशत है। ओडिशा में साक्षरता की दर 73 प्रतिशत है, लेकिन इनमें आदिवासी महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 41.20 प्रतिशत है। इन तमाम आंकड़ों में अनुप्रिया की उपलब्धि उसके कठिन परिश्रम और सीमित संसाधनों के बावजूद आसमान को छू लेने की जिद की कहानी बयान करती है।ओडिशा पुलिस में कांस्टेबल मारिनियस लाकड़ा और जमाज यासमीन लाकड़ा के यहां जन्मी अनुप्रिया ने मलकानगिरी में एक कान्वेंट से मैट्रिक की पढ़ाई की और उसके बाद निकटवर्ती कोरापुट जिले के सेमिलिगुडा से उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा ग्रहण की। भुवनेश्वर के एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में अनुप्रिया को दाखिला मिला तो उसके माता पिता को लगा कि अब लड़की जल्द इंजीनियर बनकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी। उन्हें उस समय भी अपनी बच्ची की उपलब्धि पर गर्व होता था, लेकिन उनकी बेटी के जहन में कुछ और ही सपने आकार ले रहे थे। उसे पायलट बनना था और उसने इंजीनियरिंग कॉलेज में कुछ महीने गुजारने के बाद अपना रास्ता बदल लिया और भुवनेश्वर के ही सरकारी उड्डयन प्रशिक्षण संस्थान (गति) में दाखिला ले लिया।लाकड़ा के पिता के लिए अपनी बेटी को \'गति\' में पढ़ाना आसान नहीं था और अकसर रुपए पैसे की तंगी उसके रास्ते की दीवार बनती नजर आती थी, लेकिन कुछ अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और कुछ अपनों की मदद की बदौलत अनुप्रिया इस मुश्किल रास्ते पर आगे बढ़ती चली गईं और ढेरों परीक्षाएं पास करके कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल करने में कामयाब रही। अनुप्रिया की मां जमाज ने विमान को बस आसमान में उड़ते हुए ही देखा है और अब वह यह सोचकर रोमांचित हैं कि उनकी बेटी विमान उड़ाएगी।आदिवासी नेता और ओडिशा आदिवासी कल्याण महासंघ के अध्यक्ष निरंजन बिसी ने बताया कि लाकड़ा ओरांव जनजाति से हैं और वह मलकानगिरी से ही नहीं बल्कि पूरे ओडिशा की पहली महिला हैं, जो मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल करने में सफल रही हैं। वह एक ऐसे जिले से आती हैं, जहां के लोगों ने अब तक रेलवे लाइन नहीं देखी और अब वह अपनी बिटिया को आसमान में परवाज करते देखेंगे। उनका कहना था कि एक स्थानीय लड़की का विमान उड़ाना पूरे आदिवासी समाज के लिए गौरव की बात है।
🕔 एजेंसी

22-09-2019-ओडिशा के आदिवासी बहुल जिले मलकानगिरी तक जाने का तरीका खोजें तो पता चलता है कि वह इलाका हवाई संपर्क तो बहुत दूर की बात है, रेल मार्ग तक से नहीं जुड़ा है और ऐसे में अगर वहां की...

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उच्च न्यायालय ने कांस्टेबल भर्ती 2015 के मामले में जानकारी मांगी

उच्च न्यायालय ने कांस्टेबल भर्ती 2015 के मामले में जानकारी मांगी641

👤22-09-2019-इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2015 में ओबीसी कोटे में कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक पाने के बावजूद अभ्यर्थियों को चयनित न करने को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बोर्ड से जानकारी मांगी है।यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने रचना की याचिका पर अधिवक्ता वेदकांत मिश्र को सुनकर दिया है। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची ने अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक हासिल किए, लेकिन उसका चयन नहीं किया गया। याची ने 10 फरवरी 2016 को जारी जाति प्रमाणपत्र भी पेश किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड से इस मामले में जानकारी मांगी है। साथ ही याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख लगाई है।
🕔tanveer ahmad

22-09-2019-इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2015 में ओबीसी कोटे में कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक पाने के बावजूद अभ्यर्थियों को चयनित न करने को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य...

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बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में कल्याण सिंह को समन, 27 सितंबर को होंगे पेश

बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में कल्याण सिंह को समन, 27 सितंबर को होंगे पेश467

👤22-09-2019-केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में 27 सितंबर को कोर्ट में पेश होने का समन भेजा है। विशेष जज एस.के. यादव ने सीबीआई की लंबित याचिका पर बार एसोसिएशन की उस सूचना का संज्ञान लेते हुए कल्याण को समन भेज दिया कि उनका राज्यपाल का कार्यकाल सितंबर के पहले सप्ताह में समाप्त हो गया है।सिंह के अलावा पूर्व उप प्रधानमंत्री एल.के. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य के खिलाफ भी छह दिसंबर 1992 को 14वीं सदी की इमारत को ढहाने की साजिश रचने का मामला चल रहा है। मामले की सुनवाई दैनिक आधार पर चल रही है। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि क्या भाजपा नेता कल्याण सिंह अभी भी संवैधानिक पद पर हैं।जांच एजेंसी ने यह दावा करते हुए कि अभी उन्हें संबंधित दस्तावेज नहीं मिले हैं, कोर्ट से दो बार समय मांगा। बार एसोसिएशन द्वारा जरूरी जानकारी देने के बाद कोर्ट ने समन जारी कर दिए। सीबीआई ने याचिका दायर की थी कि सिंह पर 1993 में आरोप लगाए गए थे और सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया था कि संविधान के अनुच्छेद 361 द्वारा राज्यपाल को प्रदत्त अधिकारों के कारण उन पर ट्रायल नहीं चलाया जा सकता।सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, सीबीआई को छूट दी थी कि कल्याण सिंह के पद छोड़ते ही वह उन्हें समन जारी करे। सुप्रीम कोर्ट के 19 अप्रैल 2017 को दिए निदेर्शों के कारण मामले के सभी आरोपी जमानत पर रिहा हैं। सीबीआई ने इस मामले में 1993 में कल्याण सिंह समेत सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किए थे। सिंह तीन सितंबर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल नियुक्त किए गए थे और सितंबर के पहले सप्ताह में सेवानिवृत्त हुए हैं। इस बीच, कल्याण सिंह ने इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहा कि वे कोर्ट में जवाब देंगे।
🕔tanveer ahmad

22-09-2019-केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में 27 सितंबर को कोर्ट में पेश होने का समन...

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27 प्रतिशत तक सस्ते होंगे फ्लैट, शासन ने दिया निर्देश

27 प्रतिशत तक सस्ते होंगे फ्लैट, शासन ने दिया निर्देश805

👤22-09-2019-उत्तर प्रदेश के विकास प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद के फ्लैटों की कीमतें 27% तक कम होगी। आर्थिक मंदी और खरीदार न मिल पाने की वजह से लम्बे समय से बनकर खड़े फ्लैटों को बेचने के लिए शासन ने इनकी कीमतें कम करने का निर्णय लिया है। प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने इसके लिए निर्देश जारी कर दिया है। विकास प्राधिकरण बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव पास कराकर फ्लैटों की कीमतें कम कर सकेंगे।प्रदेश के विकास प्राधिकरणों व उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद में बड़े पैमाने पर संपत्तियां रिक्त पड़ी हैं। नोटबंदी के बाद से शुरू हुई मंदी ने विकास प्राधिकरणों की कमर तोड़ दी है। प्राधिकरणों व आवास विकास के फ्लैट खंडहर हो रहे हैं। प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने अधिकारियों से इनके बेचने के बारे में सुझाव मांगा था। अब उन्होंने इस सम्बंध में निर्देश जारी कर दिया है। इसके तहत विकास प्राधिकरण बोर्ड से प्रस्ताव पास कराकर फ्लैटों की कीमतें 27 प्रतिशत तक कम कर सकेंगे। प्रमुख सचिव ने कीमतें कैसे 27 प्रतिशत तक कम होंगी, इसका भी सुझाव दिया है। 17 सितंबर को शासन ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है। फ्लैट व मकान की कीमतें इस तरह कम करेंगे -मकानों की कीमतें निर्धारित करते समय आवास विकास परिषद व प्राधिकरण 5% कंटेंजेंसी लेते हैं। शासन ने इसे घटाकर 3% करने को कहा है
-मकानों की कीमतों में 12% प्रशासनिक चार्ज व सेंटेंज लगाया जाता है। इसे भी कम कम कर 7% किया जाएगा
-अभी मकानों व फ्लैटों की कीमतें निर्धारित करते समय पूरी अवधि पर 16% ब्याज लिया जाता है। इससे फ्लैट की कीमत काफी बढ़ जाती है। इसे घटाकर 8% करने का निर्देश हुआ है।
-फ्लैट व मकान के मूल्य निर्धारण के समय जमीन की कीमत को डेढ़ गुना जोड़ा जाता है। शासन ने अब इसे एक गुना करने को कहा है।15 हजार फ्लैट और मकान खालीलखनऊ विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद के करीब 15 हजार मकान खाली पड़े हैं। इनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। दोनों विभाग \'पहले आओ पहले पाओ\' के आधार पर भी इन्हें बेच रहे हैं। फिर भी नहीं बिक रहे हैं। कीमतें ज्यादा होने की वजह से लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अकेले एलडीए के लखनऊ में करीब 3800 फ्लैट खाली हैं। जबकि आवास विकास परिषद के प्रदेश भर में गरीब 11 हजार मकान व फ्लैट खाली पड़े हैं। प्रभु एन सिंह, उपाध्यक्ष, एलडीए ने बताया कि फ्लैट की कीमतें कम करने का शासन का आदेश मिल गया है। शासन ने जिस तरह कीमतें कम करने को कहा है उससे 27 प्रतिशत कीमतें कम हो जाएंगी। प्रदेश भर के मकानों की कीमतें कम हो होंगी। जल्दी ही बोर्ड से प्रस्ताव पास करकर जमीन की कीमतें कम की जाएंगी।
🕔tanveer ahmad

22-09-2019-उत्तर प्रदेश के विकास प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद के फ्लैटों की कीमतें 27% तक कम होगी। आर्थिक मंदी और खरीदार न मिल पाने की वजह से लम्बे समय से बनकर खड़े फ्लैटों को बेचने...

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एक लाख व्यापारियों को ऑडिट रिटर्न से मिलेगी राहत

एक लाख व्यापारियों को ऑडिट रिटर्न से मिलेगी राहत593

👤22-09-2019-केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के ऐलान से प्रदेश के लगभग एक लाख करोबारियों को राहत मिली है। दो करोड़ सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को अब दो साल तक जीएसटी ऑडिट रिटर्न नहीं भरना पड़ेगा। वहीं होटल और आउटडोर कैटरिंग कारोबारियों ने भी जीएसटी दरों में कमी को सराहा। जीएसटी काउंसिल ने होटल कमरों के किराए में जीएसटी दर 18 से 12 करने और आउटडोर कैटरिंग में जीएसटी दर 12 से घटाकर पांच फीसदी कर दिया है। चार्टेड एकाउंटेंट पवन धवन कहते हैं कि अभी तक डेढ़ करोड़ सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी ऑडिट रिटर्न भरने के लिए फार्म 9 सी को भरना पड़ता था। यह फार्म सीए द्वारा आडिट के आधार पर तैयार किया जाता है। अब दो करोड़ तक के कारोबारियों को दो साल तक इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। जिससे लगभग एक लाख व्यापारियों को राहत मिलेगी। होटल कारोबार बढ़ेगा, पर्यटन भी बढ़ेगा : 7500 रुपये तक के कमरे पर जीएसटी को 18 से घटाकर 12 फीसदी करना सरकार का एक बड़ा कदम है। वहीं एक हजार रुपये किराए तक के कमरों पर कोई भी जीएसटी नहीं लगेगी। बोले कारोबारी 
होटल के कमरों पर जीएसटी घटाने का असर प्रदेश के पर्यटन पर पड़ेगा। होटल कारोबारियों को लाभ होगा।  
सुरेन्द्र जायसवाल, अध्यक्ष, होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशनबैंक्वेटपर भी जीएसटी की दर आउटडोर कैटरिंग की तरह यानि पांच फीसदी हो जाए तो होटल कारोबार मजबूत होगा।
श्याम कृष्नानी, महामंत्री, यूपी होटल एसोसिएशनजीएसटी रिटर्न में फॉर्म 9 सी को भरना आम कारोबारी के लिए बहुत जटिल है। ऐसे में सरकार का निर्णय सराहनीय है।
अमरनाथ मिश्र, वरिष्ठ महामंत्री, लखनऊ व्यापार मंडलसरकार का यह फैसला अस्थाई है। जीएसटी की खामियों को दूर करने के लिए अभी और प्रयास करने चाहिए। 
संदीप सक्सेना, महामंत्री एसोचैम इंडियाआउटडोर कैटरिंग पर 18 फीसदी जीएसटी की दर बहुत ज्यादा थी। अब सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और ग्राहक भी खुश रहेगा।
विजय कनौजिया, आदर्श टेंट एंड कैटरिंग एसोसिएशनशादी-ब्याह में कैटरिंग का बोझ जाहिर तौर पर लड़की के पिता और परिवार पर पड़ता है। यह फैसला ग्राहक और कारोबारी दोनों को राहत देगा।
जितेन वर्मा, कैटरिंग व्यवसायीकाउंसिल को इसके साथ टेंट उद्योग पर भी जीएसटी दर पांच फीसदी करनी चाहिए। इससे राहत मिलेगी। 
रितिक , महामंत्री, आदर्श टेंट एंड कैटरिंग एसोसिएशन
जीएसटी काउंसिल ने जो फैसला लिया है उसमें बैंक्वेट को शामिल नहीं किया है, बल्कि आउटडोर कैटरिंग शब्द को शामिल किया है। 
शक्तिप्रताप सिंह, डिप्टी कमिश्नर, जीएसटी कैटरिंग में टैक्स चोरी बंद होगी, ग्राहकों को फायदा 
कैटरिंग कारोबार में जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी होने से ग्राहक और कैटरिंग दोनों को लाभ होगा। कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों ने कहा कि इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। अभी तक पांच लाख की कैटरिंग पर लगभग 90 हजार रुपये जीएसटी पड़ता था। इस बात को जानकार ग्राहक और कारोबारी दोनों टैक्स न देना पड़े, इसकी जुगत में जुट जाते थे जिससे राजस्व का नुकसान होना तय था। टेंट कारोबारियों ने अपने कारोबार पर भी टैक्स दर पांच ही करने का सुझाव जीएसटी काउंसिल को दिया है।  
🕔tanveer ahmad

22-09-2019-केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के ऐलान से प्रदेश के लगभग एक लाख करोबारियों को राहत मिली है। दो करोड़ सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को अब दो साल तक जीएसटी ऑडिट रिटर्न...

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नाका से बांसमंडी मार्ग कल से तीन माह बंद

नाका से बांसमंडी मार्ग कल से तीन माह बंद801

👤22-09-2019-नाका हिंडोला से बांसमंडी के बीच सेतु निगम फ्लाईओवर निर्माण के लिए सोमवार से बीम/स्लैब बनाने का काम करेगा। इसके चलते यह रास्ता सोमवार से तीन महीने के लिए बंद हो जाएगा। ट्रैफिक प्रशासन ने 23 सितम्बर से रूट डायवर्जन की अनुमति दी है। परियोजना प्रबंधक केके श्रीवास्तव ने बताया कि नाका हिंडोला से बांसमंडी तक एक तरफ का मार्ग बंद रहेगा। इसके अलावा बासमंडी चौराहे से हुसैनगंज मार्ग पर स्थित होटल पीआर पैलेस तक दोनों तरफ का मार्ग बंद रहेगा। उन्होंने बताया कि नाका हिंडोला से बांसमंडी की तरफ जाने वाला ट्रैफिक अमीनाबाद और चारबाग होकर जा सकेगा। हुसैनगंज से बांसमंडी जाने वाला ट्रैफिक केकेसी होकर जा सकेगा। ट्रैफिक मार्शल तैनात रहेंगे 
परियोजना अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से कार्यस्थल पर ट्रैफिक मार्शल मौजूद रहेंगे। इसके अलावा कॉशन बोर्ड भी लगाए गए हैं। वहीं पुलिस अधीक्षक यातायात पूर्णेन्दु सिंह ने बताया कि निर्माणकार्य करते समय यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है तो कार्यदायी संस्था को प्राथमिक उपचार के लिए वाहन की व्यवस्था करेगी। सुरक्षा की दृष्टि से फ्लाईओवर का अधिकांश निर्माणकार्य रात में किया जाएगा। फ्लाईओवर को मई-2020 की सीमा दी गई है।   फ्लाईओवर पर नजर
स्वीकृत तिथि    06 जुलाई 2018
उद्घाटन             05 अगस्त 2018
कार्य पूर्ण            31 मई 2020
लम्बाई              1.64 किमी
निर्माण लागत    123.80 करोड़ इन क्षेत्रों को फायदा
बांसमंडी, नाका, चारबाग, सुंदरबाग, हुसैनगंज, मोतीनगर, राजेन्द्र नगर और गणेशगंज।   
🕔tanveer ahmad

22-09-2019-नाका हिंडोला से बांसमंडी के बीच सेतु निगम फ्लाईओवर निर्माण के लिए सोमवार से बीम/स्लैब बनाने का काम करेगा। इसके चलते यह रास्ता सोमवार से तीन महीने के लिए बंद हो जाएगा। ट्रैफिक...

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तमिल मानस पर छाए गांधी

तमिल मानस पर छाए गांधी39

👤21-09-2019-वर्ष 1894 में बालासुंदरम नामक गिरमिटिया मजदूर, जिसके दांत उसके यूरोपीय मालिक ने तोड़ डाले थे, के अनुबंध को सफलतापूर्वक स्थानांतरित करवाकर मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका के नटाल में बसे हजारों भारतीय मजदूरों के मसीहा बन गए थे। उसके बाद मद्रास प्रेसीडेंसी के कई गिरमिटिया न केवल नटाल इंडियन कांग्रेस में शामिल हुए, बल्कि दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह का शक्ति स्तंभ भी बने। दक्षिण अफ्रीका में उनके तमिल क्लर्क विंसेंट लजारस और उसके कर्मचारियों की बदौलत गांधी जी ने प्राचीन तमिल साहित्य, जैसे ‘तिरुकुरल’ को पढ़ा और उसके आरम (धर्म) को अहिंसावादी संघर्षों में अपनाया।उधर दक्षिण अफ्रीका में गुजराती व्यापारियों ने अपने व्यापार को बचाने के लिए पृष्ठभूमि में रहकर गांधी को समर्थन देना चुना, ऐसे में तमिल व तेलुगूभाषी श्रमिकों ने ही सत्याग्रह को आगे बढ़ाया। वर्ष 1896 में गांधी कावेरी के डेल्टा में तरंगमपदी के समुद्र किनारे बसे गांव में सत्याग्रह के शहीदों की विधवाओं से मिलने गए तो उन्होंने श्रमिकों के योगदान को स्वीकार किया। यह पहले ट्रांकबार नामक दानिश बंदरगाह था, जहां से भारत से बड़ी संख्या में गिरमिटिया श्रमिक दक्षिण अफ्रीका के उपनिवेशों में पानी के जहाज से भेजे जाते थे।  मदुरै का भिक्षु
सितंबर 22, 1921 के दिन मदुरै में, गांधी ने खादी कुर्ते और धोती के बजाय लंगोट धारण की, जो एक गज खादी के कपड़े की थी और चर्चिल ने उन्हें ‘अर्धनग्न फकीर’ तक कहा था। मदुरै में गांधी फकीर बन गए, यह बात तमिलों के लिए खास संकेत लिए हुए थी। ए रामासामी ने 1969 की किताब ‘तमिलनाटिल गांधी’ (तमिलनाडु में गांधी) में लिखा, ‘मदुरै महान मानिकावसागर (नौवीं शताब्दी के तमिल कवि, जिन्होंने तिरुवसकम नामक शिवभक्ति स्त्रोत रचा था)’ का शहर था, जिन्होंने शिव को भिक्षुओं का देवता बताया। यह एकदम सटीक बैठा कि उन्होंने गरीबों के गरीब के नेता के तौर पर भिक्षु का चोला धारण किया।’मदुरै गांधीवादी गतिविधियों का बड़ा केंद्र बन गया। तमिलनाडु गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष और सर्वोदय आंदोलन में लंबे समय तक विनोबा भावे के साथी रहे केएम नटराजन ने जब 1946 में मदुरै में गांधी को देखा था, तब वे हाईस्कूल के छात्र थे। उन्होंने बताया,‘मुझसे कहा गया था कि वहां लगभग पांच लाख लोग उन्हें देखने आए थे, हालांकि उन्होंने सभा को संबोधित नहीं किया, लेकिन लोग उन्हें भगवान मानते थे और उनके दर्शन से ही संतुष्ट थे।’ उसी यात्रा की बात है कि गांधी ने मदुरै के मीनाक्षीअम्मन मंदिर जाना स्वीकार किया, जब दशकों लंबे संघर्ष के बाद दलितों व निम्न जातियों को वहां प्रवेश की अनुमति मिली।
1930 में गांधी ने 15वीं सदी में हुए अपने प्रिय गुजराती भक्तिकालीन कवि नरसी मेहता से प्रेरित होकर दलितों को हरिजन (ईश्वर के बच्चे) कहना शुरू किया लेकिन उनका प्रभाव इतना गहरा था कि बहुत पहले से ही दक्षिण भारत अस्पृश्यता आंदोलन का गढ़ बन गया था।1920 के आरंभ में गांधी अनुयायी ए.वैद्यनाथ अय्यर ने दलितों के मंदिरों में प्रवेश हेतु संघर्ष शुरू किया। 1938 में मद्रास प्रेसीडेंसी में हरिजन छात्रावास सेवालय बना। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी की कोर टीम में सी. राजगोपालाचारी के अलावा नेहरू, पटेल, राजेंद्र प्रसाद और अबुल कलाम आजाद शामिल थे। 1916 के आरंभ में राजाजी ने ‘इंडियन रिव्यू’ में भारत के नाम गांधी का संदेश देते हुए लंबा लेख लिखा, जिसमें हिंदू-मुसलिम एकता व अहिंसा पर बल दिया गया था। सलेम में वकालत करने वाले राजाजी 1919 में गांधी से मिले तो इतने प्रभावित हुए कि न केवल गांधी के दक्षिणी सेनापति बने बल्कि गांधी ने उन्हें अपने अंत:करण का रक्षक भी कहा।गांधी और पेरियार
कई लोग सामाजिक न्याय के संबंध में गांधी के सामने ईवी रामासामी (पेरियार) और बीआर आंबेडकर को खड़ा करते हैं। इस दृष्टि से पेरियार अपने दलों द्रविड़ कषगम (डीके)-द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके), ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्रा कषगम (एआईडीएमके) की परंपरा के रूप में जीवित हैं, जो तमिलनाडु में 1967 में सत्ता में आए। वास्तव में राजाजी जैसे लोग टैंपल एंट्री बिल के निर्माता थे। राजाजी यरवदा जेल में गांधी से मिलने गए, ताकि सविनय अवज्ञा आंदोलन में थोड़ी  छूट मिल सके और मंदिर प्रवेश को लेकर काम कर सकें। गांधी ने उनसे कहा कि अगर वे सफलता को लेकर आश्वस्त हैं तो अवश्य इस संघर्ष को आगे बढ़ाएं। राजाजी के जीवनी लेखक, गांधी और राजाजी के पोते राजमोहन गांधी के अनुसार, कई कॉन्ग्रेसी जिनमें नेहरू और पटेल भी थे, मानते थे कि मंदिर प्रवेश विधेयक लाने से राष्ट्रवादी ऊर्जा को क्षति पहुंचेगी। इतिहासकार रामचंद्र गुहा  लिखते हैं, ‘कई लोग गांधी और पेरियार को राजनीतिक विरोधी मानते हैं पर उनके लक्ष्य समान थे। गांधी हिंदू सीमा में रहकर सुधार चाहते थे।’
मदुरै स्थित अमेरिकन कॉलेज में तमिल साहित्य के शिक्षक व दलित शोधकर्ता स्टालिन राजंगम कहते हैं, ‘मैं भी...मुदरै आने से पहले गांधी को आंबेडकर-पेरियार का विरोधी मानता था। आयोथी दास (थास) पंडिथर (19वीं- 20वीं सदी के तमिल दलित समाज सुधारक, जिन्होंने बाद में बौद्ध धर्म अपनाया) पर थीसिस के दौरान मैंने तमिल समाज के बदलाव में गांधी के योगदान को अनुभव किया।मदुरै में गांधी स्मृति
मदुरै का गांधी मेमोरियल म्यूूजियम भारत के 6 राष्ट्रीय गांधी स्मारकों में से एक और दक्षिण में एकमात्र संग्रहालय है। यह एक महल में बना है, जिसे सन 1700 में मदुरै की रानी मंगाम्मल ने बनवाया था। यहां विशालकाय डायनासौर का मॉडल लगा है। इसका उद्घाटन 1959 में हुआ। 1948 में गांधी के अंतिम समय में पहने गए शॉल और धोती को भी कई अन्य वस्तुओं के साथ प्रदर्शित किया गया है। मदुरै से लगभग 70 किलोमीटर दूर डिंडीगुल कस्बे में गांधीग्राम है। इसकी स्थापना टीवीएस ग्रुप के संस्थापक टीवी सुंदरम आयंगर की डॉक्टर पुत्री टीएस सौंदरम ने 1947 में केरल के दलित गांधीवादी पति सी रामाचंद्रन के साथ मिल कर की। अब यह केंद्र सरकार के हाथ में है।गांधीग्राम ट्रस्ट के वयोवृद्ध प्रबंधक के. शिवकुमार गांधी के ग्राम्य स्वराज्य के विचार को फैलाना चाहते हैं। राजाजी ने 1925 में तमिलनाडु के तिरुचेनगोड़े जिले में स्थित पुडुपालयम में गांधी खादी आश्रम की स्थापना की। इसे अस्पृश्य महिला बुनकरों को रोजगार देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। पुडुपालयम आश्रम का मतलब था त्याग-प्रायश्चित और तपस्या की एक जगह, जिसकी अपेक्षा गांधी सहायकों से करते थे। घास-फूंस वाली झोपड़ी पर अब लाल रंग की टाइल वाली छत है। प्रबंधक  आगंतुक पुस्तिका दिखाते हैं, जिनमें उन लोगों की संरक्षित हस्तलिपियां हैं, जो कभी यहां आए थे। (इनमें गांधी, कस्तूरबा, राजेंद्र प्रसाद व अन्य गणमान्य लोग शामिल हैं) आज आश्रम की हवा थकी और क्लांत प्रतीत होती है। छिटपुट पर्यटक अतीत की निशानियां देखते हैं। लाइब्रेरी, में मद्य-निषेध जर्नल के कई खंड तैयार हुए, वह (विमोचनम) चिथड़े होकर पड़ा है। तमिलनाडु में गांधी की विरासत के लिए यही उपमा दी सकती है।

‘पूर्वाग्रह की दीवार तोड़ दो’
त्रावणकोर रियासत वाले वायकॉम में दलितों और निम्न जातियों कोएक शिव मंदिर में प्रवेश पर रोक थी। 1924 में, समाज सुधारक नारायण गुरु के अनुयायी टी.के. माधवन और कांग्रेस सदस्य के के.पी. केशव मेनन ने अस्पृश्यता विरोधी समिति का गठन किया और सत्याग्रह की योजना बनाई। इन सत्याग्रहियों ने अनशन किया, गिरफ्तार हुए। ई.वी. रामासामी (पेरियार) दो बार गिरफ्तार हुए।1936 में त्रावणकोर ने ऐलान किया कि वहां के मंदिर बिना किसी भेदभाव के समस्त हिंदुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ अखबार में वायकॉम सत्याग्रह के बारे में कई आलेख लिखे। उनमें से एक आलेख के अंश यहां प्रस्तुत है, जिसमें उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ चले कई सत्याग्रहों में से एक पर विचार रखे हैं। यह अंश 17 अप्रैल 1924 का है, जो ‘द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी (वॉल्यूम 27) से लिया गया है-“वायकॉम, जिसे त्रावणकोर के बाहर मद्रास प्रेसीडेंसी में लोग बहुत नहीं जानते थे, अचानक प्रसिद्ध हो गया क्योंकि वह सत्याग्रह का स्थान बन गया है। प्रेस इस आंदोलन की दैनिक प्रगति के बारे में रोज बुलेटिन निकालता है। इसे त्रावणकोर के अस्पृश्यों की ओर से शुरू किया गया है। इस आंदोलन ने दबे-कुचले वर्ग का हाल बयान करने के लिए हमें एक अन्य शब्द दिया है। यह है- दुलर्भ यानी अनएप्रोचेबिलिटी।ये गरीब लोग अन्य जाति के हिंदुओं को छू नहीं सकते, उन्हें निश्चित दूरी बना कर रखनी होती है। आंदोलन के नेताओं ने, भेदभाव का केवल एक पहलू ही उठाया है और कोई संदेह नहीं कि यदि वे इससे निपटने में सफल होते हैं तो कम से कम भारत के उस हिस्से में इस कुरीति पर चोट कर सकेंगे, जहां अभी यह आंदोलन जारी है। इस अभियान के अभियोग में मालाबार के कुछ निष्ठावान कार्यकर्ता जेल में डाल दिए गए हैं, जिनमें मेरे पूर्ववर्ती जॉर्ज जोसेफ हैं, वहां अब पीछे नहीं हटा जा सकता। अगर रूढ़िवादी हिंदू आंदोलन का विरोध करते हैं तो संघर्ष लंबा खिंच सकता है। सत्यागही पूर्वाग्रह की दीवार को ध्वस्त करने के लिए दृढ़ हैं, चाहे वह कितनी मजबूत क्यों न हो। ऐसा संभव है, अगर वे दृढ़ किंतु विनम्र और अहिंसक बने रहें। उन्हें इन गुणों पर भरोसा रखना होगा, तभी वे जान सकेंगे कि इससे कठोर दिलों को भी पिघलाया जा सकता है।
🕔 एजेंसी

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आप से जुड़ने के एक दिन बाद पार्टी ने अजॉय कुमार को दी ये बड़ी जिम्मेदारी

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👤21-09-2019-आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होने के एक दिन बाद शुक्रवार को झारखंड में कांग्रेस प्रमुख रहे अजॉय कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त कर दिया गया। अजॉय कुमार का बोर्ड में स्वागत करते हुए \'आप\' के प्रमुख प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने अजॉय कुमार को अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्ति किया है। \'आप\' के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को लोकसभा के पूर्व सांसद अजॉय कुमार को पार्टी की सदस्ता दिलाई थी। उन्होंने झारखंड में विधानसभा चुनाव होने से कुछ महीने पहले अपनी पार्टी के सहयोगियों के खिलाफ आत्म-लाभ के आरोप लगाते हुए पिछले महीने कांग्रेस छोड़ दी थी। झारखंड में सरकार का कार्यकाल इस साल दिसंबर में खत्म होने वाला है। इसके बाद वहां चुनाव कराए जाएंगे।
🕔 एजेंसी

21-09-2019-आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होने के एक दिन बाद शुक्रवार को झारखंड में कांग्रेस प्रमुख रहे अजॉय कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त कर दिया गया। अजॉय कुमार...

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